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Allahpathy:THE BLESSING MONEY BAG THAT WOULD HELP EVERYONE TO BE RICH IN THE MONTH OF RAMADAN

By Hazrat Hakeem Mohammad Tariq Mahmood Chughtai Dear Readers! I Bring to you precious pearls and do not hide anything, you shou...

Thursday, November 14, 2019

अल्लाह नाम का अर्थ क्या है? Meanings of The Name of Allah

 Ashish Awasthi: आज से एक उर्दू का लफ्ज़ आप को सिखाऊंगा ।आज का शब्द है 

Musannif:writer
मुसन्निफ़ : लेखक ।
❤️❤️❤️❤️
Dr. Anwer Jamal: 
एक एक लफ़्ज़ उर्दू जानने वाले पाठक भी लिख दें तो पोस्ट पर दस बीस अल्फ़ाज़ की तालीम सबको मिल जाएगी।
महबूबा=प्रियतमा
❤️❤️❤️❤️

Mariyam Khan: Anwer Jamal Khan भाई, आप ने जो word meaning बताई, उसे तो भारत का बच्चा बच्चा भी जानता होगा, ये word शायद देश का सबसे प्रचलित शब्द होगा😆😆
❤️❤️❤️❤️
 Dr. Anwer Jamal: Mariyam Khan बहन!
आपने सही कहा है कि बच्चा-बच्चा जानता है कि उर्दू शब्द महबूबा का अर्थ हिंदी में प्रियतमा होता है, जो कि मैंने बताया है।
ऐसा हिंदी फिल्मों में गाए जाने वाले इश्क़िया उर्दू गानों की वजह से होता है। उर्दू की हिंदू बहन भाईयों में मक़बूलियत के पीछे इश्क़िया शायरी को बड़ा दख़ल है। जब सिनेमा के पर्दे पर एक ख़ूबसूरत लड़की नज़र आती है और एक लड़का उसे 'रश्के क़मर' कहता है तो सुनने वाले हिंदी भाषी लोगों को चाहे उसका अर्थ पता न हो लेकिन वे भी उसे सुनकर बहुत लज़्ज़त और खुशी महसूस करते हैं और उसे गाते हैं। ऐसे में वे उस लफ़्ज़ का अर्थ जानना चाहते हैं। मुझसे कई हिंदू भाइयों ने रश्के क़मर का मतलब पूछा है।
रश्के क़मर यानि हसीना के साथ जो चीज़ दिखेगी तो उस पर भी लोगों की नज़र जाएगी। यह देखकर एक मोबाईल कंपनी ने हीरो के हाथों में अपना मोबाईल थमा दिया ताकि वह उससे हसीना को देखे और लोग उस मोबाईल को देखें। जो दिखता है, वह बिकता है।
इसलिए जब उर्दू अल्फ़ाज़ समझाए जाएं तो सबसे पहले मुहब्बत से जुड़े शब्द बताए जाएं क्योंकि इन्हीं को जानना हिंदी पाठकों की दिली मुराद है और मुहब्बत के बारे में जानने से उन्हें ख़ुशी मिलती है। ख़ुशी के लिए ही इंसान महबूब और महबूबा की तलाश करता है।
लोग मुहब्बत को पहचानने के बाद ही अपने रब के निज नाम को पहचान सकते हैं और उसका अर्थ समझ सकते हैं। विपरीत लिंगी के प्रति दैहिक और मानसिक आकर्षण, पति पत्नी के बीच समर्पण, प्रेम और आनंद ये सब ईश्वर के नाम को पहचाने के साधन हैं। यही इंसान का सहज और स्वाभाविक रास्ता है जो उसे उसके रचयिता और विधाता तक सीधा पहुंचाता है और उसे यह सामर्थ्य देता है कि वह अपने जीवन से नफ़रत और नकारात्मकता को दूर करके मुहब्बत, ख़ुशी और खुशहाली पा सके।
हम यह बात मानते हैं कि कुछ लोग सिनेमा और भाषा का ग़लत इस्तेमाल कर रहे हैं।  हम इसे थोड़ा ज़रूर सुधार सकते हैं। सो सुधार की शुरूआत लोगों के अट्रैक्शन प्वाईंट से करें। लोगों का अट्रैक्शन प्वाइंट मुहब्बत करने वाला जोड़ा है।
इंसान शब्द उन्स यानी मुहब्बत से निकला है। इंसान का अर्थ हुआ प्रेमी। एक इंसान के अंदर हमेशा यह जज़्बा होता है कि वह किसी को टूटकर चाहे। उसके इस जज़्बे की तस्कीन (तृप्ति) अपने रचयिता और विधाता से प्रेम करने से होती है। दुनिया के रिश्ते नाते उस रब की मुहब्बत को महसूस करने और उस तक अपनी मुहब्बत पहुंचाने का ज़रिया होती हैं।
अब हम आपको एक ऐसी बात बताएंगे जिसे बच्चा बच्चा तो क्या जानेगा बूढ़े हाजी और नमाज़ी तक नहीं जानते और वह बात यह है कि
मौलाना फज़्लुर्-रहमान गंजमुरादाबादी रहमतुल्लाहि अलैह के अनुसार 
अल्लाह नाम का अर्थ मनमोहन है।
अल्लाह=मनमोहन
मैं अल्लाह नाम का अर्थ 'सच्चा प्रियतम' यानि हक़ीक़ी महबूब करता हूँ।
मौलाना यूनुस पालनपुरी अपनी किताब 'बिखरे मोती' में अल्लाह नाम का अर्थ हक़ीक़ी माबूद बताते हैं।
अल्लाह नाम का अर्थ बताने के लिए यह कमेंट काफ़ी नहीं है। इसके लिए एक पूरी किताब की ज़रूरत है और अभी तक ऐसी कोई किताब मेरी नज़र से नहीं गुज़री। कोई आलिम 'अल्लाह' नाम पर पूरी एक किताब लिख दे और उससे मांगने और पाने का यानि ऐसी दुआ करने का तरीक़ा भी लिख दे, जो क़ुबूल ज्ञो जाए तो इंसानियत की एक बड़ी ज़रूरत पूरी हो जाएगी।
भाषाओं का ज्ञान हमारे बीच मौजूद जहालत और नफरत की दीवार को गिराता है। हम सबको अपने हर कमेंट में नफ़रत को घटाने और मुहब्बत को बढ़ाने का काम करना है। जिससे व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और दुनिया का कल्याण होता है।
इंसान जब प्रेम करेगा तब वह सच्ची ख़ुशी महसूस करेगा। जो वह दूसरों को देगा, वही उसकी तरफ़ पलट कर आएगा।
अक़्ल ख़ुदा की निशानियों में ग़ौर कर सकती है। मुहब्बत आपको ख़ुदा के वुजूद को महसूस करा सकती है।
इसलिए मुहब्बत शब्द का अर्थ बच्चों के साथ बड़ों को भी जानना चाहिए और उसके तक़ाज़ों (आग्रह) को भी पूरा करना चाहिए ताकि जीवन सार्थक हो।
हम बच्चों जैसी बात करके निकल गये थे लेकिन आप नहीं मानीं और यह सब लिखवा लिया।
यह डायलॉग इस पोस्ट पर देखें:

Friday, October 18, 2019

Dua ke 2 Rukn kya hain? Dr. Anwer Jamal

Insan ki umr dua mangte hue guzar jati h lekin dua ke rukn jaisi eham baat pata nhi Hoti.
आप अपने ग्रुप में दुआ के रुक्न पूछकर देख लें कितने लोग इसे जानते हैं।
मैंने दीन का इल्म फैलाने वाले दोस्तों से फ़ेसबुक और व्हाट्स एप पर दुआ के बारे में एक सवाल पूछा:
आदाबे दुआ
दुआ के दो रूक्न (pillars) हैं, जिनके होने से दुआ का वुजूद होता है। मस्नून दुआओं के संकलन 
#Hisne_Haseen में लिखा है कि
वे दो रूक्न न हों तो दुआ का वुजूद न होगा।
किसी से पूछकर बताएं कि वे दो रूक्न क्या हैं?
#حصن_حصین

एक भाई ने फ़ेसबुक पर जवाब दिया, बस। बाक़ी लोगों के जवाब से पता  चला कि उन्हें दुआ के रूक्न पता न थे। तब मैंने यह पोस्ट लिखी:
दोस्तो, इख़्लास (Sacred Heart) और यक़ीन (Believe), ये दुआ के 2 रूक्न हैं। इनमें से एक भी कम होगा तो दुआ का वुजूद ही न होगा।
इस पर एक बहन ने इख़्लास के बारे में पूछा कि
Anwer Jamal Khan इखलास पर ज़रा और रौशनी डाले सर 🙏

मैंने जवाब में यह लिखा:
Isu Shaikh Siddiqui बहन, इख़्लास को समझने के लिए इस आयत को पढ़ें और समझें कि जो मुसाफ़िर डूबती हुई नाव में हर तरफ़ से निराश होकर सिर्फ़ एक अल्लाह की अनंत शक्ति को पहचानता है और ख़ुद को और हर चीज़ को पूरी तरह उसी के क़ब्ज़े में देखता है; उस वक़्त उसका दिल ख़ालिस होता है। दिल की वह कैफ़ियत इख़्लास है:

वही है जो तुम्हें थल और जल में चलाता है, यहाँ तक कि जब तुम नौका में होते हो और वह लोगो को लिए हुए अच्छी अनुकूल वायु के सहारे चलती है और वे उससे हर्षित होते है कि अकस्मात उनपर प्रचंड वायु का झोंका आता है, हर ओर से लहरें उनपर चली आती है और वे समझ लेते है कि बस अब वे घिर गए, उस समय वे अल्लाह ही को, निरी उसी पर आस्था रखकर पुकारने लगते है, "यदि तूने हमें इससे बचा लिया तो हम अवश्य आभारी होंगे।"
फिर जब वह उनको बचा लेता है, तो क्या देखते है कि वे नाहक़ धरती में सरकशी करने लग जाते है। ऐ लोगों! तुम्हारी सरकशी तुम्हारे अपने ही विरुद्ध है। सांसारिक जीवन का सुख ले लो। फिर तुम्हें हमारी ही ओर लौटकर आना है। फिर हम तुम्हें बता देंगे जो कुछ तुम करते रहे होंगे.
सूरह यूनुस आयत 22-23

मैं दूसरी पोस्ट में आपको दुआ की शर्तों के बारे में जानकारी दूंगा, इन् शा अल्लाह!

Monday, October 14, 2019

नेमतों भरी ज़िंदगी का साँचा क्या (mold) है?

