बीमारी और शिफ़ा देने वाला रब फ़रमाता है:
हम क़ुरआन में से जो उतारते है वह मोमिनों के लिए शिफ़ा (आरोग्य) और दयालुता है, किन्तु ज़ालिमों के लिए तो वह बस घाटा ही ज़्यादा करता है. -पवित्र क़ुरआन 17:82
रब का दावा है कि उसकी तरफ़ से पवित्र क़ुरआन में इंसान की जिंदगी के हर पहलू के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन है। फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि पवित्र कुआन में बीमारी दूर करने के विषय में मार्गदर्शन मौजूद न हो? इसमें उन कष्टों का भी ज़िक्र है जो मनुष्य पर व्यक्तिगत रूप से या मानव जाति पर सामूहिक रूप से पड़ते हैं और उनका कारण भी बताया गया है। पवित्र क़ुरआन में बताई कुछ बातों को मेडिकल साइंस में अब मानना शुरू कर दिया है जैसे कि मेडिकल साइंस अब यह मानने लगी है कि मन की मानसिकता तन की बीमारी के रूप में प्रकट होती है और यह कि मानसिकता की निगेटिविटी और पॉजिटिविटी का असर भी बीमारी पर होता है। लेकिन अभी कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें केवल पवित्र क़ुरआन बताता है और वही बता सकता है; मेडिकल साइंस न उन्हें बताती है और न ही वह उन्हें बता सकती हैं जैसे कि महामारी फैलने या कोई बड़ी तबाही आने का मक़सद क्या होता है?
हम क़ुरआन में से जो उतारते है वह मोमिनों के लिए शिफ़ा (आरोग्य) और दयालुता है, किन्तु ज़ालिमों के लिए तो वह बस घाटा ही ज़्यादा करता है. -पवित्र क़ुरआन 17:82
रब का दावा है कि उसकी तरफ़ से पवित्र क़ुरआन में इंसान की जिंदगी के हर पहलू के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन है। फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि पवित्र कुआन में बीमारी दूर करने के विषय में मार्गदर्शन मौजूद न हो? इसमें उन कष्टों का भी ज़िक्र है जो मनुष्य पर व्यक्तिगत रूप से या मानव जाति पर सामूहिक रूप से पड़ते हैं और उनका कारण भी बताया गया है। पवित्र क़ुरआन में बताई कुछ बातों को मेडिकल साइंस में अब मानना शुरू कर दिया है जैसे कि मेडिकल साइंस अब यह मानने लगी है कि मन की मानसिकता तन की बीमारी के रूप में प्रकट होती है और यह कि मानसिकता की निगेटिविटी और पॉजिटिविटी का असर भी बीमारी पर होता है। लेकिन अभी कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें केवल पवित्र क़ुरआन बताता है और वही बता सकता है; मेडिकल साइंस न उन्हें बताती है और न ही वह उन्हें बता सकती हैं जैसे कि महामारी फैलने या कोई बड़ी तबाही आने का मक़सद क्या होता है?
और हम यक़ीनी (क़यामत के) बड़े अज़ाब से पहले दुनिया के (मामूली) अज़ाब का मज़ा चखाएँगें जो अनक़रीब होगा ताकि ये लोग (मेरी तरफ) पलट आएं। -पवित्र क़ुरआन 32:21
