अलहम्दुलिल्लाह, कल ज़िला बुलंदशहर के क़स्बा सिकंद्राबाद में जाना हुआ। वहां अमानुल्लाह ख़ालिद साहब से उनके घर पर मुलाक़ात की। जनाब अमानुल्लाह ख़ालिद साहब एक बेहतरीन शायर हैं। उन्होंने पवित्र क़ुरआन का काव्य अनुवाद (poetic translation) किया है। उनके भाई और बेटे और भतीजे और दोस्त भी वहां बातचीत सुनने के लिए आ गए। जनाब डॉक्टर सैफ़ुल्लाह अंसारी साहब भी इस मजलिस में शामिल थे, जो जनाब अमानुल्लाह ख़ालिद साहब के भाई हैं और एक बहुत अच्छे होम्योपैथ हैं। मैंने उनके इलाज से बहुत मरीज़ ठीक होते हुए देखे हैं। उनसे ब्लड कैंसर और ट्यूमर के मरीज़ भी ठीक हुए हैं।
हॉल की सभी कुर्सियाँ भर गईं। बहुत से मुद्दों पर चर्चा हुई। उन मुद्दों में सब इंसानों की और मुस्लिमों की वैलनेस का मुद्दा भी था। लोगों की समस्याएं जीवन का सच्चा मुद्दा हैं। जब भी कुछ लोग कहीं मिलकर बात करेंगे तो उनकी समस्याएं मुद्दा बनेंगी।
रब ने लोगों को अक़्ल दी है जिससे वे विचार करके अपनी समस्याओं का हल तलाश कर लेते हैं और कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनमें अक़्ल चकरा जाती है कि सही बात क्या है? उन्हें साफ़-साफ़ बताने के लिए रब ने अपने नबी और रसूल भेजे; जैसे कि कोई इंसान अपने अक़्ल से यह नहीं बता सकता कि ज़िन्दगी का मक़सद क्या है और मरने के बाद इंसान के साथ क्या होगा?
इन दोनों बातों का इंसान की वैलनेस से गहरा रिश्ता है। अपने पैदा करने वाले के वजूद को और उसकी खूबियों को मानने का इंसान की वैलनेस पर असर पड़ता है। इंसान जो कुछ अपने हाथ से फ़िज़िकल दुनिया में करता है उसका असर भी उसकी वैलनेस पर पड़ता है। इंसान अपने दिल की दुनिया में चुपके चुपके जो कुछ सोचता है, उसका असर उस पर पड़ता है। इंसान अपने आप से जो बातें करता, उसका असर ज़िन्दगी पर पड़ता है। वह अपनी नज़र में अपने आप को जैसा मानता है, वह एक मुद्दत के बाद वैसा ही बन जाता है। सभी लोग बहुत ध्यान और शौक़ से बातों को सुन रहे थे। उनके शौक़ की वजह से मेरे दिल से सब की भलाई के लिए खुद ही बातें निकल रही थीं।
उस गुफ़्तगू का ख़ुलासा आपके लिए भी मुफ़ीद होगा। मैंने आपको समझाने के लिए कुछ बातों का इज़ाफा कर दिया है ताकि यह छोटा सा लेख आपके सामने वैलनेस गुरू बनकर समाज सेवा करने का कांसेप्ट क्लियर कर दे।
