Insan ki umr dua mangte hue guzar jati h lekin dua ke rukn jaisi eham baat pata nhi Hoti.
आप अपने ग्रुप में दुआ के रुक्न पूछकर देख लें कितने लोग इसे जानते हैं।
मैंने दीन का इल्म फैलाने वाले दोस्तों से फ़ेसबुक और व्हाट्स एप पर दुआ के बारे में एक सवाल पूछा:
आदाबे दुआ
दुआ के दो रूक्न (pillars) हैं, जिनके होने से दुआ का वुजूद होता है। मस्नून दुआओं के संकलन
#Hisne_Haseen में लिखा है कि
वे दो रूक्न न हों तो दुआ का वुजूद न होगा।
किसी से पूछकर बताएं कि वे दो रूक्न क्या हैं?
#حصن_حصین
एक भाई ने फ़ेसबुक पर जवाब दिया, बस। बाक़ी लोगों के जवाब से पता चला कि उन्हें दुआ के रूक्न पता न थे। तब मैंने यह पोस्ट लिखी:
दोस्तो, इख़्लास (Sacred Heart) और यक़ीन (Believe), ये दुआ के 2 रूक्न हैं। इनमें से एक भी कम होगा तो दुआ का वुजूद ही न होगा।
इस पर एक बहन ने इख़्लास के बारे में पूछा कि
Anwer Jamal Khan इखलास पर ज़रा और रौशनी डाले सर 🙏
मैंने जवाब में यह लिखा:
Isu Shaikh Siddiqui बहन, इख़्लास को समझने के लिए इस आयत को पढ़ें और समझें कि जो मुसाफ़िर डूबती हुई नाव में हर तरफ़ से निराश होकर सिर्फ़ एक अल्लाह की अनंत शक्ति को पहचानता है और ख़ुद को और हर चीज़ को पूरी तरह उसी के क़ब्ज़े में देखता है; उस वक़्त उसका दिल ख़ालिस होता है। दिल की वह कैफ़ियत इख़्लास है:
वही है जो तुम्हें थल और जल में चलाता है, यहाँ तक कि जब तुम नौका में होते हो और वह लोगो को लिए हुए अच्छी अनुकूल वायु के सहारे चलती है और वे उससे हर्षित होते है कि अकस्मात उनपर प्रचंड वायु का झोंका आता है, हर ओर से लहरें उनपर चली आती है और वे समझ लेते है कि बस अब वे घिर गए, उस समय वे अल्लाह ही को, निरी उसी पर आस्था रखकर पुकारने लगते है, "यदि तूने हमें इससे बचा लिया तो हम अवश्य आभारी होंगे।"
फिर जब वह उनको बचा लेता है, तो क्या देखते है कि वे नाहक़ धरती में सरकशी करने लग जाते है। ऐ लोगों! तुम्हारी सरकशी तुम्हारे अपने ही विरुद्ध है। सांसारिक जीवन का सुख ले लो। फिर तुम्हें हमारी ही ओर लौटकर आना है। फिर हम तुम्हें बता देंगे जो कुछ तुम करते रहे होंगे.
सूरह यूनुस आयत 22-23
मैं दूसरी पोस्ट में आपको दुआ की शर्तों के बारे में जानकारी दूंगा, इन् शा अल्लाह!
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