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Allahpathy:THE BLESSING MONEY BAG THAT WOULD HELP EVERYONE TO BE RICH IN THE MONTH OF RAMADAN

By Hazrat Hakeem Mohammad Tariq Mahmood Chughtai Dear Readers! I Bring to you precious pearls and do not hide anything, you shou...

Sunday, September 15, 2019

कलौंजी हरेक मर्ज़ को कब दूर करती है? -Dr. Anwer Jamal


अलहम्दुलिल्लाह, कल ज़िला बुलंदशहर के क़स्बा सिकंद्राबाद में जाना हुआ। वहां अमानुल्लाह ख़ालिद साहब से उनके घर पर मुलाक़ात की। जनाब अमानुल्लाह ख़ालिद साहब एक बेहतरीन शायर हैं। उन्होंने पवित्र क़ुरआन का काव्य अनुवाद (poetic translation) किया है। उनके भाई और बेटे और भतीजे और दोस्त भी वहां बातचीत सुनने के लिए आ गए। जनाब डॉक्टर सैफ़ुल्लाह अंसारी साहब भी इस मजलिस में शामिल थे, जो जनाब अमानुल्लाह ख़ालिद साहब के भाई हैं और एक बहुत अच्छे होम्योपैथ हैं। मैंने उनके इलाज से बहुत मरीज़ ठीक होते हुए देखे हैं। उनसे ब्लड कैंसर और ट्यूमर के मरीज़ भी ठीक हुए हैं।
हॉल की सभी कुर्सियाँ भर गईं। बहुत से मुद्दों पर चर्चा हुई। उन मुद्दों में सब इंसानों की और मुस्लिमों की वैलनेस का मुद्दा भी था। लोगों की समस्याएं जीवन का सच्चा मुद्दा हैं। जब भी कुछ लोग कहीं मिलकर बात करेंगे तो उनकी समस्याएं मुद्दा बनेंगी।
रब ने लोगों को अक़्ल दी है जिससे वे विचार करके अपनी समस्याओं का हल तलाश कर लेते हैं और कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनमें अक़्ल चकरा जाती है कि सही बात क्या है? उन्हें साफ़-साफ़ बताने के लिए रब ने अपने नबी और रसूल भेजे; जैसे कि कोई इंसान अपने अक़्ल से यह नहीं बता सकता कि ज़िन्दगी का मक़सद क्या है और मरने के बाद इंसान के साथ क्या होगा?
इन दोनों बातों का इंसान की वैलनेस से गहरा रिश्ता है। अपने पैदा करने वाले के वजूद को और उसकी खूबियों को मानने का इंसान की वैलनेस पर असर पड़ता है। इंसान जो कुछ अपने हाथ से फ़िज़िकल दुनिया में करता है  उसका असर भी उसकी वैलनेस पर पड़ता है। इंसान अपने दिल की दुनिया में चुपके चुपके जो कुछ सोचता है, उसका असर उस पर पड़ता है। इंसान अपने आप से जो बातें करता, उसका असर ज़िन्दगी पर पड़ता है। वह अपनी नज़र में अपने आप को जैसा मानता है, वह एक मुद्दत के बाद वैसा ही बन जाता है। सभी लोग बहुत ध्यान और शौक़ से बातों को सुन रहे थे। उनके शौक़ की वजह से मेरे दिल से सब की भलाई के लिए खुद ही बातें निकल रही थीं।
उस गुफ़्तगू का ख़ुलासा आपके लिए भी मुफ़ीद होगा। मैंने आपको समझाने के लिए कुछ बातों का इज़ाफा कर दिया है ताकि यह छोटा सा लेख आपके सामने वैलनेस गुरू बनकर समाज सेवा करने का कांसेप्ट क्लियर कर दे।