सबसे पहले हर इंसान को और सब मुस्लिमों को यह जानना जरूरी है कि हमारा बुनियादी मुद्दा यानि हमारी ज़िन्दगी का असल मक़सद फ़लाह पाना है। फ़लाह का मतलब है फल पाना। अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में फ़लाह लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया है। जिसे खेती करने वाले अरब किसान बहुत आसानी से समझ लेते हैं। एक किसान जब खेती करता है तो उसका मक़सद फल पाना होता है ताकि वह अपना और अपने परिवार वालों का और अपने ऊपर निर्भर लोगों का पालन पोषण कर सके, सभी जरूरतें पूरी कर सके और विकास कर सके। जो किसान आम के पेड़ लगाता है उसे आम मिलते हैं और जो किसान अपनी जमीन में कुछ नहीं बोता, उसमें खुद-ब-खुद बबूल पैदा होते हैं। जब कभी वह अपने खेत में जाता है तो उसे वहां बबूल मिलते हैं।
जैसे एक किसान खेती करता है और फिर एक मुद्दत के बाद वह फल पाता है, वैसे ही हर एक इंसान अपने दिल से और अपने जिस्म से जो कुछ करता है, वह अमल की खेती करना है और उसका फल भी उसे हालात के रूप में ज़रूर मिलता है। वह अच्छी खेती करता है तो उसे अच्छे फल मिलते हैं। उसके हालात अच्छे हो जाते हैं और अगर वह अपनी खेती की तरफ से ग़ाफ़िल रहता है तो उसे बुरे फल मिलते हैं। उसके हालात बुरे हो जाते हैं।
अमल की खेती में अंदर बाहर यानी दिल और जिस्म दोनों से काम लिया जाता है। हर आदमी हर समय इन दोनों से काम लेता रहता है। जैसे जिस्म का बाक़ी रहना दिल के ऊपर निर्भर है वैसे ही जिस्म जो भी काम करता है, उन्हें वे कोर बिलीफ़ कंट्रोल (core beliefs) करते हैं जो दिल में होते हैं।
1. इस यूनिवर्स में कॉज़ एंड इफ़ेक्ट (cause and effect) का रूल मौजूद है। अगर कहीं कोई काम हो रहा है तो उसकी कोई वजह ज़रूर है।
2. इस यूनिवर्स में लॉ ऑफ अट्रैक्शन काम करता है एक चीज़ अपने समान चीज़ को अपनी तरफ़ आकर्षित कर लेती है।
3. यहाँ लॉ ऑफ़ इंटेंशन काम करता है। जब आप किसी काम की नियत करते हैं तो आपको उस काम के होने के लिए जरूरी साधन, मौक़े और लोग नज़र आने लगते हैं।
4. यहां लॉ ऑफ़ जेस्टेशन (law of gestation) का नियम काम करता है कि हर एक चीज को परवरिश पढ़ने के लिए एक वक्त की ज़रूरत होती है।
5. यहाँ विश्वास का नियम काम करता है कि जैसा आपका विश्वास है वैसा आपके साथ होगा। यहां विश्वास से वह गहरा विश्वास मुराद है जो आपके सबकॉन्शियस माइंड का पैटर्न है, जो बचपन से बनता हुआ आया है और जिससे आप अनकॉन्शियस (अन्जान) हैं। आपके अनकॉन्शियस बिलीफ़ रब के क़ानूने क़ुदरत के तहत आपकी फ़िज़िकल रियलिटी को क्रिएट और कंट्रोल कर रहे हैं लेकिन आप नहीं जानते। इंसान की सबसे बड़ी ट्रेज्डी यही है कि वह अपने हालात की क्रिएशन प्रोसेस से अनकॉन्शियस और अनजान है।
एक आदमी सोचता है कि
'मैं ग़रीब हूं। मैं मज़लूम हूं। ज़माना ख़राब है।'