इंसान ज़िंदगी भर पढ़ता है लेकिन जिंदगी को नहीं पढ़ता। इंसान ज़िंदगी में बहुत से सब्जेक्ट पढ़ता है लेकिन ज़िंदगी ख़ुद एक सब्जेक्ट है। वह उसे एक सब्जेक्ट की तरह नहीं पढ़ता। जिसका नतीजा यह होता है कि ज़्यादातर इंसान ज़िंदगी के इम्तिहान में फ़ेल हो जाते हैं सिवाय उन लोगों के जिन्होंने जिंदगी को पढ़ा है। ज़माना गवाह है कि ज़्यादातर इंसान घाटे में हैं।
ऐसा नहीं है कि इंसान ने कभी ज़िंदगी को पढ़ने और समझने की कोशिश नहीं की। उसने कोशिश की है और कुछ लोगों ने बहुत ज़्यादा कोशिश की है लेकिन ज़्यादातर इंसानों के लिए ज़िंदगी हमेशा एक राज़ रही है।
लोग देखते हैं कि अचानक पानी रूप बदलने लगता है और एक इंसान जन्म लेकर माँ की गोद में आ जाता है। फिर वह नेचुरली ख़ुद ब ख़ुद बढ़ने लगता है और उसका दिल इस दुनिया में ख़ूब रम जाता है। वह किसी को अपना महबूब और किसी को अपना दुश्मन मान लेता है। वह ख़ुशी और ग़म के साथ अपने दिन गुज़ारता है। उसकी ज़िंदगी में ख़ुद ब ख़ुद छोटे बड़े वाक़यात पेश आते रहते हैं। उसके सामने ज़मीनो आसमान की हर चीज़ ख़ुद ब ख़ुद घूमती रहती है दिन और रात ख़ुद ब ख़ुद आते रहते हैं। मौसम खुद ब ख़ुद बदलते रहते हैं। बीज से पेड़ खुद निकलते हैं और पेड़ पर फल ख़ुद आते हैं। जानवर और परिंदों की नस्लें खुद-ब-खुद पैदा होती रहती हैं। कोई इंसान अच्छा या बुरा जो भी अमल करता है उसका नतीजा भी कुछ वक़्त बाद एक दिन ख़ुद ब ख़ुद सामने आ जाता है। वह इन सब मौज्ज़ों और मिरेकल्स का इतना आदी हो जाता है कि उसे इन पर हैरत भी नहीं होती। वह अभी इस दुनिया में और जीना चाहता है लेकिन उसे मौत आ जाती है। न चाहते हुए भी उसे अपनी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ मरना पड़ता है। उसके घर वालों और दोस्तों को उसकी जुदाई पर सब्र करना पड़ता है।
एक इंसान देखता है कि बहुत बार उसकी ख़्वाहिश बिना उसकी ज़ाहिरी कोशिश के ख़ुद-ब-ख़ुद पूरी हो जाती है और फिर वही इंसान यह भी देखता है कि वह एक ज़रूरत के लिए अपनी सारी कोशिशें कर लेता है लेकिन उसकी वह ज़रूरत पूरी नहीं होती। वह ज़िंदगी भर यह नहीं समझ पाता कि कई बार उसकी ख्वाहिशें ख़ुद ब ख़ुद क्यों पूरी हो गईं और कई बार उसकी सारी कोशिशों के बाद भी उसकी ज़रूरत क्यों पूरी न हुई?
इंसान इस दुनिया की ज़िंदगी में कई बार देखता है कि नेक शरीफ़ लोग ग़रीबी और पस्ती में जी रहे हैं और ज़ालिम लोगों को खुशियां और तरक़्क़ी नसीब हो रही है।
ऐसे बहुत से सवाल होते हैं जिन पर इंसान सोचता है लेकिन उनके होने में वह किसी क़ानून (law) को डिस्कवर नहीं कर पाता। इस कायनात में cause-and-effect (कार्य-कारण) का क़ानून जारी है। जहां कहीं भी कुछ हो रहा है उसके होने के पीछे कोई वजह ज़रूर है। जब इंसान उस वजह को नहीं जान पाता तो वह उसे मर्ज़ी ए मौला मान लेता है या फिर उसे इत्तेफ़ाक़ का नाम दे देता है।
हम अपने बदन को देखते हैं तो उसमें एक बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड सिस्टम मौजूद है, जिसे कोई इंसान आज तक पूरा नहीं समझ सका है लेकिन इसके बावजूद हमारे साँस का आना और जाना, हमारे दिल का धड़कना, हमारे पेट में खाने का हज़्म होना और उससे ख़ून और हड्डी का बनना; सब कुछ ख़ुद-ब-ख़ुद और बहुत आसानी से होता रहता है। इस ज़मीनो आसमान का पूरा सिस्टम बहुत ज़्यादा कॉम्प्लिकेटेड है। जिसे आज तक कोई इंसान पूरा नहीं समझ सका है कि यह कैसे काम करता है? लेकिन इसके बावुजूद यह आसानी से हर वक़्त काम करता है। इंसान के अंदर और उसके चारों तरफ़ हर चीज़ में कॉम्प्लिकेटेड सिस्टम मौजूद है लेकिन इसके बावुजूद वह बहुत आसानी से काम करता है और वह इंसान की फ़लाह (कल्याण, wellness) में काम करता है। ठीक ऐसे ही ज़िंदगी अपने आप में बहुत कॉम्प्लिकेटेड है जिसे अपने तजुर्बात से पूरी तरह समझना किसी इंसान के लिए मुमकिन नहीं है लेकिन इसके बावुजूद वह बहुत आसानी से काम करती है और जो कुछ आप अपने दिल में या अपने जिस्म से अच्छा या बुरा अमल करते हैं, वह उसका नतीजा ख़ुद ब ख़ुद आपके सामने ले आती है। जिनके अच्छे या बुरे आमाल का नतीजा मौत से पहले सामने नहीं आ पाता, उनके सामने उनका नतीजा मौत के बाद आ जाता है क्योंकि मौत जिस्म को आती है उस शुऊर (चेतना, Consciousness) को मौत नहीं आती जो इस बदन को चलाती है।
यह बात हमेशा याद रखें कि ज़िंदगी हमेशा आपके हित में काम करती है जब तक कि आप अपनी नासमझी से उसे अपने ख़िलाफ़ न कर लें।
अगर आप अपनी ज़िंदगी को ख़ुद अपने तजुर्बात की बुनियाद पर समझना चाहो तो नहीं समझ पाओगे। आपके लिए आपकी जिंदगी हमेशा एक अनसुलझी पहेली रहेगी। हाँ, जिसने ज़िंदगी को पैदा किया है, अगर आप उसके नाम से ज़िंदगी को पढ़ने और समझने की कोशिश करते हैं तो आपके लिए आपकी ज़िंदगी बल्कि हर एक की ज़िंदगी एक खुली हुई किताब बन जाएगी। तब आप ख़ुशी और ग़म, कामयाबी और नाकामी, बुलंदी और पस्ती की वजह जान सकते हैं। आप नेमतें मिलने और नेमतें छिन जाने की वजह जान सकते हैं। आप अपनी सबसे बुनियादी ज़रूरत और सबसे बड़ी मुराद को पूरा करने का तरीक़ा जान सकते हैं।
इंसान की सबसे बुनियादी ज़रूरत और सबसे बड़ी मुराद क्या है?
फ़लाह, कल्याण और वैलनेस!
आप ज़िंदगी जीने का सबसे सीधा और सबसे आसान तरीक़ा जान सकते हैं।
आप ज़रूर जानना चाहेंगे कि ज़िंदगी जीने का सबसे सीधा और सबसे आसान तरीक़ा क्या है?
वह तरीक़ा है शुक्र का तरीक़ा!
जब हम रब के कलाम में पवित्र क़ुरआन की सबसे पहली सूरह पढ़ते हैं तो उसमें रब के नाम के बाद सबसे पहले शुक्र के बारे में बताया गया है। उसके बाद वह हमें सीधे रास्ते की दुआ माँगना सिखाता है।
वाह, क्या ख़ूब है उसका देना। वह माँगने से पहले देता है।
शुक्र का तरीक़ा ज़िंदगी गुज़ारने का सबसे सीधा और सबसे ज़्यादा आसान तरीक़ा है। शुक्र एक नज़रिया है। आपका नज़रिया आपकी ज़िंदगी का सांचा (mold) है। कील से लेकर हथौड़ी तक, मोटरसाइकिल के पार्ट्स से लेकर रॉकेट के पार्ट्स तक हरेक चीज़ एक ख़ास साँचे में ढलकर बनती है। कील के साँचे से कील बनती है और हथौड़ी के साँचे से हथौड़ी। शुक्र के साँचे से नेमतों भरी ज़िंदगी बनती है और नाशुक्री के साँचे से बर्बाद ज़िंदगी। अब जो चाहे शुक्र करके अपनी ज़िंदगी में नेमतें पा ले या नाशुक्री करके अपनी ज़िंदगी को अपने ख़िलाफ़ कर ले। उसके बाद उसकी ज़िंदगी ही उसे बर्बाद कर देगी।
शुक्र पर क़ाबिल लोगों ने बहुत कुछ लिखा है। मैंने उसे पढ़कर यह जाना है कि शुक्र का मतलब है क़द्र करना। अरबी के शब्द 'अल्हम्दुलिल्लाह' में शुक्र के साथ अल्लाह की तारीफ़ भी आ गई है। इसमें क्रिएटर को 'अल्लाह' कहा गया है। जिसका अर्थ  है वह हस्ती जिससे दिल की गहराईयों से वालिहाना मुहब्बत की जाए। जिसके हुक्म और क़ानून को माना जाए।
जब आप अपने दिल की गहराईयों से अपने क्रिएटर से मुहब्बत करते हैं, उसका शुक्र और उसकी तारीफ़ करते हैं तो आप उस वक़्त सबसे हाई लेवल की और पॉज़िटिव फ्रीक्वेंसी (नूर) यूनिवर्स में छोड़ते हैं। यह नूर आपकी ज़िन्दगी में अच्छे हालात, अच्छे लोग और तरक़्क़ी के नए मौक़े दिखाएगा।
जब आप रब की नेमतों को सही मक़सद में इस्तेमाल करते हैं और ज़रूरतमंदों के साथ रब के क़ानून के मुताबिक़ उन्हें शेयर करते हैं तो आप उनकी क़द्र करते हैं। आपकी क़द्रदानी से वे नेमतें देर तक बाक़ी रहती हैं और वे बढ़ती हैं।
आप अपनी ज़िन्दगी में जिन नेमतों को बढ़ाना चाहते हैं, आप उन्हें ज़रूरतमंदों की मदद में ख़र्च कीजिए।
आप ज़्यादा दौलत चाहते हैं तो आप अपना कुछ माल ज़रूरतमंद अनाथों, बेघर ग़रीबों पर ख़र्च करें।
आप ज़्यादा इल्म चाहते हैं तो आप दूसरों को इल्म दें।
आप दूसरों से इज़्ज़त चाहते हैं तो आप उन्हें इज़्ज़त दें, जिन्हें समाज के लोग अपने पास नहीं बिठाते।
आप नंगों को कपड़ा पहनाएंगे तो कभी कोई भी आपकी इज़्ज़त नहीं उतार पाएगा।
जैसा आप दूसरों के साथ करेंगे, वैसा आपके साथ ख़ुद हो जाएगा। जिस पैमाने से आप दूसरों को नापते हो, उसी पैमाने से आपके लिए नापा जाता है। अगर आप क़ुदरत के इस क़ानून को बहुत अच्छी तरह समझ लो तो फिर ज़िंदगी आपके लिए अनसुलझी पहेली नहीं रह जाएगी।
आप अंदर से अच्छे हैं तो आप दूसरों के साथ अच्छा करेंगे और आपके साथ अच्छा होगा।
आप अंदर से बुरे हैं तो आप दूसरों के साथ बुरा करेंगे और आपके साथ भी बुरा ही होगा।
आप शुक्रगुज़ार हैं तो आप अंदर से अच्छे हैं।
आप शुक्रगुज़ार नहीं हैं तो आप नाशुक्रे हैं यानि कि आप अंदर से बुरे हैं।
आप कह सकते हैं कि मैं शुक्रगुज़ार हूं। कोई आदमी आपको कोई गिफ़्ट देता है तो आप उसे शुक्रिया बोलते हैं। एक अच्छी रस्म है लेकिन याद रखें कि सिर्फ़ इस आदत से आप शुक्रगुज़ार नहीं हो जाते। जब आप अपने रब से ख़ुश होते हैं और यह ख़ुशी आपकी आदत होती है, आपका मेन्टल एटीट्यूड होती है; तब आप आदतन शुक्रगुज़ार होते हैं।
Gratitude लैटिन मूल, gratus से बना है, जिसका अर्थ है ख़ुशी या ख़ुशी देने वाला। शुक्रगुज़ार होना ख़ुशी से भरा होना है। सिर्फ़ शुक्रगुज़ार आदमी ही अपने मेन्टल एटीट्यूड की वजह से अंधेरे में रौशनी और नेगेटिव में पॉज़िटिव देख सकता है। जब आम लोग प्रॉब्लम पर ध्यान फोकस करते हैं और वे ग़म और डर से परेशान रहते हैं, तब शुक्र करने वाला बंदा उनके हल पर विचार करता है। जिससे उसे ख़ुशी महसूस होती है।
आप ज़िंदगी में पेश आने वाले बुरे वाक़यात को कैसे मैनेज करते हैं? आप ध्यान दें कि हरेक शर में से भी कुछ ख़ैर ज़रूर निकलता है। ख़राब या नकारात्मक घटनाओं के भी सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। आप अपनी ज़िंदगी का कोई ऐसा तजुर्बा याद करें जो आपको नापसंद था।  इस नापसंद तजुर्बे के सकारात्मक पहलुओं या नतीजों पर ध्यान दें।  नतीजे में, क्या आपको उससे ऐसा कुछ मिला जिसके लिए आप अब शुक्र करते हैं?  क्या इस तजुर्बे ने आपको एक बेहतर इंसान बनाया है?  क्या इस तजुर्बे ने आपको ज़िंदगी में कोई अहम सबक़ सिखाया है?  क्या आप नतीजे के रूप में फायदेमंद सबक़ के लिए शुक्र कर सकते हैं?