सबसे पहले हर इंसान को और सब मुस्लिमों को यह जानना जरूरी है कि हमारा बुनियादी मुद्दा यानि हमारी ज़िन्दगी का असल मक़सद फ़लाह पाना है। फ़लाह का मतलब है फल पाना। अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में फ़लाह लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया है। जिसे खेती करने वाले अरब किसान बहुत आसानी से समझ लेते हैं। एक किसान जब खेती करता है तो उसका मक़सद फल पाना होता है ताकि वह अपना और अपने परिवार वालों का और अपने ऊपर निर्भर लोगों का पालन पोषण कर सके, सभी जरूरतें पूरी कर सके और विकास कर सके। जो किसान आम के पेड़ लगाता है उसे आम मिलते हैं और जो किसान अपनी जमीन में कुछ नहीं बोता, उसमें खुद-ब-खुद बबूल पैदा होते हैं। जब कभी वह अपने खेत में जाता है तो उसे वहां बबूल मिलते हैं।
जैसे एक किसान खेती करता है और फिर एक मुद्दत के बाद वह फल पाता है, वैसे ही हर एक इंसान अपने दिल से और अपने जिस्म से जो कुछ करता है, वह अमल की खेती करना है और उसका फल भी उसे हालात के रूप में ज़रूर मिलता है। वह अच्छी खेती करता है तो उसे अच्छे फल मिलते हैं। उसके हालात अच्छे हो जाते हैं और अगर वह अपनी खेती की तरफ से ग़ाफ़िल रहता है तो उसे बुरे फल मिलते हैं। उसके हालात बुरे हो जाते हैं।
अमल की खेती में अंदर बाहर यानी दिल और जिस्म दोनों से काम लिया जाता है। हर आदमी हर समय इन दोनों से काम लेता रहता है। जैसे जिस्म का बाक़ी रहना दिल के ऊपर निर्भर है वैसे ही जिस्म जो भी काम करता है, उन्हें वे कोर बिलीफ़ कंट्रोल (core beliefs) करते हैं जो दिल में होते हैं।
1. इस यूनिवर्स में कॉज़ एंड इफ़ेक्ट (cause and effect) का रूल मौजूद है। अगर कहीं कोई काम हो रहा है तो उसकी कोई वजह ज़रूर है।
2. इस यूनिवर्स में लॉ ऑफ अट्रैक्शन काम करता है एक चीज़ अपने समान चीज़ को अपनी तरफ़ आकर्षित कर लेती है।
3. यहाँ लॉ ऑफ़ इंटेंशन काम करता है। जब आप किसी काम की नियत करते हैं तो आपको उस काम के होने के लिए जरूरी साधन, मौक़े और लोग नज़र आने लगते हैं।
4. यहां लॉ ऑफ़ जेस्टेशन (law of gestation) का नियम काम करता है कि हर एक चीज को परवरिश पढ़ने के लिए एक वक्त की ज़रूरत होती है।
5. यहाँ विश्वास का नियम काम करता है कि जैसा आपका विश्वास है वैसा आपके साथ होगा। यहां विश्वास से वह गहरा विश्वास मुराद है जो आपके सबकॉन्शियस माइंड का पैटर्न है, जो बचपन से बनता हुआ आया है और जिससे आप अनकॉन्शियस (अन्जान) हैं। आपके अनकॉन्शियस बिलीफ़ रब के क़ानूने क़ुदरत के तहत आपकी फ़िज़िकल रियलिटी को क्रिएट और कंट्रोल कर रहे हैं लेकिन आप नहीं जानते। इंसान की सबसे बड़ी ट्रेज्डी यही है कि वह अपने हालात की क्रिएशन प्रोसेस से अनकॉन्शियस और अनजान है।
एक आदमी सोचता है कि 