यह एक आम विश्वास है, जो समाज में सब लोगों के दिलों में बहुत गहराई तक जमा हुआ है। यह विश्वास घातक और सीमित विश्वास है। एक घातक विश्वास बबूल के बीज की तरह है। यह कोर बिलीफ़ आपकी ज़िन्दगी में ग़रीबी के हालात लाएगा। यह कोर बिलीफ़ आपकी ज़िन्दगी में ऐसे ज़ालिमों को लाएगा जो आप पर ज़ुल्म करेंगे। ज़माने की खराबी में विश्वास करना आपको ख़राब हालात में रखेगा। आप अपनी जिन्दगी के बाहरी हालात में वह सब देखेंगे और फ़ील करेंगे, जो कुछ आपके दिल में, आपके सबकॉन्शियस माइंड में कोर बिलीफ़ के रूप में मौजूद है।
आपको ग़रीबी से निकलना है, आपको किसी ज़ालिम से छुटकारा पाना है, आपको ख़राब हालात से निकलना है तो आपको अपने दिल से वे कोर बिलीफ़ निकालने होंगे, जो इन बाहरी हालात के जिम्मेदार हैं। आपको अपने दिल में अपने लिए यह काम ख़ुद ही करना होगा क्योंकि अपने दिल में आप ही सोचते हैं। आपको अपनी सोच पर नज़र रखनी होगी। आपको अपनी बुरी सोच को अच्छी सोच से बदलनी होगी। इसके लिए आपको अपने दिल में अच्छे विचारों को बार-बार रिपीट करके उन्हें कोर बिलीफ़ बनाना होगा।
'रब रहमान है। जिंदगी आसान है। मैं पूरी मौज लेता हूं। मैं अब खुश हूं। मेरी ज़रूरत की हर चीज़ मेरे मांगने से पहले मुझे मिल जाती है। ज़मीनो आसमान के हर चीज़ मेरी वैलनेस के लिए काम करती है। मेरी जिंदगी के हर पहलू में मेरे हालात रोज़ पहले से बेहतर हो रहे हैं। मैं अपने रब का शुक्रगुजार हूं क्योंकि वह मुझ पर बेहद मेहरबान है। जब मैं बीमार पड़ता हूं तो वही मुझे शिफा देता है। वही मुझे खिलाता और पिलाता है। मुझे अल्लाह काफ़ी है और वह मेरे सब काम अच्छे बनाता है।'
ये अच्छे विश्वास हैं जो आपकी जिंदगी को सपोर्ट करते हैं।
आपको दौलत, सेहत और कामयाबी से संबंधित कोई और विचार ज़रूरी लगे तो आप उसे भी बोल सकते हैं।
सेंटेंस क्लियर हो,
पॉज़िटिव हो और
आप उसे प्रेज़ेंट टेंस में बोलें।
जैसे कि आप अमीर होना चाहते हैं या आप सेहतमंद होना चाहते हैं तो आप आई एम रिच, आई एम हेल्दी बोलें। शुरू में यह आपको झूठ लगेगा लेकिन इन्हें बार-बार रिपीट करने से आपका सबकॉन्शियस माइंड इन्हें एक्सेप्ट कर लेगा।
आप इन्हें रोज़ाना 500 बार रिपीट करेंगे तो ये आपके कोर बिलीफ़ बन जाएंगे।
आप इन्हें दिन में एक बार में 500 बार कह सकते हैं, सुबह शाम दो बार में भी कह सकते हैं और आप इन्हें दिन में
100-100 करके पाँच बार में भी 500 बार रिपीट कर सकते हैं।
सेल्फ़ टॉक (self-talk)
सबसे आसान और असरदार तरीक़ा यह है कि आप इन्हें अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लें। आप रात को सोते समय बिस्तर पर अपना जिस्म ढीला छोड़ दें। दस बार गहरे साँस लें। हर तरफ़ से अपना ध्यान हटाकर इसे सुनें और जो कुछ आप सुन रहें;