अपने दिमाग़ के काम करने का तरीक़ा बदलें
एक हालिया स्टडी हमें यह समझने में मदद करती है कि शुक्र हमारे दिमाग़ के काम करने के तरीके पर कैसे असर डालता है।  प्रतिभागियों को तीन हफ़्ते के लिए दूसरे लोगों के लिए शुक्र के सादा और छोटे जुमला लिखने के लिए कहा गया था।  एक एमआरआई स्कैन ने प्रतिभागियों के दिमाग़ को मापा और पाया कि वे प्रीफ़्रंटल कॉर्टेक्स में अधिक तंत्रिका संवेदनशीलता दिखाते हैं, जो दिमाग़ का सीखने और निर्णय लेने से संबंधित एरिया है।
जब आप शुक्र करते हैं, तो इसका दिमाग़ पर स्थायी प्रभाव पड़ता है।  स्टडी बताती है कि शुक्र का एक सादा, छोटे जुमले लिखने के काम के महीनों बाद भी, लोगों का दिमाग़ एक्स्ट्रा थैंकफ़ुल महसूस करने के लिए अब तक तैयार था।  मतलब यह है कि शुक्र का स्थायी असर छोड़ने का अपना एक मिज़ाज होता है। जितनी ज़्यादा आप इसकी प्रैक्टिस करते हैं, उतने ही ज़्यादा आप इसके लिए तैयार हो जाते हैं।
घरों में काम करने वाली नौकरानी इतनी गहरी जानकारी नहीं समझ सकती। हमारे घर में सायरा नाम की एक औरत काम करने के लिए आती है, जो बिहार की रहने वाली है। आज सुबह उसकी जगह उसकी बेटी मुन्नी काम करने के लिए आई। मैंने सोचा कि मैं उसे शुक्र के बारे में सबसे आसान तरीक़े से कैसे समझा सकता हूँ?
मुन्नी उस वक़्त भिंडी काट रही थी। मैंने उससे कहा कि मुन्नी अगर तुम दिन में 1000 बार ख़ुशी के साथ अल्हम्दुलिल्लाह कहो तो 6 महीने के अंदर तुम्हें कोई बड़ी ख़ुशी ज़रूर मिलेगी। यह ज़्यादा दौलत भी हो सकती है या कुछ और हो सकता है। तुम्हारी कोई बड़ी मुराद भी पूरी हो सकती है। तुम पूरे दिन हाथ में माला लेकर नहीं गिन सकतीं। इसलिए  काम करते वक़्त ख़ुश होकर 'अल्हम्दुलिल्लाह' कहती रहा करो। तुम्हारे पास आंखें और हाथ हैं। तभी तुम ये भिंडी काट रही हो। तुम इस बात पर ख़ुश हो सकती हो और शुक्र कर सकती हो। वह मेरी बात सुनकर मुस्कुराने लगी। मैंने मुन्नी से कहा कि मैं तुम्हें जब भी देखूंगा तो अल्हम्दुलिल्लाह कहकर शुक्र करना याद दिलाऊंगा। वह और ज़्यादा मुस्कुराने लगी।
यह बात आपको बताने का मक़सद यह है कि जो लोग समाज में सेहत, दौलत, इज़्ज़त और तालीम में आखिरी सतह पर जी रहे हैं, आप उन्हें शुक्र की तालीम देकर उनकी ज़िंदगी में बेहतर बदलाव ला सकते हैं।
(जारी...)

Friday, October 11, 2019

First lesson of Allahpathy (Concised Version) Dr. Anwer Jamal

Study of Self: ऊपर उठने का सबसे आसान तरीक़ा
✨💖✨
Allahpathy ke is concised version me 3 lessons hain. Jinme se pahla yahan pesh hai.
💚💖✨
*First lesson of Allahpathy*
"Aap Ho."
Yh sach hai. Is sach par dhyan do.
Apne *Hone* ko mehsus karo.
'Main Hun.'
'Main kaun hai?'
Jo body ke zariye saans le raha hai.
✨💖✨
Apni saans ko andar jaate hue mehsus karo.
Use bahar aate hue feel karo.
Saans ab bhi andar ja rahi h
Bahar aa rahi h
Lekin abhi aap usse ghafil (unconscious) ho.
✨💖✨
Jab saans andar jaaye to jab woh naak me ho to aap dhyan me naak ko feel karo
Jab woh gale se guzre to dhyan gale me ho
Jab saans seene me ho to dhyan bhi seene me ho aur jab saans pet me bhar raha ho to aap pet ko feel karo.
Gharz yh hai ki
Saans par dhyan ho,
Jahan saans ho,
Waheen dhyan ho.
Jab saans bahar nikle to bhi dhyan pet, seene, gale aur naak par rahe.
✨ ✨💖
Apne dil mein jo khyal aa rahe hain aur jo images ban rahi hain unka notice lo.
Kaun sa khayal aisa hai jo bar bar aata hai?
Kaun si images aisi hain jo bar bar Dil mein automatically Banti rahti hain.
Kaun sa ehsaas aisa hai jo har waqt Dil per Chhaya rahata hai
Gham ka, Khushi ka, dar ka, worthlessness ka, garibi ka, ya jo bhi ho,
In Sab baton ka notice lo.
✨💖✨
Aapke Dil mein Ek Puri duniya abaad hai. is duniya par tawajjo do.
✨💖✨
Yh Rab ki nemat aur nishani h.
Phir use feel karo jo
Saans le raha h.
Woh *formless* hai.
Woh bas *hai*.
Wohi aap ho.
✨💖✨
Aap body nhi ho.
✨💖✨
Jo aap ho, use pahchano.
✨💖✨
Isse aapko apni sahi pahchan hogi aur
Aap *main physical body hun.* Ke shuoor se oopar uthoge.
📚
Yh Rab ka qanun hai ki
Jab aap khud oopar uthoge to bahar ki koi taqat aapko niche nhi kar sakti.
Alhamdulillah.

Jab dusre aapko bahar se nicha karne me lage hon
Tab aap khud ko andar se oopar uthane me lag jaayen.
Instant Fayda:
1. Self awareness hasil hogi.
2. Aap past aur future me mind traveling karte rahte hain. Isse aap 'ab ke pal' (Now) me present ho jayenge, jahan aap hain.
3. Gham aur Darr se free rahenge, jab tak aap yh exercise karenge.
4. Aap Peace aur Freshness feel karenge.
✍🏻
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1736316286502009&id=100003709647931

Sunday, September 15, 2019

कलौंजी हरेक मर्ज़ को कब दूर करती है? -Dr. Anwer Jamal


अलहम्दुलिल्लाह, कल ज़िला बुलंदशहर के क़स्बा सिकंद्राबाद में जाना हुआ। वहां अमानुल्लाह ख़ालिद साहब से उनके घर पर मुलाक़ात की। जनाब अमानुल्लाह ख़ालिद साहब एक बेहतरीन शायर हैं। उन्होंने पवित्र क़ुरआन का काव्य अनुवाद (poetic translation) किया है। उनके भाई और बेटे और भतीजे और दोस्त भी वहां बातचीत सुनने के लिए आ गए। जनाब डॉक्टर सैफ़ुल्लाह अंसारी साहब भी इस मजलिस में शामिल थे, जो जनाब अमानुल्लाह ख़ालिद साहब के भाई हैं और एक बहुत अच्छे होम्योपैथ हैं। मैंने उनके इलाज से बहुत मरीज़ ठीक होते हुए देखे हैं। उनसे ब्लड कैंसर और ट्यूमर के मरीज़ भी ठीक हुए हैं।
हॉल की सभी कुर्सियाँ भर गईं। बहुत से मुद्दों पर चर्चा हुई। उन मुद्दों में सब इंसानों की और मुस्लिमों की वैलनेस का मुद्दा भी था। लोगों की समस्याएं जीवन का सच्चा मुद्दा हैं। जब भी कुछ लोग कहीं मिलकर बात करेंगे तो उनकी समस्याएं मुद्दा बनेंगी।
रब ने लोगों को अक़्ल दी है जिससे वे विचार करके अपनी समस्याओं का हल तलाश कर लेते हैं और कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनमें अक़्ल चकरा जाती है कि सही बात क्या है? उन्हें साफ़-साफ़ बताने के लिए रब ने अपने नबी और रसूल भेजे; जैसे कि कोई इंसान अपने अक़्ल से यह नहीं बता सकता कि ज़िन्दगी का मक़सद क्या है और मरने के बाद इंसान के साथ क्या होगा?
इन दोनों बातों का इंसान की वैलनेस से गहरा रिश्ता है। अपने पैदा करने वाले के वजूद को और उसकी खूबियों को मानने का इंसान की वैलनेस पर असर पड़ता है। इंसान जो कुछ अपने हाथ से फ़िज़िकल दुनिया में करता है  उसका असर भी उसकी वैलनेस पर पड़ता है। इंसान अपने दिल की दुनिया में चुपके चुपके जो कुछ सोचता है, उसका असर उस पर पड़ता है। इंसान अपने आप से जो बातें करता, उसका असर ज़िन्दगी पर पड़ता है। वह अपनी नज़र में अपने आप को जैसा मानता है, वह एक मुद्दत के बाद वैसा ही बन जाता है। सभी लोग बहुत ध्यान और शौक़ से बातों को सुन रहे थे। उनके शौक़ की वजह से मेरे दिल से सब की भलाई के लिए खुद ही बातें निकल रही थीं।
उस गुफ़्तगू का ख़ुलासा आपके लिए भी मुफ़ीद होगा। मैंने आपको समझाने के लिए कुछ बातों का इज़ाफा कर दिया है ताकि यह छोटा सा लेख आपके सामने वैलनेस गुरू बनकर समाज सेवा करने का कांसेप्ट क्लियर कर दे।
सबसे पहले हर इंसान को और सब मुस्लिमों को यह जानना जरूरी है कि हमारा बुनियादी मुद्दा यानि हमारी ज़िन्दगी का असल मक़सद फ़लाह पाना है। फ़लाह का मतलब है फल पाना। अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में फ़लाह लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया है। जिसे खेती करने वाले अरब किसान बहुत आसानी से समझ लेते हैं। एक किसान जब खेती करता है तो उसका मक़सद फल पाना होता है ताकि वह अपना और अपने परिवार वालों का और अपने ऊपर निर्भर लोगों का पालन पोषण कर सके, सभी जरूरतें पूरी कर सके और विकास कर सके। जो किसान आम के पेड़ लगाता है उसे आम मिलते हैं और जो किसान अपनी जमीन में कुछ नहीं बोता, उसमें खुद-ब-खुद बबूल पैदा होते हैं। जब कभी वह अपने खेत में जाता है तो उसे वहां बबूल मिलते हैं।
जैसे एक किसान खेती करता है और फिर एक मुद्दत के बाद वह फल पाता है, वैसे ही हर एक इंसान अपने दिल से और अपने जिस्म से जो कुछ करता है, वह अमल की खेती करना है और उसका फल भी उसे हालात के रूप में ज़रूर मिलता है। वह अच्छी खेती करता है तो उसे अच्छे फल मिलते हैं। उसके हालात अच्छे हो जाते हैं और अगर वह अपनी खेती की तरफ से ग़ाफ़िल रहता है तो उसे बुरे फल मिलते हैं। उसके हालात बुरे हो जाते हैं।
अमल की खेती में अंदर बाहर यानी दिल और जिस्म दोनों से काम लिया जाता है। हर आदमी हर समय इन दोनों से काम लेता रहता है। जैसे जिस्म का बाक़ी रहना दिल के ऊपर निर्भर है वैसे ही जिस्म जो भी काम करता है, उन्हें वे कोर बिलीफ़ कंट्रोल (core beliefs) करते हैं जो दिल में होते हैं।
1. इस यूनिवर्स में कॉज़ एंड इफ़ेक्ट (cause and effect) का रूल मौजूद है। अगर कहीं कोई काम हो रहा है तो उसकी कोई वजह ज़रूर है।
2. इस यूनिवर्स में लॉ ऑफ अट्रैक्शन काम करता है एक चीज़ अपने समान चीज़ को अपनी तरफ़ आकर्षित कर लेती है।
3. यहाँ लॉ ऑफ़ इंटेंशन काम करता है। जब आप किसी काम की नियत करते हैं तो आपको उस काम के होने के लिए जरूरी साधन, मौक़े और लोग नज़र आने लगते हैं।
4. यहां लॉ ऑफ़ जेस्टेशन (law of gestation) का नियम काम करता है कि हर एक चीज को परवरिश पढ़ने के लिए एक वक्त की ज़रूरत होती है।
5. यहाँ विश्वास का नियम काम करता है कि जैसा आपका विश्वास है वैसा आपके साथ होगा। यहां विश्वास से वह गहरा विश्वास मुराद है जो आपके सबकॉन्शियस माइंड का पैटर्न है, जो बचपन से बनता हुआ आया है और जिससे आप अनकॉन्शियस (अन्जान) हैं। आपके अनकॉन्शियस बिलीफ़ रब के क़ानूने क़ुदरत के तहत आपकी फ़िज़िकल रियलिटी को क्रिएट और कंट्रोल कर रहे हैं लेकिन आप नहीं जानते। इंसान की सबसे बड़ी ट्रेज्डी यही है कि वह अपने हालात की क्रिएशन प्रोसेस से अनकॉन्शियस और अनजान है।
एक आदमी सोचता है कि 
'मैं ग़रीब हूं। मैं मज़लूम हूं। ज़माना ख़राब है।'
यह एक आम विश्वास है, जो समाज में सब लोगों के दिलों में बहुत गहराई तक जमा हुआ है। यह विश्वास घातक और सीमित विश्वास है। एक घातक विश्वास बबूल के बीज की तरह है। यह कोर बिलीफ़ आपकी ज़िन्दगी में ग़रीबी के हालात लाएगा। यह कोर बिलीफ़ आपकी ज़िन्दगी में ऐसे ज़ालिमों को लाएगा जो आप पर ज़ुल्म करेंगे। ज़माने की खराबी में विश्वास करना आपको ख़राब हालात में रखेगा। आप अपनी जिन्दगी के बाहरी हालात में वह सब देखेंगे और फ़ील करेंगे, जो कुछ आपके दिल में, आपके सबकॉन्शियस माइंड में कोर बिलीफ़ के रूप में मौजूद है।
आपको ग़रीबी से निकलना है, आपको किसी ज़ालिम से छुटकारा पाना है, आपको ख़राब हालात से निकलना है तो आपको अपने दिल से वे कोर बिलीफ़ निकालने होंगे, जो इन बाहरी हालात के जिम्मेदार हैं। आपको अपने दिल में अपने लिए यह काम ख़ुद ही करना होगा क्योंकि अपने दिल में आप ही सोचते हैं। आपको अपनी सोच पर नज़र रखनी होगी। आपको अपनी बुरी सोच को अच्छी सोच से बदलनी होगी। इसके लिए आपको अपने दिल में अच्छे विचारों को बार-बार रिपीट करके उन्हें कोर बिलीफ़ बनाना होगा।
'रब रहमान है। जिंदगी आसान है। मैं पूरी मौज लेता हूं। मैं अब खुश हूं मेरी ज़रूरत की हर चीज़ मेरे मांगने से पहले मुझे मिल जाती है। ज़मीनो आसमान के हर चीज़ मेरी वैलनेस के लिए काम करती है। मेरी जिंदगी के हर पहलू में मेरे हालात रोज़ पहले से बेहतर हो रहे हैं। मैं अपने रब का शुक्रगुजार हूं क्योंकि वह मुझ पर बेहद मेहरबान है। जब मैं बीमार पड़ता हूं तो वही मुझे शिफा देता है। वही मुझे खिलाता और पिलाता है। मुझे अल्लाह काफ़ी है और वह मेरे सब काम अच्छे बनाता है।'
ये अच्छे विश्वास हैं जो आपकी जिंदगी को सपोर्ट करते हैं।
आपको दौलत, सेहत और कामयाबी से संबंधित कोई और विचार ज़रूरी लगे तो आप उसे भी बोल सकते हैं।
सेंटेंस क्लियर हो,
पॉज़िटिव हो और
आप उसे प्रेज़ेंट टेंस में बोलें।
जैसे कि आप अमीर होना चाहते हैं या आप सेहतमंद होना चाहते हैं तो आप आई एम रिच, आई एम हेल्दी बोलें। शुरू में यह आपको झूठ लगेगा लेकिन इन्हें बार-बार रिपीट करने से आपका सबकॉन्शियस माइंड इन्हें एक्सेप्ट कर लेगा।
आप इन्हें रोज़ाना 500 बार रिपीट करेंगे तो ये आपके कोर बिलीफ़ बन जाएंगे।
आप इन्हें दिन में एक बार में 500 बार कह सकते हैं, सुबह शाम दो बार में भी कह सकते हैं और आप इन्हें दिन में 100-100 करके पाँच बार में भी 500 बार रिपीट कर सकते हैं।