'मैं ग़रीब हूं। मैं मज़लूम हूं। ज़माना ख़राब है।'
यह एक आम विश्वास है, जो समाज में सब लोगों के दिलों में बहुत गहराई तक जमा हुआ है। यह विश्वास घातक और सीमित विश्वास है। एक घातक विश्वास बबूल के बीज की तरह है। यह कोर बिलीफ़ आपकी ज़िन्दगी में ग़रीबी के हालात लाएगा। यह कोर बिलीफ़ आपकी ज़िन्दगी में ऐसे ज़ालिमों को लाएगा जो आप पर ज़ुल्म करेंगे। ज़माने की खराबी में विश्वास करना आपको ख़राब हालात में रखेगा। आप अपनी जिन्दगी के बाहरी हालात में वह सब देखेंगे और फ़ील करेंगे, जो कुछ आपके दिल में, आपके सबकॉन्शियस माइंड में कोर बिलीफ़ के रूप में मौजूद है।
आपको ग़रीबी से निकलना है, आपको किसी ज़ालिम से छुटकारा पाना है, आपको ख़राब हालात से निकलना है तो आपको अपने दिल से वे कोर बिलीफ़ निकालने होंगे, जो इन बाहरी हालात के जिम्मेदार हैं। आपको अपने दिल में अपने लिए यह काम ख़ुद ही करना होगा क्योंकि अपने दिल में आप ही सोचते हैं। आपको अपनी सोच पर नज़र रखनी होगी। आपको अपनी बुरी सोच को अच्छी सोच से बदलनी होगी। इसके लिए आपको अपने दिल में अच्छे विचारों को बार-बार रिपीट करके उन्हें कोर बिलीफ़ बनाना होगा।
'रब रहमान है। जिंदगी आसान है। मैं पूरी मौज लेता हूं। मैं अब खुश हूं मेरी ज़रूरत की हर चीज़ मेरे मांगने से पहले मुझे मिल जाती है। ज़मीनो आसमान के हर चीज़ मेरी वैलनेस के लिए काम करती है। मेरी जिंदगी के हर पहलू में मेरे हालात रोज़ पहले से बेहतर हो रहे हैं। मैं अपने रब का शुक्रगुजार हूं क्योंकि वह मुझ पर बेहद मेहरबान है। जब मैं बीमार पड़ता हूं तो वही मुझे शिफा देता है। वही मुझे खिलाता और पिलाता है। मुझे अल्लाह काफ़ी है और वह मेरे सब काम अच्छे बनाता है।'
ये अच्छे विश्वास हैं जो आपकी जिंदगी को सपोर्ट करते हैं।
आपको दौलत, सेहत और कामयाबी से संबंधित कोई और विचार ज़रूरी लगे तो आप उसे भी बोल सकते हैं।
सेंटेंस क्लियर हो,
पॉज़िटिव हो और
आप उसे प्रेज़ेंट टेंस में बोलें।
जैसे कि आप अमीर होना चाहते हैं या आप सेहतमंद होना चाहते हैं तो आप आई एम रिच, आई एम हेल्दी बोलें। शुरू में यह आपको झूठ लगेगा लेकिन इन्हें बार-बार रिपीट करने से आपका सबकॉन्शियस माइंड इन्हें एक्सेप्ट कर लेगा।
आप इन्हें रोज़ाना 500 बार रिपीट करेंगे तो ये आपके कोर बिलीफ़ बन जाएंगे।
आप इन्हें दिन में एक बार में 500 बार कह सकते हैं, सुबह शाम दो बार में भी कह सकते हैं और आप इन्हें दिन में 100-100 करके पाँच बार में भी 500 बार रिपीट कर सकते हैं।

सेल्फ़ टॉक (self-talk)
सबसे आसान और असरदार तरीक़ा यह है कि आप इन्हें अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लें। आप रात को सोते समय बिस्तर पर अपना जिस्म ढीला छोड़ दें। दस बार गहरे साँस लें। हर तरफ़ से अपना ध्यान हटाकर इसे सुनें और जो कुछ आप सुन रहें;