उस सीन को अपने दिल में देखना शुरू करें कि वह आप इसी पल में हैं। आप अपनी रिचनेस और हेल्थ को देखें और फ़ील करें। आप अपने पास अपनी ज़रूरत की हर चीज़ देखें। अगर आप की ज़िन्दगी में कोई ज़ालिम है और आप उसे अपने आप से दूर करना चाहते हैं तो आप उसे दूर जाते हुए और फिर नज़रों से ओझल होते हुए देखें। आप अपने जीवनसाथी से प्रेम पाना चाहते हैं तो उसे खुद से प्रेम करते हुए देखें। आप इसे टेस्ट, टच, विज़न, साउंड और स्मैल; पाँचों सेंस के साथ इमेजिन करें ताकि यह आपको नेचुरल और रीयल लगे। आप ऐसा करते हुए सो जाएं।
सुबह जागते ही बिस्तर पर लेटे लेटे 5 मिनट आप फिर यही कर सकते हैं तो ज़रूर करें और नहीं कर सकते तो नहाते हुए और नाश्ता करते हुए भी आप यह self-talk आधा घंटा या एक घंटा सुन सकते हैं। यह भी काम करेगा। बार-बार सुनने से यह आपका कोर बिलीफ़ बनेगा। यह अच्छा कोर बिलीफ़ एक मुद्दत बाद आपकी लाईफ़ में खुद को रिफ़्लेक्ट करेगा। तब आप अपनी लाईफ़ में वैसे ही हालात, मौक़े और लोग देखेंगे जैसे कि ये कोर बिलीफ़ हैं।
आप अपनी नीयत से भी अपनी जिंदगी में माल व दौलत को आने की दावत दे सकते हैं। आलिमों के अनुसार इस्लाम में 5 रुक्न हैं। कलिमा, नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज। जिन लोगों के पास माल कम है। वे ज़कात और हज की नीयत नहीं करते। वे सोचते हैं कि जब हमारे पास इतना माल आ जाएगा कि हम पर ज़कात देना और हज करना फ़र्ज़ हो जाए, तब हम ज़कात देने और हज करने की नीयत करेंगे।
यूनिवर्स में यह नियम काम करता है कि आप जिस काम के लिए नीयत करते हैं, उस काम के होने के साधन, मौक़े और लोग आपको नज़र आने लगते हैं। ऐसे ही जब आपके पास माल कम है और आप ज़कात नहीं दे सकते और हज नहीं कर सकते। तब भी आप ज़कात देने और हज करने की नीयत करते हैं तो लॉ ऑफ़ इंटेंशन के मुताबिक़ आपके माइंड में बदलाव आ जाता है और उस बदलाव की वजह से आपके बाहरी हालात में भी बदलाव आने लगता है। अब आपको ऐसे मौक़े, लोग और साधन नज़र आने लगते हैं, जिन से काम लेकर आप अपनी जिंदगी में जायज़ और क़ुदरती तरीक़े से ज़्यादा माल और दौलत हासिल कर सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं और आपके पास ज़्यादा मालो दौलत आती है तब आप पर ज़कात और हज फ़र्ज़ हो जाता है और फिर आप उन्हें करने की हालत में आ जाते हैं।
अल्लाह ने ज़कात और हज फ़र्ज़ करके आपके लिए दौलतमंद होना यक़ीनी बना दिया है। बस आपको अपने अंदर पोशीदा ताक़त से काम लेने की सही जानकारी की ज़रूरत है।
जब आप अपने अंदर की पोशीदा ताक़त से और क़ानूने क़ुदरत से काम लेने का तरीक़ा जान लेते हैं तो आप अपनी जिंदगी के हर मसले को हल कर सकते हैं, अल्हमदुलिल्लाह!