महामारी फैलने या कोई बड़ी तबाही आने का मक़सद यह होता है कि लोग अपने क्रिएटर की तरफ़ पलट आएं और उसकी बड़ाई और उसका शुक्र करते हुए दूसरों के साथ वही व्यवहार करें, जो वे दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। जब हम इस मक़सद को पूरा करते हैं तो महामारी और तबाही टल जाती है। यह बात मेडिकल साईंस नहीं बता सकती। इसलिए हम बता रहे हैं क्योंकि आपको यह बात बताना हमारी ज़िम्मेदारी है।
महामारी फैलने या कोई बड़ी तबाही आने का मक़सद यह होता है कि लोग अपने क्रिएटर की तरफ़ पलट आएं और उसकी बड़ाई और उसका शुक्र करते हुए दूसरों के साथ वही व्यवहार करें, जो वे दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। जब हम इस मक़सद को पूरा करते हैं तो महामारी और तबाही टल जाती है। यह बात मेडिकल साईंस नहीं बता सकती। इसलिए हम बता रहे हैं क्योंकि आपको यह बात बताना हमारी ज़िम्मेदारी है।
इंटेग्रेटिव एप्रोच की ज़रूरत:
कोविड 19 जिस तरह पूरी दुनिया में महामारी की तरह फैल रहा है और इससे रोज़ाना जितनी मौतें हो रही हैं। जिस तरह चीन, फ्रांस और पाकिस्तान में कोविड 19 के मरीज़ों का इलाज करने वाले डाक्टर मरे हैं। उससे यह साबित हो गया है कि केवल एलोपैथिक डाक्टरों की सीमित संख्या के भरोसे कोविड 19 पर क़ाबू नहीं पाया जा सकता, जबकि अभी तक एलोपैथी में इस बीमारी की कोई दवा भी नहीं है और डाक्टर ख़ुद ख़तरे में हैं बल्कि वे घरों पर बैठे हुए आम लोगों के मुक़ाबले ज़्यादा ख़तरे में हैं। एलोपैथी के साथ सभी अल्टरनेटिव थेरेपीज़ के विशेषज्ञों की सेवाएं भी ली जाएं और इस महामारी को रोकने के सभी तरीक़ों और सभी सलाहों पर विचार किया जाए। किसी भी सलाह को बिना विचार किए, बिना जाँच पड़ताल किए रद्द न किया जाए। कोविड 19 की महामारी को रोकने के लिए हमें इंटेग्रेटिव एप्रोच की ज़रूरत है। सरकार के और कोविड 19 के विशेषज्ञ डाक्टरों के सभी आर्डर्स को फ़ोलो करते हुए आप #Allahpathy के इस लेख में बताई गई बातों पर अमल करेंगे तो आपकी इम्यूनिटी ज़रूर बढ़ेगी, यह बिल्कुल पक्की बात है। जिसकी आपको सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।
आप अल्लाह के पाक कलाम में एक जगह '19' बिल्कुल साफ़ लिखा पाएंगे, जो भयंकर कष्ट देने वाला बताया गया है।
'हम अनक़रीब (बहुत जल्द) उसे सक़र (नर्क) भेज देंगे.
और तुम क्या जानो कि सक़र क्या है?
वह किसी को छोड़ने वाली और बाक़ी रखने वाली नहीं है.
बदन को जलाकर स्याह कर देने वाली है.'
' उस पर 19 हैं.'
-पवित्र क़ुरआन 74:26-30
आपको यह देखकर ताज्जुब होगा कि
जिस बीमारी के हमले से दुनिया दहशत में है, उसका नाम है #covid_19
इस आयत में बताए गए 19 का कोविड 19 के 19 से लिंक हो सकता है क्योंकि दोनों ही कष्ट गंदगी से न बचने वालोंं को कष्ट देने वाले हैं।
आपको यह देखकर भी ताज्जुब होगा कि
इसी सूरत, सूरह मुदस्सिर के शुरू में रब ने यह फ़रमाया है:
अपने कपड़े पाक रखो.
और गन्दगी से दूर ही रहो.
अपनी कोशिशों को अधिक समझकर उसके क्रम को भंग न करो.
-आयत 4, 5 व 6
इसी बात पर आज सारी दुनिया की सरकारें ज़ोर दे रही हैं।
...और यह भी लिखा है कि
वह न बाक़ी रखेगी न छोड़ देगी.