सेल्फ़ टॉक (self-talk)
सबसे आसान और असरदार तरीक़ा यह है कि आप इन्हें अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लें। आप रात को सोते समय बिस्तर पर अपना जिस्म ढीला छोड़ दें। दस बार गहरे साँस लें। हर तरफ़ से अपना ध्यान हटाकर इसे सुनें और जो कुछ आप सुन रहें;
उस सीन को अपने दिल में देखना शुरू करें कि वह आप इसी पल में हैं। आप अपनी रिचनेस और हेल्थ को देखें और फ़ील करें। आप अपने पास अपनी ज़रूरत की हर चीज़ देखें। अगर आप की ज़िन्दगी में कोई ज़ालिम है और आप उसे अपने आप से दूर करना चाहते हैं तो आप उसे दूर जाते हुए और फिर नज़रों से ओझल होते हुए देखें। आप अपने जीवनसाथी से प्रेम पाना चाहते हैं तो उसे खुद से प्रेम करते हुए देखें। आप इसे टेस्ट, टच, विज़न, साउंड और स्मैल; पाँचों सेंस के साथ इमेजिन करें ताकि यह आपको नेचुरल और रीयल लगे। आप ऐसा करते हुए सो जाएं।
सुबह जागते ही बिस्तर पर लेटे लेटे 5 मिनट आप फिर यही कर सकते हैं तो ज़रूर करें और नहीं कर सकते तो नहाते हुए और नाश्ता करते हुए भी आप यह self-talk आधा घंटा या एक घंटा सुन सकते हैं। यह भी काम करेगा। बार-बार सुनने से यह आपका कोर बिलीफ़ बनेगा। यह अच्छा कोर बिलीफ़ एक मुद्दत बाद आपकी लाईफ़ में खुद को रिफ़्लेक्ट करेगा। तब आप अपनी लाईफ़ में वैसे ही हालात, मौक़े और लोग देखेंगे जैसे कि ये कोर बिलीफ़ हैं।

आप अपनी नीयत से भी अपनी जिंदगी में माल व दौलत को आने की दावत दे सकते हैं। आलिमों के अनुसार इस्लाम में 5 रुक्न हैं। कलिमा, नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज। जिन लोगों के पास माल कम है। वे ज़कात और हज की नीयत नहीं करते। वे सोचते हैं कि जब हमारे पास इतना माल आ जाएगा कि हम पर ज़कात देना और हज करना फ़र्ज़ हो जाए, तब हम ज़कात देने और हज करने की नीयत करेंगे।
यूनिवर्स में यह नियम काम करता है कि आप जिस काम के लिए नीयत करते हैं, उस काम के होने के साधन, मौक़े और लोग आपको नज़र आने लगते हैं। ऐसे ही जब आपके पास माल कम है और आप ज़कात नहीं दे सकते और हज नहीं कर सकते। तब भी आप ज़कात देने और हज करने की नीयत करते हैं तो लॉ ऑफ़ इंटेंशन के मुताबिक़ आपके माइंड में बदलाव आ जाता है और उस बदलाव की वजह से आपके बाहरी हालात में भी बदलाव आने लगता है। अब आपको ऐसे मौक़े, लोग और साधन नज़र आने लगते हैं, जिन से काम लेकर आप अपनी जिंदगी में जायज़ और क़ुदरती तरीक़े से ज़्यादा माल और दौलत हासिल कर सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं और आपके पास ज़्यादा मालो दौलत आती है तब आप पर ज़कात और हज फ़र्ज़ हो जाता है और फिर आप उन्हें करने की हालत में आ जाते हैं।
अल्लाह ने ज़कात और हज फ़र्ज़ करके आपके लिए दौलतमंद होना यक़ीनी बना दिया है। बस आपको अपने अंदर पोशीदा ताक़त से काम लेने की सही जानकारी की ज़रूरत है।
जब आप अपने अंदर की पोशीदा ताक़त से और क़ानूने क़ुदरत से काम लेने का तरीक़ा जान लेते हैं तो आप अपनी जिंदगी के हर मसले को हल कर सकते हैं, अल्हमदुलिल्लाह!
अब आप दूसरे लोगों को भी उनकी जिंदगी की समस्याओं का हल बता सकते हैं। समाज में हर तरफ़ लोग बेरोज़गारी, बीमारी और नाकामी दूर करने का उपाय ढूंढ रहे हैं। वे इसी के लिए तरह-तरह के जाहिल बाबाओं के पास जाते हैं और ठगे जाते हैं। आप उन्हें सही ज्ञान दे सकते हैं। भारत में ऐसे कल्याण गुरुओं की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। पूरी दुनिया में आज वैलनेस कोचिंग करोड़ों डॉलर प्रतिवर्ष का बाज़ार है। आप इसे अपना प्रोफ़ेशन भी बना सकते हैं और आप फ़्री सेवा भी दे सकते हैं। इस्लाम में और हर धर्म में दोनों तरीक़े जायज़ हैं।
आज यूनिवर्स और माइंड के रहस्य जानने वाले एक लाख गुरुओं की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।
इसके लिए हम सिर्फ 10 गुरुओं से शुरू कर सकते हैं। मैं 10 से ज़्यादा गुरुओं को यह कल्याणकारी ज्ञान सिखा चुका हूँ। अब वे 10 नए लोगों को यह ज्ञान देकर वैलनेस गुरु बना दें। और फिर वे भी 10 लोगों को तैयार कर दें। इस तरह बहुत जल्दी सकारात्मक सोच वाले 1000 वैलनेस गुरू तैयार हो जाएंगे।
ये गुरु यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीक़े सिखाने के साथ ही उन चीज़ों के फ़ायदे भी जनता के सामने लाएंगे जो हमारी वैलनेस को सपोर्ट करते हैं जैसे कि शहद, कलौंजी, अंजीर, ज़ैतून का तेल, खजूर, सिरका, लौकी, मोरिंगा और व्हीट ग्रास जूस आदि। इनके फ़ायदे सुनकर हर एक आदमी इन्हें खाना चाहेगा। वैलनेस गुरु इन्हें बेचे। इससे वह बेरोज़गारी से रिहा हो जाएगा। वह दूसरों को ये सभी सामान अच्छी क्वालिटी में और मुनासिब रेट पर देगा तो उसका फ़ायदा समाज के लोगों को मिलेगा। जब आप समाज सेवा में लगते हैं तो आपके सामने सबसे बड़ा सवाल अपने परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी पूरी करने का होता है। आप वैलनेस प्रोडक्ट्स बेच कर आसानी से अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और आप बेफ़िक्र होकर समाज की भलाई के काम कर सकते हैं।
मैं आम लोगों की और भलाई के काम में लगे हुए कार्यकर्ताओं की कमाई को बहुत इम्पोर्टेंस देता हूँ। इस तरह आप 10 लोगों को वैलनेस गुरु बनाते हैं तो 10 लोगों को बेरोज़गारी से रिहाई का रास्ता दिखाते हैं। भारत में करोड़ों लोग बेरोज़गार हैं। जब लोग आपके कॉन्सेप्ट में फ़ायदा देखेंगे तो 10 के बजाय 100 लोग खुद आ जाएंगे कि हमें भी कमाना सिखा दें। बेरोज़गारों से ज़्यादा बीमार लोग हैं, वे आपसे हर्बल प्रोडक्ट्स लेने के लिए आएंगे। आप सही तरह अपने शहर में और फेसबुक पर प्रचार करेंगे तो हजारों लोग आपसे वैलनेस प्रोडक्ट्स ज़रूर खरीदेंगे।
मजलिस में गुफ़्तगू करते हुए जब 2 घंटे से ज़्यादा हो गए और मैंने उसे ख़त्म करना चाहा, तब मेरे दिल में आया कि मैं उन्हें उस सवाल का जवाब बता दूंगा जो सवाल मेरे दिल में 30 साल पहले आया था और उस जवाब का ताल्लुक़ हर एक इंसान की सेहत से है। एक हदीस बहुत मशहूर है जिसमें यह आया है कि कलौंजी के दानों में मौत के सिवाय हर मर्ज़ से शिफ़ा है।
कलौंजी के बारे में यह हदीस जानने के बाद मेरे मन में यह सवाल आया था कि जब हर मर्ज़ से शिफ़ा कलौंजी के दानों में है तो आलिम लोग कलौंजी खाकर अपना मर्ज़ दूर क्यों नहीं कर लेते? वे किसी डॉक्टर के पास क्यों जाते हैं? डॉक्टरों को उनके पास आना चाहिए था क्योंकि हर मर्ज़ का इलाज किसी डॉक्टर के पास नहीं है लेकिन आलिमों के पास कलौंजी के रूप में है।
मैंने होम्योपैथी की बहुत गहरी जानकारी रखने वाले डॉक्टर एहसानुल्लाह ख़ान साहब से सुना है कि डॉक्टर केंट होम्योपैथी के बहुत बड़े एक्सपर्ट  थे, वह
हर मर्ज़ में एक दवा की सिर्फ़ एक डोज़ देते थे और मरीज़ ठीक हो जाता था।
गुज़रे हुए वक़्त में तिब्बे नबवी पर रिसर्च की गई होती और इसके बड़े-बड़े इदारे हर बड़े मदरसे में होते तो कलौंजी से हर मर्ज़ का इलाज किया जा सकता था। एक बड़ी ग़लती यह की जाती है कि कलौंजी को तिब्बे नबवी के उसूले शिफ़ा से काटकर देखा जाता है। तिब्बे नबवी में अल्लाह से शिफ़ा पाने के यकीन हो बुनियादी अहमियत हासिल है। आज सायकोलॉजी इस बात को मानती है कि शिफ़ा का यक़ीन बीमारी दूर करने में बहुत मददगार है। अंग्रेजी दवाओं की प्रूविंग में हम प्लेसिबो इफ़ेक्ट में मरीज़ को बिना दवा के चंगा होते हुए बार बार देखते हैं। यह मरीज़ के यक़ीन का करिश्मा होता है कि यक़ीन के असर से हर मर्ज़ के मरीज़ चंगे हुए हैं।
एक बार मैंने डॉक्टर सैफुल्लाह अंसारी साहब से पूछा था कि मेरी होम्योपैथ बहन आपसे यह जानना चाहती है कि आप अपनी कोई ख़ास तजुर्बे की बात बता दें। डॉक्टर सैफुल्लाह अंसारी साहब बुलंदशहर आए हुए थे और हमने कचरी वाली बड़ी मस्जिद में एक साथ नमाज़ पढ़ी थी। हम नमाज़ पढ़कर हैंडपम्प के पास बाहर खड़े हो गए थे। उसी जगह पर मैंने सवाल किया था। तब डॉक्टर सैफ़ुल्लाह अंसारी साहब ने फरमाया था कि सबसे पहले आप एक सही दवा को चुन लें और फिर उसे मरीज़ को पूरे यक़ीन के साथ दें।
मैंने बाद में कई साल तक एक्सपर्ट्स की जो किताबें पढ़ीं उनसे यह साफ़ हो गया कि डॉक्टर साहब ने मर्ज़ और शिफ़ा पर असर डालने वाले सबसे बड़े फ़ैक्टर की निशानदेही की है।
अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के यक़ीन को क़ुरआन में बयान किया है। उनका यक़ीन था कि
'और जब मैं बीमार पड़ता हूं तो वही मुझे शिफ़ा देता है।' -पवित्र क़ुरआन 26:80
जब शिफ़ा के यकीन के साथ कलौंजी खाई जाती है और मुनासिब परहेज़ किया जाता है तो यह तिब्बे नबवी का इलाज होता है। तब यह हर मर्ज़ के लिए कारगर होती है। पहले आप अपने यक़ीन में शिफ़ा पाकर हेल्दी हो जाएं और हेल्दी होने के बाद जो काम करना चाहते हैं उस काम को अपने दिल में करें। स्कूल में आप अपने दिल में हेल्दी हैं। आप खुद को हेल्दी फ़ील करते हुए कलौंजी खाएं। अब कलौंजी आपकी इंटेंशन पर आपके यक़ीन के मुताबिक़ काम करेगी।
तिब्बे नबवी से हर मर्ज़ का इलाज मुमकिन है। इस पर रिसर्च की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। इससे मदरसों से निकलने वाले हाफिज़ों, आलिमों और मुफ़्तियों को रोज़गार हासिल करने में और समाज की सेवा करने में मदद मिलेगी। इससे इमाम और मुअज़्ज़िन अपनी आमदनी दो गुना से दस गुना बल्कि और ज़्यादा भी बढ़ा सकते हैं।
जब सिर्फ कलौंजी के अंदर पाए जाने वाले केमिकल्स स्टडी की जाएगी तो उसमें कुछ बीमारियों से शिफ़ा मिलना साबित होगा और बहुत ज़्यादा बीमारियों में वह बेअसर साबित होगी। यह तरीक़ा हर्बल पैथी, यूनानी और आयुर्वेद का तरीक़ा है। ज़्यादातर लोग कलौंजी को तिब्बे नबवी के उसूल ए शिफ़ा के साथ इस्तेमाल करना नहीं जानते। वे उसे हर्बल पैथी के तरीक़े से इस्तेमाल करते हैं और उन्हें सीमित लाभ मिलता है।
अगर आप किसी बीमारी से परेशान हैं और काफ़ी इलाज कराने के बाद भी उस बीमारी में फ़ायदा नहीं हो रहा है तो आप ख़ून में एसिड बढ़ाने वाली चीजें खाना बंद कर दें और 250 मिलीग्राम कलौंजी के साथ 20 मिलीलीटर व्हीटग्रास जूस सुबह शाम दो टाईम ख़ाली पेट पिएं ताकि आपका ख़ून एसिडिक नेचर से एल्कलाइन नेचर की तरफ़ वापस आ जाए जोकि हेल्थी ब्लड की निशानी है। आप अपने ब्लड को एल्कलाइन नेचर पर लाने की कोशिश करें।  जिसे आपने बदल दिया था। आप फिर अपनी नेचर की तरफ़ पलट कर आएं। आप शिफ़ा का यक़ीन रखें। ख़ुद को अपने दिल में वह काम करते हुए देखें, जिन्हें आप हेल्दी होने के बाद करना चाहते हैं। इससे आपके सबकॉन्शियस माइंड में हेल्थ का पैटर्न बनेगा और फिर वह बाहर आपकी लाईफ़ में रिफ़्लेक्ट होगा।