उस सीन को अपने दिल में देखना शुरू करें कि वह आप इसी पल में हैं। आप अपनी रिचनेस और हेल्थ को देखें और फ़ील करें। आप अपने पास अपनी ज़रूरत की हर चीज़ देखें। अगर आप की ज़िन्दगी में कोई ज़ालिम है और आप उसे अपने आप से दूर करना चाहते हैं तो आप उसे दूर जाते हुए और फिर नज़रों से ओझल होते हुए देखें। आप अपने जीवनसाथी से प्रेम पाना चाहते हैं तो उसे खुद से प्रेम करते हुए देखें। आप इसे टेस्ट, टच, विज़न, साउंड और स्मैल; पाँचों सेंस के साथ इमेजिन करें ताकि यह आपको नेचुरल और रीयल लगे। आप ऐसा करते हुए सो जाएं।
सुबह जागते ही बिस्तर पर लेटे लेटे 5 मिनट आप फिर यही कर सकते हैं तो ज़रूर करें और नहीं कर सकते तो नहाते हुए और नाश्ता करते हुए भी आप यह self-talk आधा घंटा या एक घंटा सुन सकते हैं। यह भी काम करेगा। बार-बार सुनने से यह आपका कोर बिलीफ़ बनेगा। यह अच्छा कोर बिलीफ़ एक मुद्दत बाद आपकी लाईफ़ में खुद को रिफ़्लेक्ट करेगा। तब आप अपनी लाईफ़ में वैसे ही हालात, मौक़े और लोग देखेंगे जैसे कि ये कोर बिलीफ़ हैं।

आप अपनी नीयत से भी अपनी जिंदगी में माल व दौलत को आने की दावत दे सकते हैं। आलिमों के अनुसार इस्लाम में 5 रुक्न हैं। कलिमा, नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज। जिन लोगों के पास माल कम है। वे ज़कात और हज की नीयत नहीं करते। वे सोचते हैं कि जब हमारे पास इतना माल आ जाएगा कि हम पर ज़कात देना और हज करना फ़र्ज़ हो जाए, तब हम ज़कात देने और हज करने की नीयत करेंगे।
यूनिवर्स में यह नियम काम करता है कि आप जिस काम के लिए नीयत करते हैं, उस काम के होने के साधन, मौक़े और लोग आपको नज़र आने लगते हैं। ऐसे ही जब आपके पास माल कम है और आप ज़कात नहीं दे सकते और हज नहीं कर सकते। तब भी आप ज़कात देने और हज करने की नीयत करते हैं तो लॉ ऑफ़ इंटेंशन के मुताबिक़ आपके माइंड में बदलाव आ जाता है और उस बदलाव की वजह से आपके बाहरी हालात में भी बदलाव आने लगता है। अब आपको ऐसे मौक़े, लोग और साधन नज़र आने लगते हैं, जिन से काम लेकर आप अपनी जिंदगी में जायज़ और क़ुदरती तरीक़े से ज़्यादा माल और दौलत हासिल कर सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं और आपके पास ज़्यादा मालो दौलत आती है तब आप पर ज़कात और हज फ़र्ज़ हो जाता है और फिर आप उन्हें करने की हालत में आ जाते हैं।
अल्लाह ने ज़कात और हज फ़र्ज़ करके आपके लिए दौलतमंद होना यक़ीनी बना दिया है। बस आपको अपने अंदर पोशीदा ताक़त से काम लेने की सही जानकारी की ज़रूरत है।
जब आप अपने अंदर की पोशीदा ताक़त से और क़ानूने क़ुदरत से काम लेने का तरीक़ा जान लेते हैं तो आप अपनी जिंदगी के हर मसले को हल कर सकते हैं, अल्हमदुलिल्लाह!
