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Thursday, March 19, 2020

विष को अमृत में बदलना सीखें Muslim

*विष को अमृत में बदलना सीखें मुस्लिम*
अगर कोई आदमी सभ्यता और शिष्टाचार से बात करता है तो उसका संघी होना इस्लाम के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि ये लोग इस्लाम के बारे में नकारात्मक प्रचार करके लोगों को जिज्ञासु बना देते हैं कि
आख़िर इस्लाम क्या है?
इस बहुत आवश्यक पहला चरण वे पूरा करते हैं।
और अब अगले चरण में आप उन्हें उनकी भाषा हिंदी इंग्लिश में बताते रहें कि
इस्लाम में हज़रत आदम और नूह को माना जाता है
जिन्हें वैदिक साहित्य में स्वयंभू मनु और महा जल प्रलय वाले मनु कहा जाता है।
हम सब मनुओं पर ईमान रखते हैं। पवित्र क़ुरआन में महा जल प्रलय वाले मनु अर्थात नूह अलैहिस्सलाम का नाम 45 बार पूरे सम्मान के साथ आया है जबकि पैगंबर मोहम्मद साहब का नाम चार पांच बार आया है और उनके परिवार के किसी व्यक्ति बाप दादा, पत्नी, बेटी, दामाद और नवासे का नाम एक बार भी नहीं आया। अगर पवित्र क़ुरआन की रचना पैगंबर मोहम्मद साहब ने की होती तो वह उसमें अपने परिवार वालों के नाम और अपने मित्रों के नाम और अपने शिष्यों के नाम अवश्य लिखते। पवित्र कुरआन दिव्य ईश्वरीय वाणी है। अत: आप भी इसे स्वीकार करें और मिलजुलकर लोक कल्याण के काम करें।
ऐसा कहने से संघ के बहुत से लोगों के मनों का मैल धुल जाता है और वह सत्य को पहचान लेता है।
विष को अमृत में बदलने का हुनर मुस्लिमों को सीखना होगा।

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