मैंने यह छोटा सा लेख आपकी वैलनेस के लिए लिखा है। इसे पढ़कर आप फ़ौरन वैलनेस गुरू बन सकते हैं अगर आप बेरोज़गार हैं तो आप इसे पढ़कर फ़ौरन कमाना शुरू कर सकते हैं। अगर आप समाज में कम इज़्ज़त पा रहे हैं तो आप गुरु बनकर सबसे ज़्यादा इज़्ज़त पा सकते हैं। इंडिया में गुरूओं को सबसे ज़्यादा इज़्ज़त दी जाती है। आप हिम्मत से काम लें।
يُؤْتِي الْحِكْمَةَ مَن يَشَاءُ ۚ وَمَن يُؤْتَ الْحِكْمَةَ فَقَدْ أُوتِيَ خَيْرًا كَثِيرًا ۗ وَمَا يَذَّكَّرُ إِلَّا أُولُو الْأَلْبَابِ
वह जिसे चाहता है हिकमत देता है और जिसे हिकमत मिली, उसे बड़ी दौलत मिल गई। किन्तु नसीहत वही लेते हैं, जो बुद्धि और समझवाले हैं।
-पवित्र क़ुरआन 2:269

ख़ुलासा:
  1. ज़िन्दगी के चैलेंज को क़ुबूल करें।
  2. यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीक़ों को समझें।
  3. उन तरीकों को अपनी जिंदगी में एप्लाई करें।
  4. दूसरे लोगों को यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीकों के बारे में जानकारी दें।
  5. वैलनेस गुरु बनकर लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान बताएं।
  6. अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए वैलनेस प्रोडक्ट्स की सेल करें। अल्लाह ने तिजारत में ज़्यादा बरकत रखी है।
  7. लोगों को तिब्बे नबवी के शिफ़ा के उसूलों की जानकारी दें।
  8. हर धर्म के लोगों के लिए नफ़ाबख़्श बनें।
  9. समाज में इज़्ज़तदार, ख़ुशहाल और सुरक्षित ज़िन्दगी गुज़ारें।
  10. 10 लोगों को वैलनेस गुरू बनाएं।

Friday, September 13, 2019

लॉ ऑफ अट्रैक्शन पवित्र क़ुरआन की रौशनी में -Dr. Anwer Jamal

रामपुर यू. पी. से मुहम्मद आमिर अंसारी भाई का सवाल: सर मैं अभी सूरह कहफ़ पढ़ रहा था, मेरे सामने उसकी स्टोरी आई, जिसके बाग़ बर्बाद हो गए थे… तो ये जो दो आयतें हैं—
और वह अपने बाग़ में दाखिल हुआ इस हाल में कि वह अपनी जान पर ज़ुल्म कर रहा था, वह बोला मैं गुमान नहीं करता कि यह कभी भी बर्बाद होगा! (18:35)
यहां अबदा का लफ़्ज़ है सर… 
और फिर इसके बाद इसका हश्र इस आयत में बताया गया है—
और उसके फल अज़ाब में घेर लिए गए और उसमें जो उसने खर्च किया था, वह उस पर अपना हाथ मलता रह गया, और वह बाग़ अपनी छतरियों पर गिरा हुआ था और वह कहने लगा ऐ काश, मैं अपने रब के साथ किसी को शरीक न करता. (18:42)

अगर अल्लाह का क़ानून यहां सिर्फ विश्वास पर क़ायम है, और कोई मुशरिक भी पूरे यक़ीन के साथ कुछ करेगा तो लॉ ऑफ अट्रैक्शन के तहत उसको फ़लाह हासिल होनी चाहिए, पर आयत नंबर 35 में उसका मुकम्मल यक़ीन दिखाया है बाग के कभी ना बर्बाद होने पर, लेकिन फिर भी आयत नंबर 42 में उसकी बर्बादी का नज़ारा है, और फिर आयत 44 में बताया है, कि यहां इख्तेयार केवल अल्लाह बरहक़ के हाथ में है…
तो सर मेरा सवाल ये है कि क्या ये आयत लॉ ऑफ अट्रैक्शन के बुनियादी उसूल से टकराती हुई मालूम नहीं होती ? दुआओं पर यक़ीन करना अपनी जगह क़ायम है ईमान वालों के लिए तो, यक़ीन से ही मांगनी चाहिए, क्योंकि वो तो आख़िरी इख्तेयार अल्लाह के हाथ में समझते ही हैं, 
लेकिन अल्लाह के मुनकिर या मुशरिक इस लॉ से कैसे फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि दुनियावी क़ानून तो सब को फलाह पहुंचाते हैं, ऐसा ही लॉ ऑफ अट्रैक्शन के बारे में भी तसव्वुर है सबका, कि कोई चाहे अल्लाह को मानने वाला हो या ना हो, पूरा यक़ीन होगा उसे तो कामयाबी हासिल होगी, लेकिन इस आयत में बरबादी दिखाई गई है… इस पर थोड़ी रोशनी डालें सर प्लीज़.
जज़ाक अल्लाह😇


जवाब: यूनिवर्स में जो लॉ काम करते हैं, उन्हें यूनिवर्सल लॉज़ कहते हैं। एक यूनिवर्सल लॉ दूसरे यूनिवर्सल लॉज़ के साथ मिलकर काम करता है। लॉ ऑफ अट्रैक्शन एक यूनिवर्सल लॉ है जो दूसरे यूनिवर्सल लॉज़ के साथ मिलकर काम करता है। अगर आप लॉ ऑफ अट्रैक्शन को समझना शुरू कर रहे हैं तो आपको 12 यूनिवर्सल लॉज़ और 21 सब्लॉज़ की स्टडी करनी होगी। इसके लिए आप नीचे दिए लिंक पर जाकर यह लेख पढ़ सकते हैं:
1 ~ The Law of Divine Oneness
We live in a world where everything and everyone is connected to everything and everyone else.  Every single thing we are doing, saying, thinking and believing effects others around us as well as the universe we are part of.   We are all connected.

2 ~ The Law of Vibration
Everything single thing in our universe moves, vibrates and travels in circular motions.  These very same principles of vibration apply in our physical world through our thoughts, feelings and desires.  Everything has it’s own vibrational frequency from sounds, to things and even our thoughts.  Your vibration will attract like vibrations to you.

3 ~ The Law of Action
To see the Law of Attraction in Action we must take inspired action.  To manifest the things we desire we must engage in actions which support our desires as well as our thoughts, dreams, emotions and words.

4 ~ The Law of Correspondence
As Above, So Below.  Energy, Light, Vibration and Motion all have their corresponding principles.  Everything on the physical plane has a corresponding principle out there in the universe.

5 ~ The Law of Cause & Effect
Nothing ever happens by chance.  We reap what we sow, every action has a reaction and consequence.  What we put out there we get back.  Karma….

6 ~ The Law of Compensation
As for the Law of Cause and Effect what we put out we get back by way of abundance in all area’s.   By helping others and taking positive actions great things will come back into our lives.  We will be compensated for our good deeds, give your heart and soul to everything.

7 ~ The Law of Attraction (My favorite of course 🙂 
What we think about we bring about, our thoughts become things.  All of our thoughts, feelings, words and actions are producing energy which in turn attract like energies and things into our lives.  Negative or Positive like attracts like.    The Law of Attraction is also known as the Law of Love ♥

8  ~ The Law of Perpetual Transmutation of Energy (The What?????)
Simply put, everyone has the ability within them to transform their life.  We can do this by understanding these universal laws and changing our energy.  It’s up to us to do it!

9 ~ The Law of Relativity
Everyone has challenges! We are all given challenges for a reason, opportunities to learn and grow.  These challenges are sent to strengthen our inner light.  The law also wants us to  look at other peoples challenges and problems worse than ours so we can gain perspective.  It’s all relative.

10 ~ The Law of Polarity
Everything has a polar opposite good or bad.   This is the Contrast and Clarity, when you know what you don’t want in turn you know what you do want.  Focus on the Good things you want 🙂

11 ~ The Law of Rhythm
Everything moves and vibrates to certain rhythms.  This can be seasons, cycles, stages of our development and patterns happening in the universe.  We need to stay in flow throughout these rhythms of life.