-आयत 28
जो लोग कोविड 19 से बच जाएंगे, वे भी उसकी वजह से चौपट हो चुकी इकोनॉमी के कष्टों से न बच पाएंगे। बहुत लोग भूख और कुपोषण से मरेंगे।
जिन लोगों ने पवित्र क़ुरआन को सिर्फ़ फ़िक़ह और तन्ज़ीर और तब्शीर (डराने और ख़ुशख़बरी देने) के नज़रिए से ही पढ़ा है और तिब्बे नबवी से इलाज करना भूल चुके हैं। वे तिब्बी शुऊर (Medical awareness and) महरूम हैं। यक़ीनन वे यह कहेंगे कि क़ुरआन बीमारी की वजह और दवा बताने के लिए नाज़िल नहीं हुआ है। सूरह मुदस्सिर की आयत नंबर 30 में जहन्नम के 19 फ़रिश्तों का ज़िक्र है, जो नाफ़मान सरकशों को परलोक में सज़ा से है।
इसमें पहली बात यह कहनी है कि इस आयत में 19 के अदद के साथ फ़रिश्ता लफ़्ज़ नहीं है कि यह 19 का नंबर सिर्फ़ उन फ़रिश्तों तक ही सीमित समझा जाए और न ही यह कहा गया है कि जहन्नम के फ़रिश्ते केवल परलोक में ही ज़ालिम सरकशों को अज़ाब देंगे, दुनिया में नहीं। इसे पवित्र क़ुरआन की एक भविष्यवाणी माना जा सकता है, जो अब अपने ठीक वक़्त पर पूरी हो गई।
दूसरी बात यह है कि अगर आयत नंबर 31 से जोड़कर इसे अज़ाब देने वाले 19 फ़रिश्तों की गिनती मान लिया जाए, तब भी यह माना जाएगा कि अज़ाब देने वाले फ़रिश्तों के पास अज़ाब देने का सामान और कीड़े भी होते हैं, जिनसे वे अज़ाब देते हैं। इस तरह भी कोविड 19 का ताल्लुक़ जहन्नम से और उस पर नियुक्त 19 फ़रिश्तों से सिद्ध हो जाता है। आप पहले से चले आ रहे अनुवाद को सही मानते हुए भी यह समझ सकते हैं कि एक महामारी के नाम के साथ 19 का अदद आ रहा है तो यह क़ुदरत की तरफ़ से एक ग़ैबी इशारा है। जिससे इंसान के ज़ेहन में ख़ुद ब ख़ुद पवित्र क़ुरआन की वह सूरह आती है, जिसमें 19 का अदद आया है।
नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा है कि 'बुख़ार जहन्नम की भाप में से है। सो उसकी गर्मी को पानी से बुझाओ।'
حدیث نمبر: 5723
حدثني يحيى بن سليمان، حدثني ابن وهب، قال حدثني مالك، عن نافع، عن ابن عمر ـ رضى الله عنهما ـ عن النبي صلى الله عليه وسلم قال " الحمى من فيح جهنم فأطفئوها بالماء "
नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बुख़ार और जहन्नम का आपसी ताल्लुक़ बताया है।
जब बुख़ार जहन्नम की भाप है तो जिन कीड़ों की वजह से बुख़ार आता है, वे जहन्नम के कीड़े हैं और उनके प्रबंध को 19 फ़रिश्ते देखते हैं। यह आसानी से समझ में आने वाली बात है।
कोविड 19 में भी बुख़ार आता है तो इस बीमारी का ताल्लुक़ भी जहन्नम से और उस पर नियुक्त 19 फ़रिशतों से ही है।
अब हम यह देखेंगे कि
इंसानी बदन में जहन्नम की भाप कैसे बनती है?
आप साइंटिफिकली देखेंगे तो कोरोना वायरस के इंफ़ेक्शन के बाद बुख़ार आता है
यानि पहले जहन्नम के कीड़े आते हैं और फिर उनके लाईफ़ सायकिल से बदन में जहन्नम की भाप पैदा होती है!
अत: कोविड19 और जहन्नम के 19 फ़रिश्तों का आपसी ताल्लुक़ सिद्ध हुआ।
यह सब्जेक्ट एक तफ़्सीली मज़मून मांगता है लेकिन समझदार को इशारा काफ़ी है। सो आपके लिए इशारा कर दिया है।
जब बुख़ार जहन्नम की भाप है तो जिन कीड़ों की वजह से बुख़ार आता है, वे जहन्नम के कीड़े हैं और उनके प्रबंध को 19 फ़रिश्ते देखते हैं। यह आसानी से समझ में आने वाली बात है।
कोविड 19 में भी बुख़ार आता है तो इस बीमारी का ताल्लुक़ भी जहन्नम से और उस पर नियुक्त 19 फ़रिशतों से ही है।
अब हम यह देखेंगे कि
इंसानी बदन में जहन्नम की भाप कैसे बनती है?
आप साइंटिफिकली देखेंगे तो कोरोना वायरस के इंफ़ेक्शन के बाद बुख़ार आता है
यानि पहले जहन्नम के कीड़े आते हैं और फिर उनके लाईफ़ सायकिल से बदन में जहन्नम की भाप पैदा होती है!