अब आप दूसरे लोगों को भी उनकी जिंदगी की समस्याओं का हल बता सकते हैं। समाज में हर तरफ़ लोग बेरोज़गारी, बीमारी और नाकामी दूर करने का उपाय ढूंढ रहे हैं। वे इसी के लिए तरह-तरह के जाहिल बाबाओं के पास जाते हैं और ठगे जाते हैं। आप उन्हें सही ज्ञान दे सकते हैं। भारत में ऐसे कल्याण गुरुओं की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। पूरी दुनिया में आज वैलनेस कोचिंग करोड़ों डॉलर प्रतिवर्ष का बाज़ार है। आप इसे अपना प्रोफ़ेशन भी बना सकते हैं और आप फ़्री सेवा भी दे सकते हैं। इस्लाम में और हर धर्म में दोनों तरीक़े जायज़ हैं।
आज यूनिवर्स और माइंड के रहस्य जानने वाले एक लाख गुरुओं की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।
इसके लिए हम सिर्फ 10 गुरुओं से शुरू कर सकते हैं। मैं 10 से ज़्यादा गुरुओं को यह कल्याणकारी ज्ञान सिखा चुका हूँ। अब वे 10 नए लोगों को यह ज्ञान देकर वैलनेस गुरु बना दें। और फिर वे भी 10 लोगों को तैयार कर दें। इस तरह बहुत जल्दी सकारात्मक सोच वाले 1000 वैलनेस गुरू तैयार हो जाएंगे।
ये गुरु यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीक़े सिखाने के साथ ही उन चीज़ों के फ़ायदे भी जनता के सामने लाएंगे जो हमारी वैलनेस को सपोर्ट करते हैं जैसे कि शहद, कलौंजी, अंजीर, ज़ैतून का तेल, खजूर, सिरका, लौकी, मोरिंगा और व्हीट ग्रास जूस आदि। इनके फ़ायदे सुनकर हर एक आदमी इन्हें खाना चाहेगा। वैलनेस गुरु इन्हें बेचे। इससे वह बेरोज़गारी से रिहा हो जाएगा। वह दूसरों को ये सभी सामान अच्छी क्वालिटी में और मुनासिब रेट पर देगा तो उसका फ़ायदा समाज के लोगों को मिलेगा। जब आप समाज सेवा में लगते हैं तो आपके सामने सबसे बड़ा सवाल अपने परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी पूरी करने का होता है। आप वैलनेस प्रोडक्ट्स बेच कर आसानी से अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और आप बेफ़िक्र होकर समाज की भलाई के काम कर सकते हैं।
मैं आम लोगों की और भलाई के काम में लगे हुए कार्यकर्ताओं की कमाई को बहुत इम्पोर्टेंस देता हूँ। इस तरह आप 10 लोगों को वैलनेस गुरु बनाते हैं तो 10 लोगों को बेरोज़गारी से रिहाई का रास्ता दिखाते हैं। भारत में करोड़ों लोग बेरोज़गार हैं। जब लोग आपके कॉन्सेप्ट में फ़ायदा देखेंगे तो 10 के बजाय 100 लोग खुद आ जाएंगे कि हमें भी कमाना सिखा दें। बेरोज़गारों से ज़्यादा बीमार लोग हैं, वे आपसे हर्बल प्रोडक्ट्स लेने के लिए आएंगे। आप सही तरह अपने शहर में और फेसबुक पर प्रचार करेंगे तो हजारों लोग आपसे वैलनेस प्रोडक्ट्स ज़रूर खरीदेंगे।
मजलिस में गुफ़्तगू करते हुए जब 2 घंटे से ज़्यादा हो गए और मैंने उसे ख़त्म करना चाहा, तब मेरे दिल में आया कि मैं उन्हें उस सवाल का जवाब बता दूंगा जो सवाल मेरे दिल में 30 साल पहले आया था और उस जवाब का ताल्लुक़ हर एक इंसान की सेहत से है। एक हदीस बहुत मशहूर है जिसमें यह आया है कि कलौंजी के दानों में मौत के सिवाय हर मर्ज़ से शिफ़ा है।