12 ~ The Law of Gender
Yin & Yang.  Everything and everyone has feminine and masculine principles and energies, this is how creation happens in the universe.  We must all find the balance between the two to master our lives.
🙂

There are also 21 Sub-Laws which relate to the human characteristics we should embody in our lives ~
Aspiration to A Higher Power
Charity
Compassion
Courage
Dedication
Faith
Forgiveness
Generosity
Grace
Honesty
Hope
Joy
Kindness
Leadership
Noninterference
Patience
Praise
Responsibility
Self-Love
Thankfulness
Unconditional Love ♥
लॉ ऑफ अट्रैक्शन इंसान के वुजूद (Being) पर काम करता है। लॉ ऑफ अट्रैक्शन के मुताबिक़ जो वुजूद अपने सोर्स (रब) से कटा हुआ है और अपने सोर्स की अच्छाईयों को प्रकाशित नहीं करता, वह इस यूनिवर्स में वैसे ही सूख जाता है जैसे एक शाखा किसी पेड़ से कटकर सूख जाती है।
जो अपने पैदा करने वाले पर विश्वास नहीं करता और जो शुक्र, दया, दान, नर्मी, आनंद, प्रेम, क्षमा और ख़ुशी से ख़ाली है, जो यूनिवर्सल लॉज़ की हारमोनी में काम नहीं करता, वह इस यूनिवर्स में नहीं फलता।
अब आप पवित्र क़ुरआन की सूरह कहफ़ की उस उपमा पर ध्यान दें जो आयत नंबर 32 से आयत नंबर 44 तक आई है। इसमें आप एक अहंकारी (Egoistic) व्यक्ति को देखेंगे जो अपने रब से कटा हुआ है और अच्छे गुणों से ख़ाली है और वह यूनिवर्सल लॉज़ के खिलाफ़ काम कर रहा है। उसके पास धन और संतान ज़्यादा है लेकिन वे उसकी ज़िंदगी में जिन कारणों से और जिस मक़सद के लिए हाज़िर हुए हैं, वह अहंकारी व्यक्ति उनसे अन्जान है।
दूसरा ज्ञानी व्यक्ति उसे रब के बारे में, उसके क़ानूने क़ुदरत के बारे में और अच्छे गुणों के बारे में ज्ञान देता है तो वह उस व्यक्ति को धन और संतान में अपने से कम होने के कारण तुच्छ जानकर उस ज्ञान को ठुकरा देता है। वह अपने अहंकार और अज्ञान में विनाश के रास्ते पर आगे बढ़ता है और बर्बाद हो जाता है। यही होना था।
मुझे उम्मीद है कि आप अब सब समझ गये होंगे। पवित्र क़ुरआन में दिए गए वाक़यात को समझने के लिए रब के क़ानूने क़ुदरत को समझना ज़रूरी है।

उनके समक्ष एक उपमा प्रस्तुत करो, दो व्यक्ति है। उनमें से एक को हमने अंगूरों के दो बाग़ दिए और उनके चारों ओर हमने खजूरो के वृक्षो की बाड़ लगाई और उन दोनों के बीच हमने खेती-बाड़ी रखी (32) दोनों में से प्रत्येक बाग़ अपने फल लाया और इसमें कोई कमी नहीं की। और उन दोनों के बीच हमने एक नहर भी प्रवाहित कर दी (33) उसे ख़ूब फल और पैदावार प्राप्त हुई। इसपर वह अपने साथी से, जबकि वह उससे बातचीत कर रहा था, कहने लगा, "मैं तुझसे माल और दौलत में बढ़कर हूँ और मुझे जनशक्ति भी अधिक प्राप्त है।" (34) वह अपने हकड में ज़ालिम बनकर बाग़ में प्रविष्ट हुआ। कहने लगा, "मैं ऐसा नहीं समझता कि वह कभी विनष्ट होगा (35) और मैं नहीं समझता कि वह (क़ियामत की) घड़ी कभी आएगी। और यदि मैं वास्तव में अपने रब के पास पलटा भी तो निश्चय ही पलटने की जगह इससे भी उत्तम पाऊँगा।" (36) उसके साथी ने उससे बातचीत करते हुए कहा, "क्या तू उस सत्ता के साथ कुफ़्र करता है जिसने तुझे मिट्टी से, फिर वीर्य से पैदा किया, फिर तुझे एक पूरा आदमी बनाया? (37) लेकिन मेरा रब तो वही अल्लाह है और मैं किसी को अपने रब के साथ साझीदार नहीं बनाता (38) और ऐसा क्यों न हुआ कि जब तूने अपने बाग़ में प्रवेश किया तो कहता, 'जो अल्लाह चाहे, बिना अल्लाह के कोई शक्ति नहीं?' यदि तू देखता है कि मैं धन और संतति में तुझसे कम हूँ, (39) तो आशा है कि मेरा रब मुझे तेरे बाग़ से अच्छा प्रदान करें और तेरे इस बाग़ पर आकाश से कोई क़ुर्क़ी (आपदा) भेज दे। फिर वह साफ़ मैदान होकर रह जाए (40) या उसका पानी बिलकुल नीचे उतर जाए। फिर तू उसे ढूँढ़कर न ला सके।" (41) हुआ भी यही कि उसका सारा फल घिराव में आ गया। उसने उसमें जो कुछ लागत लगाई थी, उसपर वह अपनी हथेलियों को नचाता रह गया. और स्थिति यह थी कि बाग़ अपनी टट्टियों पर हा पड़ा था और वह कह रहा था, "क्या ही अच्छा होता कि मैंने अपने रब के साथ किसी को साझीदार न बनाया होता!" (42) उसका कोई जत्था न हुआ जो उसके और अल्लाह के बीच पड़कर उसकी सहायता करता और न उसे स्वयं बदला लेने की सामर्थ्य प्राप्त थी (43) ऐसे अवसर पर काम बनाने का सारा अधिकार परम सत्य अल्लाह ही को प्राप्त है। वही बदला देने में सबसे अच्छा है और वही अच्छा परिणाम दिखाने की स्पष्ट से भी सर्वोत्तम है (44)
-पवित्र क़ुरआन 18:32-44

रब के करम से हमने इंडिया में दीनी और फ़लाही  (Wellness Work) काम करने वालों को लॉ ऑफ अट्रैक्शन की तरफ तवज्जो दिलाई है। ज़्यादा से ज़्यादा लोग हमसे लॉ ऑफ अट्रैक्शन समझने के लिए संपर्क कर रहे हैं। हम आपके सवाल के लिए आपके शुक्रगुजार हैं क्योंकि आपके सवाल से हमारे जवाब देने का एक ऐसा मौका वुजूद में आया जिससे आपके साथ हजारों लाखों लोग कुछ नया सीख सकते हैं।
दीन-धर्म के प्रचारकों और जन कल्याण के कामों में लगे सभी कार्यकर्ताओं को यह जानना जरूरी है कि उनका माइंड और यह यूनिवर्स कैसे काम करता है और वे अपने गोल को अचीव करने के लिए उनसे अपने हित में कैसे काम ले सकते हैं!

Tuesday, September 3, 2019

जब नास्तिक ईश्वर अल्लाह के नाम पर माँगने लगा रहम की भीख - Dr. Anwer Jamal

दोस्तो! मैंने नास्तिक लोगों को समझाने के लिए एक तब्लीग़ी (उपदेशात्मक) कहानी लिखी है। यह आपके दावती काम में फायदेमंद रहेगी। जहां भी नास्तिक लोग अल्लाह ईश्वर के वुजूद का इन्कार कर रहे हों, आप वहां इसे कॉपी पेस्ट कर दें।
मैं पोस्ट लेखकों और पाठक दोस्तों को इस कथा के माध्यम से एक सच्चाई बताना चाहता हूं।
विजय किसी धर्म को नहीं मानता था लेकिन वह धार्मिक माता पिता की संगत के कारण अपराध करने से डरता था। वह महत्वाकांक्षी था और जवानी में ही बहुत जल्दी कोठी, कार, बैंक बैलेंस और सुंदर स्त्रियों का सुख पा लेना चाहता था। उसे एक डॉक्टर ने ऑफ़र किया था कि अगर वह मानव अंगों की तस्करी का काम शुरू कर दे तो उसे काफ़ी पैसा मिल सकता है लेकिन उसके दिल में अनिश्चितता थी।
एक दिन वह इसी असमंजस की स्थिति में अपने घर में बैठा हुआ था कि उसका एक नास्तिक मित्र मतिहर उससे मिलने आया।
उस मित्र को अपनी ही धुन सवार रहती थी। वह हर समय 'ईश्वर नहीं है', यह सिद्ध करने को आतुर रहता था।
विजय ने उसके लिए कॉफी बनानी‌ शुरू की। इस दौरान बात घूम कर किसी तरह भले बुरे और ईश्वर के अस्तित्व पर आ गई।
मतिहर ने सिद्ध कर दिया कि ईश्वर नहीं होता। पाखण्डी मक्कार लोगों ने जनता को बेवकूफ़ बनाने के लिए ईश्वर की कल्पना कर ली है और वे ईश्वर के नाम से डरा कर माल समेटते रहते हैं। अत: ईश्वर से डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ईश्वर नहीं है।
यह बात विजय को जंच गई और वह खुद चाहता था कि उसके मन की दुविधा ख़त्म हो तो उसने भी बिना तर्क किए मतिहर की बात मान ली। उसका असमंजस दूर हो गया। उसने डॉक्टर के ऑफर को एक्सेप्ट कर लिया।
मतिहर की बात सुनते सुनते विजय ने उसकी कॉफ़ी में नज़र बचाकर नींद की गोलियां मिला दीं।
जब मतिहर की आंख खुली तो उहने खुद को एक तहख़ाने में पाया। जहां कुछ डॉक्टर उसके गुर्दों, फेफड़ों, दिल और बोन मैरो की जांच कर रहे थे। सभी डॉक्टरों ने उसके सभी अंग हेल्दी और फिट पाए। वे सब ख़ुश थे।
मतिहर के पूछने पर डॉक्टरों ने उसे पूरी सच्चाई बता दी कि वे उसके अंग निकाल कर अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेच देंगे। मतिहर यह सुनकर चकरा गया।
अब मतिहर रो रो कर उन डॉक्टरों को ईश्वर अल्लाह का वास्ता दे रहा है और बार-बार ख़ुद पर रहम करने की अपील कर रहा है। सभी डॉक्टर ठहाका लगाकर हंस रहे हैं कि ईश्वर तो होता ही नहीं है फिर भला हम क्यों रहम करें। धूर्त लोगों ने ईश्वर के होने की कल्पना कर ली है इसे केवल जाहिल पब्लिक मान सकती है, हम जैसे पढ़े-लिखे लोग नहीं।

होमवर्क:
1. मतिहर ईश्वर अल्लाह के नाम पर रहम की भीख क्यों मांगने लगा?
2. क्या नास्तिक लोगों की सुरक्षा से खेल रहे हैं?

पस्ती और ग़रीबी के बोल से बचना क्यों ज़रूरी है? Dr. Anwer Jamal

आमतौर से लोग कॉन्शियस माइंड और सब्कॉन्शियस माइंड माइंड के कामों को नहीं जानते कि ये दोनों कैसे काम करते हैं। ऐसे में वे जब लिखते हैं तो वह निगेटिव सेल्फ़ कांसेप्ट लिखते हैं और जब मैं उन्हें इस तरफ ध्यान दिलाता हूं तो वह समझते हैं कि मैं उनकी बात नहीं समझ पाया देखिए एक दिलचस्प डायलॉग मरियम खान बहन ने पोस्ट लिखी।
📚✍🏻

देश की गिरती GDP से मुझे डर बस इतना है, कहीं भक्त लोग हमारा पंचर बनाने का रोज़गार भी ना छीन लें🙄🤔
📚✍🏻
यह पोस्ट पढ़कर मैंने कहा:
Mariyam Khan , अगर मानो तो मैं आपको सलाह देता हूं कि दुश्मन आपको घटिया शूद्र के रूप में सेवा देने वाला बोलेगा क्योंकि वह दुश्मन है लेकिन आप कभी उस रूप को मज़ाक़ में भी स्वीकार न करें क्योंकि बार-बार रिपीट करने से वह आपके और आपके पाठकों के मन में जम जाएगा और फिर आप और आपके पाठकों के जीवन में वही रूप सच हो जाएगा।
जो बोलते हो, वह कुछ समय बाद आगे आ जाता है।
यह प्रकृति का नियम है।
*ज़ुबान का इलाज:*
खुद को राजा, बादशाह, विजेता के रूप में बोलते रहें।
///
आपको यह बात बहुत मामूली लगेगी कि हम तो महज़ मज़ाक़ करते हैं। हम इन बातों का असर नहीं लेते लेकिन
आपका सबकॉन्शियस माइंड मज़ाक़ को नहीं समझता।
आप जिस बात को बार-बार बोलते हैं, बार-बार सुनते हैं, उसका यक़ीन सबकॉन्शियस माइंड में पैटर्न के रूप में ऑटोमेटिकली बनता चला जाता है और फिर वह पैटर्न आपके जीवन में प्रकट हो जाता है।
इसलिए मज़ाक़ में भी अपने लिए अच्छे और उच्च विचार बोलें।
जो बोलोगे (बोओगे), वह काटोगे।
🌈😊🌹

मैंनेेेेेेेे यह बात कही तो मरियम ख़ान ने मुझे समझाने के लिए लिखा: Anwer Jamal Khan साहब, मेरे post डालने का मतलब ये नहीं था कि हम सच मे ऐसे हैं, मुसलमान को पंचर बनाने वाला परिभाषित किया जाता है, मुसलमान तो हमेशा से ही मेहनती रहा है और मेहनत मज़दूरी कर के अपना गुज़ारा कर सकता है पर इसके बावजूद सिर्फ़ मुसलमानो की बर्बादी दिखा कर सरकार कट्टरपंथियों और भक्तों को ख़ुश कर रही है जब कि GDP गिरने से सबसे बड़ा नुकसान इनका ख़ुद का हो रहा है,

मेरे post का बस यही मतलब है कि आप ख़ुद बर्बाद हो रहे हो, मुट्ठी भर मुसलमानो को बर्बाद करने के लिए,
आज सारे छोटे बड़े कारोबारी रो रहे हैं, सभी मंदी की मार झेल रहे हैं।