अत: कोविड19 और जहन्नम के 19 फ़रिश्तों का आपसी ताल्लुक़ सिद्ध हुआ।
यह सब्जेक्ट एक तफ़्सीली मज़मून मांगता है लेकिन समझदार को इशारा काफ़ी है। सो आपके लिए इशारा कर दिया है।
कोविड 19 के अटैक का कारण, पवित्र क़ुरआन की रौशनी में:
यह बीमारी चीन में पैदा हुई, वहाँ क्यों पैदा हुई? इसकी वजह पवित्र क़ुरआन में यह बताई गई है।
'यह हरगिज़ न होगा वह तो मेरी आयतों का दुश्मन था. शीघ्र ही मैं उसे घेरकर कठिन चढ़ाई चढ़वाऊँगा.'
-आयत 12 व 13
कोविड 19 का इलाज:
पवित्र क़ुरआन की सूरह नंबर 74 आयत नंबर 13 में अल्लाह ने बता दिया है कि कोविड 19 की दवा ऊँचाई पर है।
चीन में ऊंची चढ़ाई पर एक फल मिलता है, जिसमें आँवले से अस्सी गुना ज़्यादा विटामिन सी होता है। इसका नाम #Seabuckthorn है। यह तिब्बत और लद्दाख़ में भी मिलता है। इसके पत्तों में भी बहुत ज़्यादा विटामिन सी होता है।
Seabuckthorn |
#Allahpathy के अनुसार
रब ने Covid_19 का इलाज भी इसी सूरह में बता दिया है।
आप इस सूरह को सूरह यासीन से जोड़कर पढ़ लें तो पूरा ट्रीटमेंट आपके सामने आ जाएगा।
सूरह यासीन की आयत नंबर 56 व 57 में अल्लाह की आयतों को मानने वाले फल खाने वालों के लिए सलामती की भविष्यवाणी है।
फलों से भरपूर मात्रा में विटामिन सी मिलता है और फलों का विटामिन सी इंसान की इम्यूनिटी को बूस्ट करता है।
अल्हम्दुलिल्लाह!
याद रखें कि सिंथेटिक विटामिन सी की गोलियाँ इम्यूनिटी को नेचुरल विटामिन सी जितना सपोर्ट नहीं करतीं। इसलिए विटामिन सी की गोलियाँ खाना फ़ायदा न देगा।
कोरोना वायरस बॉडी में जो ज़हर पैदा करेगा, उन ज़हरों को #अजवा_खजूर खाकर बेअसर किया जा सकता हैं।
#Ajwah Khajoor 7 अदद खाने वाले पर उस दिन कोई ज़हर असर नहीं करता। (भावार्थ हदीस
अल्लाह के नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ऐसा फ़रमाने के बाद #अजवाखजूर काफ़ी क़ीमती बिकने लगी और आज भी काफ़ी क़ीमती बिकती है। ग़रीब लोग इसे ख़रीद नहीं सकते। वैसे भी इसका प्रोडक्शन बहुत कम है।
ग़रीब लोग इसकी जगह #MoringaLeaves यानि सहजन की पत्तियाँ खा लें। उनके जिस्म में पड़े हुए ज़हर भी बेअसर हो जाएंगे और यह हर देश में पैदा होता है। हमारे देश में ग़रीब बिहारी भाई बहन इसे अपने घर आँगन में ज़रूर बोते हैं। इसमें विटामिन सी के साथ प्रोटीन और कैल्शियम भी बहुत होता है। इसके 28 ग्राम पत्तों में 7 गिलास संतरा जूस से ज़्यादा विटामिन सी होता है।
जो बूढ़ा बीमार रोज़ 20-20 ग्राम पत्ते कच्चे चबाकर या उन्हें सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर दोनों या तीनों टाईम खाने लगता है, उसका शरीर फिर से जवानी की तरफ़ लौटने लगता है क्योंकि यह दुनिया का #Highest ORAC valueFood है।
जो लोग डायलिसिस करा रहे हैं, वे इसके पत्ते खाने लगते हैं तो उनका डायलिसिस कम होने लगता है और उनके गुर्दे ठीक हो जाते हैं।
तौरात में लिखा है कि अल्लाह ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को पानी का ज़हरीला असर दूर करने के लिए इस #Tree Of Life पानी में डालने के लिए कहा था। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने ऐसा किया तो उस पानी का ज़हरीला असर दूर हो गया था। देखें: Exodus 15:25