अब आप दूसरे लोगों को भी उनकी जिंदगी की समस्याओं का हल बता सकते हैं। समाज में हर तरफ़ लोग बेरोज़गारी, बीमारी और नाकामी दूर करने का उपाय ढूंढ रहे हैं। वे इसी के लिए तरह-तरह के जाहिल बाबाओं के पास जाते हैं और ठगे जाते हैं। आप उन्हें सही ज्ञान दे सकते हैं। भारत में ऐसे कल्याण गुरुओं की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। पूरी दुनिया में आज वैलनेस कोचिंग करोड़ों डॉलर प्रतिवर्ष का बाज़ार है। आप इसे अपना प्रोफ़ेशन भी बना सकते हैं और आप फ़्री सेवा भी दे सकते हैं। इस्लाम में और हर धर्म में दोनों तरीक़े जायज़ हैं।
आज यूनिवर्स और माइंड के रहस्य जानने वाले एक लाख गुरुओं की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।
इसके लिए हम सिर्फ 10 गुरुओं से शुरू कर सकते हैं। मैं 10 से ज़्यादा गुरुओं को यह कल्याणकारी ज्ञान सिखा चुका हूँ। अब वे 10 नए लोगों को यह ज्ञान देकर वैलनेस गुरु बना दें। और फिर वे भी 10 लोगों को तैयार कर दें। इस तरह बहुत जल्दी सकारात्मक सोच वाले 1000 वैलनेस गुरू तैयार हो जाएंगे।
ये गुरु यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीक़े सिखाने के साथ ही उन चीज़ों के फ़ायदे भी जनता के सामने लाएंगे जो हमारी वैलनेस को सपोर्ट करते हैं जैसे कि शहद, कलौंजी, अंजीर, ज़ैतून का तेल, खजूर, सिरका, लौकी, मोरिंगा और व्हीट ग्रास जूस आदि। इनके फ़ायदे सुनकर हर एक आदमी इन्हें खाना चाहेगा। वैलनेस गुरु इन्हें बेचे। इससे वह बेरोज़गारी से रिहा हो जाएगा। वह दूसरों को ये सभी सामान अच्छी क्वालिटी में और मुनासिब रेट पर देगा तो उसका फ़ायदा समाज के लोगों को मिलेगा। जब आप समाज सेवा में लगते हैं तो आपके सामने सबसे बड़ा सवाल अपने परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी पूरी करने का होता है। आप वैलनेस प्रोडक्ट्स बेच कर आसानी से अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और आप बेफ़िक्र होकर समाज की भलाई के काम कर सकते हैं।
मैं आम लोगों की और भलाई के काम में लगे हुए कार्यकर्ताओं की कमाई को बहुत इम्पोर्टेंस देता हूँ। इस तरह आप 10 लोगों को वैलनेस गुरु बनाते हैं तो 10 लोगों को बेरोज़गारी से रिहाई का रास्ता दिखाते हैं। भारत में करोड़ों लोग बेरोज़गार हैं। जब लोग आपके कॉन्सेप्ट में फ़ायदा देखेंगे तो 10 के बजाय 100 लोग खुद आ जाएंगे कि हमें भी कमाना सिखा दें। बेरोज़गारों से ज़्यादा बीमार लोग हैं, वे आपसे हर्बल प्रोडक्ट्स लेने के लिए आएंगे। आप सही तरह अपने शहर में और फेसबुक पर प्रचार करेंगे तो हजारों लोग आपसे वैलनेस प्रोडक्ट्स ज़रूर खरीदेंगे।
मजलिस में गुफ़्तगू करते हुए जब 2 घंटे से ज़्यादा हो गए और मैंने उसे ख़त्म करना चाहा, तब मेरे दिल में आया कि मैं उन्हें उस सवाल का जवाब बता दूंगा जो सवाल मेरे दिल में 30 साल पहले आया था और उस जवाब का ताल्लुक़ हर एक इंसान की सेहत से है। एक हदीस बहुत मशहूर है जिसमें यह आया है कि कलौंजी के दानों में मौत के सिवाय हर मर्ज़ से शिफ़ा है।