मैंने लिखा: Mariyam Khan bahan! आपको क्या लगता है कि मुझे व्यंग्य की समझ नहीं है? :) 
आप व्यंग्य करें लेकिन व्यंग्य में भी अपना रूप विराट और ऐश्वर्यशाली रखें।
जो कुछ आप मन में देखती हैं, उसका असर पड़ता है बहन।
आप The power of your subconscious mind नामक बुक पढ़ें।

Saturday, August 24, 2019

क्या नज़र का असर दुआ पर भी होता है? -Dr. Anwer Jamal

आप जानते ही हैं कि नज़र और नज़रिए का असर इंसान की ज़िंदगी पर पड़ता है।
उसकी नज़र और उसके नज़रिए का असर उसकी दुआओं पर भी पड़ता है।
जो आदमी चाहता है कि मेरी दुआ क़ुबूल हो। उसे अपनी नज़र और अपने नज़रिए को चेक करना होगा।
खुद इंसान का अपने बारे में क्या नज़रिया है? क्या वह ख़ुद को इतना ज़्यादा गुनहगार मानता है कि उसकी दुआ कुबूल नहीं हो सकती?
अगर उसका नज़रिया ऐसा है तो फिर वैसा ही होगा जैसा कि उसका नज़रिया है और उसकी दुआ क़ुबूल न होगी। आपकी दुआओं को ख़ुद आपकी नज़र लगी हुई है।
जब वह दुआ करता है या किसी काम के होने की नीयत से अल्लाह का कोई नाम या उसके मुबारक कलाम की आयत पढ़ता है तो उसकी नज़र (तवज्जो) अपने काम पर जमी रहती है या वह इधर उधर, हर तरफ़ भटकती रहती है?
अगर ऐसा है तो यह नेचुरल है कि उसकी दुआ अपना असर ज़ाहिर न करे और उसकी मुराद पूरी न हो।

दुआ का असर ज़ाहिर होने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आपका नज़रिया आपकी दुआ को सपोर्ट करता हो और जब आप अपना काम होने के लिए दुआ करें या अल्लाह का नाम या कोई आयत पढ़ें तो उस वक़्त आप अपनी नजर से अपने दिल में अपने काम को देखते रहें। आप उसे वैसा ही देखते रहें जैसा कि आप चाहते हैं कि वह काम हो। आप उसे देखकर वैसी ही ख़ुशी महसूस करें जैसी कि आपको उस काम के होने पर सचमुच होगी। मानो वह सब आप पर सचमुच बीत रहा है और आप उस सीन का एक हिस्सा (participant) हैं न कि ऑब्ज़र्वर। उसे पाँचों सेंस से रियल फ़ील करें। आप उसमें विज़न, टेस्ट, टच, साउंड और स्मैल को फ़ील करें। जैसे कि किसी जगह पर इंसान सचमुच इन सबको फ़ील करता है।
यह एक माईंड सीक्रेट है। इसे ख़ूब अच्छी तरह समझ लें।

मैं जानता हूं कि आप दुआ क़ुबूल होने के लिए हलाल माल खाना, इख़्लास, यक़ीन, पक्का ईमान और तौहीद का सही होना जैसी बातें पहले से ही जानते हैं। इसलिए मैंने उनका यहां जिक्र नहीं किया। मैंने सिर्फ उन बातों का जिक्र किया है जिनका ज़िक्र दुआ की आम किताबों में नहीं मिलता।

और यहां भी मैंने उनका उतना ज़िक्र नहीं किया जितना कि किया जाना चाहिए। यह आर्टिकल लिखते हुए मैंने तय किया था कि मैं इसे बहुत छोटा रखूंगा।
जो कुछ मैंने कहा है, उसे सामने रखते हुए अब आप साथ में दी गई इमेज में बताए गए तरीके को समझें और दुआ करें। 
हर काम की तरह दुआ भी एक काम है और हर काम की तरह आपको इस काम की कुछ दिन प्रैक्टिस करनी होगी। इस प्रैक्टिस के बाद इन् शा अल्लाह आपकी दुआओं का असर ज़ाहिर होने लगेगा। 

यकीनन अल्लाह अपने बंदों पर बहुत ज़्यादा मेहरबान है। वह अपने बंदों की दुआ सुनता है जैसे एक मां अपने कमज़ोर बीमार बच्चे की ज़्यादा देखभाल करती है और उसकी बात सेहतमंद बच्चों से ज़्यादा जल्दी सुनती है, वैसे ही अल्लाह अपने बीमार बंदों की दुआ ज़्यादा जल्दी सुनता है। याद रखें, गुनाह दिल की बीमारियां हैं।
अगर आप ख़ुद को बहुत गुनाहगार मानते हैं तो आप इस नज़रिए को अपने दिल में जमा लें। फिर दुआ करें।
Mind Secret na janne wali awaam ko ye sab laws sikhana kisi ek aadmi ke liye mumkin nhi hai.
🌹
Aise me unhe misalon ke zariye baat batayi jati hai.
💚
Dua ki qubuliyat me aam log bahut rukawat mehsus karte hain aur
Woh kisi kamil wali,
Kisi mustajabud-dawat buzurg ko talashte hain
Ki
Woh unke liye dua kar de.
💚
Mera dil bachpan se chahta tha ki
Main mustajabud-daa'waat jo jaun.
😊
Maine Dua par hisne haseen se shamsul maarif tak sab kitaben padh dalin.
Pichhle 30-35 saal me jo kaam ki baat pata chali h, woh aapko *Free* sikha raha hun kyonki aaj main fursat me hun.
Alhamdulillah.
🕋
Is 'ILM' ki qadr karen.

Thursday, August 22, 2019

Positive Thinking पर एक सवाल का जवाब -Dr. Anwer Jamal

आज हमारे ग्रुप में एक मेंबर ने हमसे यह सवाल किया है:
Sawal: is baare me aap kya kahenge...?👇🏻
*Topic : A great revolution*is coming* 

⏰10 : 18⏲

 *Aik nai theory aai hai ke*koi negative❎ baat*matt sochna nahi* *to tumhari zindgi me* *aane lag jaaega, bass* *sirf positive✅sochna ,* *kisi khatre ki baat mat* *karna warna aajaenge* *zindgi me , agar khatraat*ke baare me* *ittela karna negativity hai*to sabse badi* *negativity(نعوذ بالله )Allah* 🕋 *ne* *phailaai , apne kalaam* *me jitna jannat ka zikr* *kiya utna hi jahannam ka*bhi kiya , tafseelat ke*saath kiya , baar baar*kiya , agar ye* *negativity hai to ye Allah*ne di* 
                                
🌹 *By : Allama Sayyed* *Abdullah Tariq sb🌹*
Jawab: Ham shuru se is baat ko saaf karte aaye hain ki
Ham positive thinking nhi *creative* thinking sikhate hain.
💚
Aap chahe jitna positive sochte rahen, aapke sath positive nhi hoga,
Dusre log aapki zindgi me apne attitude ke mutabiq hi react karenge.
🌿
✈ Plane me baith kar musafiro ko accident ke kitne bhi khayal aayen,
Unke khayal se accident nhi hota.
Aapki reality aapke khayal se nahi aapke core beliefs se govern hoti hai.
🌿
अल्लाह ने आदम को अपनी सूरत पर बनाया है और क्रिएशंस अल्लाह की फ़ैमिली है। अल्लाह को वह आदमी ज़्यादा पसंद है जो उसकी फ़ैमिली के साथ ज़्यादा भलाई करता है। भलाई का उल्टा बुराई है। यह दुनिया दो पोल्स पर क़ायम है। यहां भलाई है और यहाँ बुराई भी है। भलाई करनी है तो बुराई की पहचान करनी भी ज़रूरी है। जिस आदमी को भलाई बुराई की जितनी ज़्यादा पहचान होगी, वह उतना ज़्यादा क़ाबिल माना जाएगा और वह सोसायटी में बड़ी ज़िम्मेदारी के लायक़ माना जाएगा।
अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में इंसानों को भलाई और बुराई की बहुत ज़्यादा जानकारी दी है।
अल्लाह ने बताया है कि जैसा तुम्हारा बातिनी शाकिलह (paradigm) होगा वैसा ही तुम्हारा ज़ाहिरी अमल होगा और तुम्हारा ज़ाहिरी अमल अपनी नेचर के मुताबिक़ ही  हालात बनाएगा, जिसे हम अंजाम कहते हैं।
अगर तुम शुक्रगुजार बनोगे तो तुम्हारे आमाल भी  अच्छे होंगे और उनसे कुछ वक़्त बाद ऐसे हालात बनेंगे, जिनसे तुम्हें सुख मिलेगा और कष्ट दूर रहेगा।
और अगर तुम मेरी नेमतों की नाक़द्री, नाशुक्री करोगे तो तुमसे नेमतें छिन जाएंगी और तुम भारी कष्ट के हालात बनाकर उनमें घिर जाओगे।
अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में इंसान को उसकी क्रिएटिव पावर का इल्म बख़्शा है कि वह लगातार अपने लिए जन्नत या जहन्नम की तामीर कर रहा है। जो कुछ वह बना रहा है, उसे इंसान बनाते वक़्त चेक कर ले कि यह जो हालात बनाएगा, क्या मैं उनमें  ख़ुशी महसूस करूंगा?
जो हम आज कर रहे हैं, उससे हमारा कल तामीर हो रहा है।
जो हम कल पाने वाले हैं, हम उसे आज, अभी और यहीं 'अल्लाह के नूर' में देख सकते हैं। हम अपना अंजाम बदलना चाहें तो हम आज ख़ुद को बदलकर ऐसा कर सकते हैं। हम नाशुक्रे से शुक्रगुज़ार बनकर अपना अंजाम बदल सकते हैं।
अल्लाह ने हमें च्वाइस और सेलेक्शन की आज़ादी दी है जो कि उसकी सिफ़त है।
उसने हमें इरादे की ताक़त दी है, जो कि उसकी सिफ़त है।
उसने हमें अपनी सिफ़ात (Attributes) के लिए आईना बनाया है। हम ख़ुद को देखकर उसे पहचान सकते हैं।
अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन के ज़रिये हमें अपनी पहचान कराई है ताकि हम उसे पहचानकर ख़ुद को पहचान लें।
अल्लाह ने ज़मीनो आसमान की हर शै को हमारे लिए मुसख़्ख़र कर दिया है ताकि हम जो बनाना चाहें, हमें उसमें मदद मिले।
हमें अपने अच्छे और बुरे कामों में नेचर की सपोर्ट मिलती रहती है। हम अच्छे या बुरे काम करते रहते हैं और फिर उनके अंजाम ज़ाहिर होते रहते हैं। जिन्हें हम दुनिया में भी भुगतते रहते हैं।
अल्लाह ने हमें क्रिएशन प्रोसेस की जानकारी क़ुरआन में दी है। उसने हमें शजरे तैयब और शजरे ख़बीस की मिसाल देकर अच्छे और बुरे इंसान के बारे में बताया है।
क़ुदरती आफ़तों, जहन्नम के अज़ाब या तरह तरह की तकलीफ़ों का सिर्फ़ बयान करते रहना और उनसे बचने की तदबीर न बताना निगेटिविटी है, यह आम लोगों का तरीक़ा है। अल्लाह ने क़ुरआन में ऐसा नहीं किया बल्कि उनका हल बताया है।
प्राब्लम का हल बताकर बार बार उसे करने की इंस्पिरेशन देना एक पॉज़िटिव अमल है।
अल्लाह ने साफ़ बताया है कि जो तुम चाहते हो, तुम्हें वह नहीं मिलेगा बल्कि जो तुम करते हो, तुम्हें वह मिलेगा। इसलिए अपनी चाहतों और अपने आमाल में हारमोनी लाओ। पवित्र क़ुरआन में 'दिल की कमाई' और 'हाथ की कमाई' के बारे में बहुत बताया गया है। इनमें एलाइनमेंट होना ज़रूरी है। अपने लिए भलाई चाहते हो तो भले बनो और भलाई करो।
इंसान का अमल उसकी आदतन सोच को ज़ाहिर करता है। इंसान का अमल ही उसकी सच्ची पहचान है। जैसे एक पेड़ अपने फलों से पहचाना जाता है, वैसे ही इंसान अपने आमाल से पहचाना जाता है।
हम अल्लाह को उसके भले कामोसे पहचानते हैं, जोकि वह हमारे साथ करता रहता हैवह चाहता है कि हमें भले कामों से पहचाना जाए।
आज पॉजिटिव थिंकर्स और माइंड प्रोग्रामिंग के लाईफ़ कोच भी अपने स्टूडेंट्स को भलाई और बुराई में भलाई को चुनने की इंस्पिरेशन देते हैं। वे ग़रीबी, बीमारी, झगड़े, तलाक़ और हादसों जैसे उन सब कष्टों का बयान करते हैं जो इंसान अपनी जिंदगी में भुगत रहा है। फिर वे उनका हल बताते हैं। जब  लाईफ कोच का ज़िक्र करना नेगेटिविटी नहीं है तो फिर कौन यह समझता है कि अल्लाह इंसान की जिंदगी के कष्टों का बयान करता है वह निगेटिविटी है?
जो आदमी ऐसा समझता है, यक़ीनन उसने पॉज़िटिव थिंकिंग के सब्जेक्ट को ठीक से पढ़ा और समझा नहीं है।
नॉर्मल विंसेंट पील पॉजिटिव थिंकिंग के बहुत बड़े इमाम हैं। उन्होंने इस सब्जेक्ट पर बहुत किताबें लिखी हैं। उन्होंने दुनिया भर में घूम कर पॉज़िटिव थिंकिंग पर लेक्चर दिए हैं। आप उनकी किताबों में भी उन कष्टों को पढ़ेंगे जो इंसान अपनी जिंदगी में उठा रहा है और फिर उसके हल के रूप में उन्होंने पॉज़िटिव थिंकिंग को पेश किया है।
लुइस एल हे भी पॉजिटिव थिंकिंग की बहुत बड़ी इमाम है और उनका रुतबा नॉर्मन विंसेंट से ज़्यादा है। उन्होंने अपनी किताब 'यू कैन हील योर लाईफ़' के 16वें चैप्टर में अपने जीवन के कष्टों का बयान किया है। जिससे पाठकों में उनकी शिक्षाओं के प्रति विश्वास पैदा होता हैं कि जब यह अपना नज़रिया बदलकर, अपने आप को बदलकर अपने कष्टों से निकल आई हैं तो मैं भी इस तरीक़े से अपने कष्टों से निकल सकता हूं।
हम सब शुक्र की कमी और नज़रिए के बिगाड़ की वजह से हर वक़्त अपने अंदर एक जहन्नम लेकर घूमते रहते हैं और उसकी आग हमारे दिलों को जलाती रहती है। हमें इस बात का पता ही नहीं होता कि हम अपने आप में ही अज़ाब पा रहे हैं। जब हम माफ़ी, रहम, नर्मी, शुक्र, सब्र और भलाई को अपनी आदत बनाते हैं तो हमारे दिल को सुकून मिलने लगता है। तब हम उस अज़ाब से रिहा होते हैं।
अल्लाह हमें यह तालीम देता है कि अपनी रिहाई के लिए नीयत करो और बातिनी व ज़ाहिरी अमल करो।
दुनिया के लाईफ़ कोच सिर्फ़ दुनिया की भलाई पाना सिखाते हैं जबकि अल्लाह दुनिया और दुनिया की ज़िन्दगी के बाद भी भलाई पाने का तरीक़ा सिखाता है। इसी में हमारी फ़लाह (कल्याण wellness) है।
यह लिखकर मैं ने अपने व्हाट्स एप ग्रुप 'Allahpathy Super Learners' में पूछा:
Aapke liye itna lamba jawab likha.
Is par aapka aur group ke teachers aur students ka sabka radde amal matloob h.
🌹
Jo NLP Teachers hain
Woh bhi batayen ki
Is sawal ka sahi jawab kya hai?
🌷
Students koi baat nhi samajh sake hain ya
Samajh gaye hain to batayen
Ki
Kya sikha?