वह पेड़ Moringa olrifera था। आज वैज्ञानिकों ने मोरिंगा यानि सहजन के इस गुण की पुष्टि कर दी है। सो आप जब पानी पिएं तो इसके कुछ पत्तों को धोकर उसके साथ खा लिया करें। इससे पानी का ज़हरीला असर दूर हो जाएगा क्योंकि आजकल पानी में आर्सेनिक और दूसरे ज़हरों की क्वांटिटी बढ़ चुकी है।
बुख़ार में टेम्प्रेचर को बढ़ने से रोकने के लिए:
नारियल पानी और मौसमी, संतर, कीनू या अनन्नास आदि साईट्रस फलों का जूस पीते रहें। बुख़ार आ जाए तो पहले दिन पानी के बजाय यही दोनों जूस पिएं और काफ़ी मात्रा में पिएं। अगर आपका वज़न 70 किलोग्राम है तो आप 7 गिलास नारियल पानी और 7 गिलास मौसमी, संतर, कीनू या अनन्नास आदि का जूस पिएं। अगले दिन इसका आधा कर दें और तीसरे दिन 2-2 गिलास कर दें। इससे आपके शरीर को बीमारी से लड़ने की शक्ति मिलेगी और वह बीमारी के वायरस और बैक्टीरिया आदि को बाहर निकाल देगा। बॉडी टेंपरेचर 101 और 102 से ऊपर नहीं जाएगा, इन् शा अल्लाह!
मरीज़ के शरीर पर ताज़े पानी में भिगोकर पाक साफ़ सूती कपड़ा रखते रहें। इससे भी टेम्प्रेचर में कमी आती है।
जिन लोगों को नारियल पानी और साईट्रस फल न मिलें, वे आयुर्वेदिक दवा 'महासुदर्शन चूर्ण' या 'महासुदर्शन घन वटी' खाएं। इससे भी हर तरह के नए और पुराने बुख़ार दूर भागते हैं।
शहरों से दूर आबाद गाँव देहात के लोगों को फल और आयुर्वेदिक दवाएं न मिलें तो वे राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. हरीश भाकुनी का बताया हुआ काढ़ा बनाकर पीते रहें।
आप इम्युनिटी बढ़ाने के लिए घर पर आयुर्वेदिक काढ़ा बना सकते हैं। इसके लिए एक लीटर पानी में कुटी हुई सौंठ, तुलसी की पत्तियां, गिलोय का गूदा, चिरायता, नीम और पपीते के पत्तों को डालकर उबालें। एक चौथाई रह जाने पर हटा लें। इसे हल्का गुनगुना करके पीएं। इससे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इसे दिन में 3-4 बार जरूर लें। एक मुट्ठी तुलसी के पत्तों और एक चम्मच लौंग पाउडर को एक लीटर पानी में उबाल कर रख लें। इस पानी को हर 2 घंटे के अंतराल पर लें। अदरक, लौंग और तुलसी की चाय को इस मौसम में नियमित तौर पर पीएं। खांसी अधिक आने पर कालीमिर्च पाउडर, सेंधा नमक और शहद को मिलाकर ले सकते हैं। या छोटी पिप्पली पाउडर को शहद के साथ खाना भी बेहतर विकल्प है। ज़ुकाम होने पर तुलसी की पत्तियां और अदरक का काढ़ा लें।
सूखी खाँसी का इलाज:
रब ने पवित्र क़ुरआन में शहद, अंजीर और सोंठ/अदरक का तारीफ़ के साथ ज़िक्र किया है। ये सब सूखी खाँसी को दूर करते हैं। ज़ैतून का तेल भी सूखी खाँसी के ख़िलाफ़ एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार है। यदि आप खाँसी से पीड़ित हैं, विशेष रूप से रात में, बिस्तर पर जाने से पहले ज़ैतून के तेल का एक बड़ा चमचा लेना याद रखें। शहद, अंजीर और ज़ैतून अंदर की गंदगी को ख़ारिज करके जिस्म को पाक करते हैं जिसका हुक्म सूरह मुदस्सिर में दिया गया है कि गंदगी से दूर ही रहो।