कलौंजी के बारे में यह हदीस जानने के बाद मेरे मन में यह सवाल आया था कि जब हर मर्ज़ से शिफ़ा कलौंजी के दानों में है तो आलिम लोग कलौंजी खाकर अपना मर्ज़ दूर क्यों नहीं कर लेते? वे किसी डॉक्टर के पास क्यों जाते हैं? डॉक्टरों को उनके पास आना चाहिए था क्योंकि हर मर्ज़ का इलाज किसी डॉक्टर के पास नहीं है लेकिन आलिमों के पास कलौंजी के रूप में है।
मैंने होम्योपैथी की बहुत गहरी जानकारी रखने वाले डॉक्टर एहसानुल्लाह ख़ान साहब से सुना है कि डॉक्टर केंट होम्योपैथी के बहुत बड़े एक्सपर्ट थे, वह
हर मर्ज़ में एक दवा की सिर्फ़ एक डोज़ देते थे और मरीज़ ठीक हो जाता था।
गुज़रे हुए वक़्त में तिब्बे नबवी पर रिसर्च की गई होती और इसके बड़े-बड़े इदारे हर बड़े मदरसे में होते तो कलौंजी से हर मर्ज़ का इलाज किया जा सकता था। एक बड़ी ग़लती यह की जाती है कि कलौंजी को तिब्बे नबवी के उसूले शिफ़ा से काटकर देखा जाता है। तिब्बे नबवी में अल्लाह से शिफ़ा पाने के यकीन हो बुनियादी अहमियत हासिल है। आज सायकोलॉजी इस बात को मानती है कि शिफ़ा का यक़ीन बीमारी दूर करने में बहुत मददगार है। अंग्रेजी दवाओं की प्रूविंग में हम प्लेसिबो इफ़ेक्ट में मरीज़ को बिना दवा के चंगा होते हुए बार बार देखते हैं। यह मरीज़ के यक़ीन का करिश्मा होता है कि यक़ीन के असर से हर मर्ज़ के मरीज़ चंगे हुए हैं।
एक बार मैंने डॉक्टर सैफुल्लाह अंसारी साहब से पूछा था कि मेरी होम्योपैथ बहन आपसे यह जानना चाहती है कि आप अपनी कोई ख़ास तजुर्बे की बात बता दें। डॉक्टर सैफुल्लाह अंसारी साहब बुलंदशहर आए हुए थे और हमने कचहरी वाली बड़ी मस्जिद में एक साथ नमाज़ पढ़ी थी। हम नमाज़ पढ़कर हैंडपम्प के पास बाहर खड़े हो गए थे। उसी जगह पर मैंने सवाल किया था। तब डॉक्टर सैफ़ुल्लाह अंसारी साहब ने फरमाया था कि सबसे पहले आप एक सही दवा को चुन लें और फिर उसे मरीज़ को पूरे यक़ीन के साथ दें।
मैंने बाद में कई साल तक एक्सपर्ट्स की जो किताबें पढ़ीं उनसे यह साफ़ हो गया कि डॉक्टर साहब ने मर्ज़ और शिफ़ा पर असर डालने वाले सबसे बड़े फ़ैक्टर की निशानदेही की है।
अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के यक़ीन को क़ुरआन में बयान किया है। उनका यक़ीन था कि
'और जब मैं बीमार पड़ता हूं तो वही मुझे शिफ़ा देता है।' -पवित्र क़ुरआन 26:80
जब शिफ़ा के यकीन के साथ कलौंजी खाई जाती है और मुनासिब परहेज़ किया जाता है तो यह तिब्बे नबवी का इलाज होता है। तब यह हर मर्ज़ के लिए कारगर होती है। पहले आप अपने यक़ीन में शिफ़ा पाकर हेल्दी हो जाएं और हेल्दी होने के बाद जो काम करना चाहते हैं उस काम को अपने दिल में करें। स्कूल में आप अपने दिल में हेल्दी हैं। आप खुद को हेल्दी फ़ील करते हुए कलौंजी खाएं। अब कलौंजी आपकी इंटेंशन पर आपके यक़ीन के मुताबिक़ काम करेगी।