सवाल करने वाली स्टूडेंट ने कुछ और सवाल किए:
Aapke itne lambe jawab ko main ne kai baar padha , ye baat to aapki sahi hai ke sirf andesha karne se nahi bulke bunyadi aqeede ( core beliefs) se haalat badalte hain magar phir bhi zehn bataa bataa sa hai , aik billion dollars question aur bataa deeje

Aik baar grp per kisi ne kahaa " ham aapke ehsaan nahi bhoolenge , aapne kaha ye negative sentence hai , aap bolo " ham aapke ehsaan hamesha yaad rakhenge " jabke quraan shareef me beshumaar aayat " laa" se shuru hoti hain khud hamara kalma bhi
Laa ilaaha illallah

Aap kehte hain , beshakk , laa shakk nahi kehna chahye is ki jagah yaqeen kehna chahye
Kya ye negativity ki wajah se nahi?

मैंने उनके सवालों का दो कमेंट में जवाब दिया:
Part 1
aapka shukriya ki aapne mera jawab padha aur samjha hai.
💚
aapka sawal mind ke kaam Karne se juda hua hai ki hamara mind kaise kaam karta hai?
ham bar bar is group mein Bata chuke hain ki Jo baat Ham sunte Hain us baat ko mind process karke image mein convert karta hai, jise Ham apne mind me dekhte hain.
hamara mind image maker hai.
💚
*Waqiya:*
do din pahle hamne apne aangan mein khade hue nimbu ke 8 feet unche ped ki kuchh branches ko katwaya to us per se itne sare nimbu mile ki steel ke ek bade bartan me bhar hare aur peeley nimbu bhar Gaye. Anas Khan ne unhen ghar me hi chhote electric balance per tola to woh 2 kilograms se zyada the.
mere beti Sharah ne ek Bada sa RASEELA nimbu kaat liya. usse umda sharbat taiyar Kiya. maine jaise hi uska 1 ghoont piya to  woh bahut tez khatta tha.
uffff....
💚
*aapke munh me paani bhar aaya hai.*
kyonki main jo bolta gaya, aapka mind uski images bana kar aapko mind movie dikhata raha aur aapko aisa laga jaise aapne us tez khatte sharbat ko chakh liya hai.
💚
aise hi agar main kahun ki
maine nimbu nhi chakha.
tab bhi aapka mind aapko yhi image dikhayega ki
main nimbu chakh raha hun.
yani ki mind image banate waqt *'nahi'* word ko process nhi karta halanki woh nahi ke sense ko samjhta hai.
💚
yh ek mind secret hai.
isse auraten bahut kaam leti hain.
saas ya bahu apne mukhalif ki baat poori bata kar kahengi ki
dekho aap unse ladna 'nahi'.
mind me image banti hai ki woh unse lad raha hai
aur phir yhi hota hai,
jo usne vision me dekha tha.
💚
aise hi
la ilaha illallah
ke kalima e taiyyaba ki baat hai aur yh sachmuch ek miracle hai ki
jab ek aam insan
kahta hai
la ilaha illallah
to inkar ke bawujood
uska mjnd ilah ke hone ko accept karta hai aur phir Allah ka naam aa jata hai to woh 'la' (nahi) ko process na karne ke bawujud thik yhi image banata hai ki Allah ilah hai.
Mind ka focus 2 words
Ilah aur Allah par rahta hai.
💚
isi kalima e taiyyaba ka jo log irfan aur awareness ke sath zikr karte hain
woh imagination bhi karte hain.
jab woh 'la ilaha' kah rahe hain to apne dil se har cheez aur har khwahish ko nikaal rahe hain, jo ilah bani hui hai aur jab woh illallah kahte hain to woh imagine karte hain ki arsh se noor aakar unke dil me bhar raha hai.
💚
unhe is tarah zikr karne ka bahut jaldi fayda milta hai.
Dil bahut umda tareeqe se paak ho jata hai.
💚
kalima e taiyyaba ki tarteeb itni umda hai ki
aam aadmi aur aarif banda dono ise apne apne kam aur zyada ilm ke sath padhte hain lekin
mind me image wohi banti hai, joki kalime ka message hai.
💚
isliye yh kalima nafi se shuru hone ke bawujud negative nhi hai kyonki
yh  positive image banata hai.
💚
abhi yh samajh lijiye,
phir main aapko us baat ke baare me bataunga jo aapne aakhir me puchchi hai.

Part 2
*Koi baat negative hai ya positive hai*
1- iska faisla isse hoga ki hamare mind mein uska sense kya clear ho raha hai?
2- usse Jo image ban rahi hai vah hamare Life ko support kar rahi hai ya damage kar rahi hai?
🌹💚🌹
Mind ke angle se
Umda Kalam ki ek sabse badi khubi yh hai ki
Woh mind par sense clear kar de taki woh convinced ho jaye.
Aur
Usse mind me positive image bane, jo life ko support karti ho.
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Kalima e taiyyaba se ye dono kaam bahut khubi ke sath hote hain.
Isliye yh ek positive sentence hai.
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Positive thinking mein 'nahin' word bolna mana nahin hai kyunki bolne Wale Ko apni baat clear karne ke liye nahin word bolna zururi hota hai.
Jin buri baton se rokna hai unhe 'nahin' word lagakar bolna hi hoga.
Ek achcha bolne wala woh hota hai ki jab woh buri baton se roke to uske bad woh acchi baton ka bayan bhi zurur Kare.
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Aap dekhenge ki Quran mein buri baton se rokne ke sath hi acchi baton ka hukm bhi diya gaya hai.
Bande ko bar bar nematon par focus karne ke liye kaha gaya hai aur nematon ka byan bahut tafsil se Kiya gaya hai.
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jab hamen taqrir karni ho aur kafi sentences bolne hon to kuchh sentences mein nahin word bolna nuqsan nahin deta balki fayda deta hai.
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Misal:
'Ham aapke Ahsan kabhi nahin bhulenge. ham hamesha aapke ahsanmand rahenge. ham aapke shukraguzar Hain.'

3 sentences bole gaye hain. Ek sentence mein nahin word bol sakte hain. jisse baat ka sense clear ho raha hai aur baad ke do sentences positive image banaa rahe hain in 3 sentences se baat ka sense bhi clear Ho Gaya aur mind mein positive image bhi Bani. aise bolna theek hai.
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'Ham aapke Ahsaan kabhi nahin bhulenge.'
Mind power ke angle se aise bolna nuqsandeh hai, jise aam log nhi samajh sakte.
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Ek sentence bolna ho to hamesha positive sentence bolen ki
'Ham hamesha aapke ahsanmand rahenge.'

Aise hi mind power ke angle se agar sirf ek word 'beshak' bolna hai to beshak ke bajay 'yaqinan' bolna zyada sahi hai.
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Aap Jo kuchh bolte Hain us bolne se energy ki lahren nikalti Hain aur un lahron se aapki zindagi mein theek vahi chiz banti hai jo aapane boli hai aur aapke bol aapki zindagi me apke samne aate rahte hain lekin aap unhe nahi pahchante ki humne hi inhen banaya hai.
Allah kisi bande pasand nahin Karta lekin band hai na jaane kyon life devising sentences bol bol kar apne aap per khud hi room karte rahte hain.
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Allah ki tasbih bayan karna hi Allahpathy ka maqsad hai.
Alhamdulillah!

Wednesday, June 12, 2019

Business with Gratitude घर से करें कमाई शुरू Dr. Anwer Jamal

आप तिजारत और शुक्र करें तो आपकी दौलत बढ़ने लगेगी। आप ड्रेस से लेकर हर्बल मेडिसिन तक कुछ भी बेच सकते हैं। बस चीज़ अच्छी और असरदार होनी चाहिए।
बेरोज़गार नौजवान लड़के लड़कियां अब अपने घर से भी सामान बेच सकते हैं और वे दूसरे शहरों में भी अपना माल भेज सकते हैं।
#Wellnes_Series 15
घर में 10 लोग हैं और अब एक कमा रहा है तो आमदनी कम पड़ रही होगी।
According to #Allahpathy
इंटरनेट के दौर में अब घर के 10 लोग कमा सकते हैं। अपनी सोच के पुराने पैटर्न को बदलना होगा। ऐसा करके आप ग़रीबी और क़र्ज़ से निकल सकते हैं। आप दूसरों की ज़्यादा मदद करने वाले बन सकते हैं।

कोई सवाल हो तो ईमेल कर सकते हैं।
allahpathy@gmail.com

Wednesday, January 16, 2019

Daulat Zyada Kaise Karen? How to Attract Money? Dr. Anwer Jamal


आप तिजारत और शुक्र करें तो आपकी दौलत बढ़ने लगेगी। आप ड्रेस से लेकर हर्बल मेडिसिन तक कुछ भी बेच सकते हैं। बस चीज़ अच्छी और असरदार होनी चाहिए।
बेरोज़गार नौजवान लड़के लड़कियां अब अपने घर से भी सामान बेच सकते हैं और वे दूसरे शहरों में भी अपना माल भेज सकते हैं।

#Wellnes_Series 15

घर में 10 लोग हैं और कोई एक कमा रहा है तो आमदनी कम पड़ रही होगी।
According to #Allahpathy
इंटरनेट के दौर में अब घर के सभी 10 लोग कमा सकते हैं। अपनी सोच के पुराने पैटर्न को बदलना होगा। ऐसा करके आप ग़रीबी और क़र्ज़ से निकल सकते हैं। आप दूसरों की ज़्यादा मदद करने वाले बन सकते हैं।
दान से बढ़ता है धन
दूसरों को अपना माल देने से, सदक़ा और ज़कात देने से आपका माल और ज़्यादा बढ़ेगा।
आप तिजारत में नर्मी और भलाई करेंगे तो आपकी सेल और ज़्यादा होती जाएगी। इन सब बातों को आप वैज्ञानिक तरीक़े से भी समझ सकते हैं।
नीचे दिए लिंक पर भी पढ़ें:
कोई सवाल हो तो ईमेल कर सकते हैं।