रब ने पवित्र क़ुरआन में शहद, अंजीर और सोंठ/अदरक का तारीफ़ के साथ ज़िक्र किया है। ये सब सूखी खाँसी को दूर करते हैं। ज़ैतून का तेल भी सूखी खाँसी के ख़िलाफ़ एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार है। यदि आप खाँसी से पीड़ित हैं, विशेष रूप से रात में, बिस्तर पर जाने से पहले ज़ैतून के तेल का एक बड़ा चमचा लेना याद रखें। शहद, अंजीर और ज़ैतून अंदर की गंदगी को ख़ारिज करके जिस्म को पाक करते हैं जिसका हुक्म सूरह मुदस्सिर में दिया गया है कि गंदगी से दूर ही रहो।
सबसे अच्छी दवा क़ुरआन है। -हदीस बहवाला तिब्बे नबवी, लेखक:इब्ने क़य्यिम)
कोविड 19 की दवा भी क़ुरआन है क्योंकि कोविड 19 के हमले की वजह भी चीन द्वारा पवित्र क़ुरआन को पढ़ने पर पाबंदी लगाना है और उसे बदलने की कोशिश करना है।
अल्लाह को यह पसंद नहीं है कि इंसान ख़ुद को इतना बड़ा समझे कि वह दूसरे लोगों के मानवाधिकार ख़त्म कर दे, उनकी आस्था, उनका धर्म, उनका सुख-चैन, उनकी आज़ादी और उनका जीवन ख़त्म कर दे।
जब ऐसा करने वाले कष्ट में पड़ें और वे उससे निकलना चाहें तो वे रब के सामने अपनी ग़लती मानकर उसे सुधार लें और 'सीधे रास्ते' पर चलें। इसी को तौबा कहते हैं। ऐसा करने से उनका कष्ट दूर हो जाएगा।
अब कुछ वीडियोज़ ऐसी सामने आई हैं, जिनमें चीन के लोगों को भारी संख्या में पवित्र क़ुरआन और मस्जिद के बाहर सड़क तक पर नमाज़ पढ़ते हुए दिखाया गया है। ऐसा लगता है कि चीन के हाकिम अपनी ग़लती समझ चुके हैं और वे उसे सुधार रहे हैं। इसके बाद यह ख़बर आई है कि चीन में कोविड 19 के नए मरीज़ मिलने बंद हो गए हैं। ... लेकिन शायद क्रिएटर की नज़र में इतना काफ़ी नहीं है क्योंकि अब चीन में एक नया वायरस Hantavirus पैदा हो गया है। जिससे Hantavirus Pulmonary Syndrome नाम की बीमारी पैदा हो गई है। जो लोगों की जान ले रही है।
इंसान की जान अपने रब की तरफ़ पलटकर और उसकी बड़ाई बयान करके ही बचेगी। यह तय है।
इंसान की जान अपने रब की तरफ़ पलटकर और उसकी बड़ाई बयान करके ही बचेगी। यह तय है।
और अपने रब की बड़ाई ही करो. -पवित्र क़ुरआन 74:3
आप लोग चलते फिरते 'अल्लाहु अकबर' 'अल्लाहु अकबर' अर्थात 'रचयिता पालनहार परमेश्वर सबसे महान है', कहते रहें। आप यह बात किसी भी भाषा में कह सकते हैं। इससे आपकी बॉडी की पावर तुरंत बढ़ेगी। जिसे आप #Muscle_Testing के जरिए तुरंत ही देख सकते हैं और मसल टेस्टिंग कैसे की जाती है इसे आप इंटरनेट पर, #Youtube पर वीडियोज़ में देख सकते हैं।
#कोविड_19 के इस इलाज को केवल वही लोग समझ सकते हैं, जिन्हें अल्लाह ने ईमान के साथ इल्मो-हिकमत बख़्शी है और जो लोग बीमारी की वजह और उससे शिफ़ा के क़ुदरती निज़ाम को समझते हैं। पवित्र क़ुरआन की सियासी तशरीह बहुत की गई है। आज उसकी आयतों की (Medical interpretation) की ज़रूरत है।
ख़ुलासा: जब ईमान और यक़ीन यानि अवचेतन मन के सही विश्वास के साथ शिफ़ाबख़्श फ़ूड खाया जाता है तो रब शिफ़ा देता है।
नोट: लेखक तिब्बे यूनानी का बैचलर है और नेचुरोपैथी में भी डिप्लोमा किया है। वह अपने बुख़ार, खाँसी और दर्दों को बिना एलोपैथिक दवाओं के हील करता है। लेखक फ़ूड को नेचुरल मेडिसिन मानता है।
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