तिब्बे नबवी से हर मर्ज़ का इलाज मुमकिन है। इस पर रिसर्च की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। इससे मदरसों से निकलने वाले हाफिज़ों, आलिमों और मुफ़्तियों को रोज़गार हासिल करने में और समाज की सेवा करने में मदद मिलेगी। इससे इमाम और मुअज़्ज़िन अपनी आमदनी दो गुना से दस गुना बल्कि और ज़्यादा भी बढ़ा सकते हैं।
जब सिर्फ कलौंजी के अंदर पाए जाने वाले केमिकल्स स्टडी की जाएगी तो उसमें कुछ बीमारियों से शिफ़ा मिलना साबित होगा और बहुत ज़्यादा बीमारियों में वह बेअसर साबित होगी। यह तरीक़ा हर्बल पैथी, यूनानी और आयुर्वेद का तरीक़ा है। ज़्यादातर लोग कलौंजी को तिब्बे नबवी के उसूल ए शिफ़ा के साथ इस्तेमाल करना नहीं जानते। वे उसे हर्बल पैथी के तरीक़े से इस्तेमाल करते हैं और उन्हें सीमित लाभ मिलता है।
अगर आप किसी बीमारी से परेशान हैं और काफ़ी इलाज कराने के बाद भी उस बीमारी में फ़ायदा नहीं हो रहा है तो आप ख़ून में एसिड बढ़ाने वाली चीजें खाना बंद कर दें और 250 मिलीग्राम कलौंजी के साथ 20 मिलीलीटर व्हीटग्रास जूस सुबह शाम दो टाईम ख़ाली पेट पिएं ताकि आपका ख़ून एसिडिक नेचर से एल्कलाइन नेचर की तरफ़ वापस आ जाए जोकि हेल्थी ब्लड की निशानी है। आप अपने ब्लड को एल्कलाइन नेचर पर लाने की कोशिश करें। जिसे आपने बदल दिया था। आप फिर अपनी नेचर की तरफ़ पलट कर आएं। आप शिफ़ा का यक़ीन रखें। ख़ुद को अपने दिल में वह काम करते हुए देखें, जिन्हें आप हेल्दी होने के बाद करना चाहते हैं। इससे आपके सबकॉन्शियस माइंड में हेल्थ का पैटर्न बनेगा और फिर वह बाहर आपकी लाईफ़ में रिफ़्लेक्ट होगा।
मैंने यह छोटा सा लेख आपकी वैलनेस के लिए लिखा है। इसे पढ़कर आप फ़ौरन वैलनेस गुरू बन सकते हैं। अगर आप बेरोज़गार हैं तो आप इसे पढ़कर फ़ौरन कमाना शुरू कर सकते हैं। अगर आप समाज में कम इज़्ज़त पा रहे हैं तो आप गुरु बनकर सबसे ज़्यादा इज़्ज़त पा सकते हैं। इंडिया में गुरूओं को सबसे ज़्यादा इज़्ज़त दी जाती है। आप हिम्मत से काम लें।
يُؤْتِي الْحِكْمَةَ مَن يَشَاءُ ۚ وَمَن يُؤْتَ الْحِكْمَةَ فَقَدْ أُوتِيَ خَيْرًا كَثِيرًا ۗ وَمَا يَذَّكَّرُ إِلَّا أُولُو الْأَلْبَابِ
वह जिसे चाहता है हिकमत देता है और जिसे हिकमत मिली, उसे बड़ी दौलत मिल गई। किन्तु नसीहत वही लेते हैं, जो बुद्धि और समझवाले हैं।
-पवित्र क़ुरआन 2:269
ख़ुलासा:
- ज़िन्दगी के चैलेंज को क़ुबूल करें।
- यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीक़ों को समझें।
- उन तरीकों को अपनी जिंदगी में एप्लाई करें।
- दूसरे लोगों को यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीकों के बारे में जानकारी दें।
- वैलनेस गुरु बनकर लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान बताएं।
- अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए वैलनेस प्रोडक्ट्स की सेल करें। अल्लाह ने तिजारत में ज़्यादा बरकत रखी है।
- लोगों को तिब्बे नबवी के शिफ़ा के उसूलों की जानकारी दें।
- हर धर्म के लोगों के लिए नफ़ाबख़्श बनें।
- समाज में इज़्ज़तदार, ख़ुशहाल और सुरक्षित ज़िन्दगी गुज़ारें।
- 10 लोगों को वैलनेस गुरू बनाएं।