कलौंजी के बारे में यह हदीस जानने के बाद मेरे मन में यह सवाल आया था कि जब हर मर्ज़ से शिफ़ा कलौंजी के दानों में है तो आलिम लोग कलौंजी खाकर अपना मर्ज़ दूर क्यों नहीं कर लेते? वे किसी डॉक्टर के पास क्यों जाते हैं? डॉक्टरों को उनके पास आना चाहिए था क्योंकि हर मर्ज़ का इलाज किसी डॉक्टर के पास नहीं है लेकिन आलिमों के पास कलौंजी के रूप में है।
मैंने होम्योपैथी की बहुत गहरी जानकारी रखने वाले डॉक्टर एहसानुल्लाह ख़ान साहब से सुना है कि डॉक्टर केंट होम्योपैथी के बहुत बड़े एक्सपर्ट  थे, वह
हर मर्ज़ में एक दवा की सिर्फ़ एक डोज़ देते थे और मरीज़ ठीक हो जाता था।
गुज़रे हुए वक़्त में तिब्बे नबवी पर रिसर्च की गई होती और इसके बड़े-बड़े इदारे हर बड़े मदरसे में होते तो कलौंजी से हर मर्ज़ का इलाज किया जा सकता था। एक बड़ी ग़लती यह की जाती है कि कलौंजी को तिब्बे नबवी के उसूले शिफ़ा से काटकर देखा जाता है। तिब्बे नबवी में अल्लाह से शिफ़ा पाने के यकीन हो बुनियादी अहमियत हासिल है। आज सायकोलॉजी इस बात को मानती है कि शिफ़ा का यक़ीन बीमारी दूर करने में बहुत मददगार है। अंग्रेजी दवाओं की प्रूविंग में हम प्लेसिबो इफ़ेक्ट में मरीज़ को बिना दवा के चंगा होते हुए बार बार देखते हैं। यह मरीज़ के यक़ीन का करिश्मा होता है कि यक़ीन के असर से हर मर्ज़ के मरीज़ चंगे हुए हैं।
एक बार मैंने डॉक्टर सैफुल्लाह अंसारी साहब से पूछा था कि मेरी होम्योपैथ बहन आपसे यह जानना चाहती है कि आप अपनी कोई ख़ास तजुर्बे की बात बता दें। डॉक्टर सैफुल्लाह अंसारी साहब बुलंदशहर आए हुए थे और हमने कचरी वाली बड़ी मस्जिद में एक साथ नमाज़ पढ़ी थी। हम नमाज़ पढ़कर हैंडपम्प के पास बाहर खड़े हो गए थे। उसी जगह पर मैंने सवाल किया था। तब डॉक्टर सैफ़ुल्लाह अंसारी साहब ने फरमाया था कि सबसे पहले आप एक सही दवा को चुन लें और फिर उसे मरीज़ को पूरे यक़ीन के साथ दें।
मैंने बाद में कई साल तक एक्सपर्ट्स की जो किताबें पढ़ीं उनसे यह साफ़ हो गया कि डॉक्टर साहब ने मर्ज़ और शिफ़ा पर असर डालने वाले सबसे बड़े फ़ैक्टर की निशानदेही की है।
अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के यक़ीन को क़ुरआन में बयान किया है। उनका यक़ीन था कि
'और जब मैं बीमार पड़ता हूं तो वही मुझे शिफ़ा देता है।' -पवित्र क़ुरआन 26:80
जब शिफ़ा के यकीन के साथ कलौंजी खाई जाती है और मुनासिब परहेज़ किया जाता है तो यह तिब्बे नबवी का इलाज होता है। तब यह हर मर्ज़ के लिए कारगर होती है। पहले आप अपने यक़ीन में शिफ़ा पाकर हेल्दी हो जाएं और हेल्दी होने के बाद जो काम करना चाहते हैं उस काम को अपने दिल में करें। स्कूल में आप अपने दिल में हेल्दी हैं। आप खुद को हेल्दी फ़ील करते हुए कलौंजी खाएं। अब कलौंजी आपकी इंटेंशन पर आपके यक़ीन के मुताबिक़ काम करेगी।
तिब्बे नबवी से हर मर्ज़ का इलाज मुमकिन है। इस पर रिसर्च की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। इससे मदरसों से निकलने वाले हाफिज़ों, आलिमों और मुफ़्तियों को रोज़गार हासिल करने में और समाज की सेवा करने में मदद मिलेगी। इससे इमाम और मुअज़्ज़िन अपनी आमदनी दो गुना से दस गुना बल्कि और ज़्यादा भी बढ़ा सकते हैं।
जब सिर्फ कलौंजी के अंदर पाए जाने वाले केमिकल्स स्टडी की जाएगी तो उसमें कुछ बीमारियों से शिफ़ा मिलना साबित होगा और बहुत ज़्यादा बीमारियों में वह बेअसर साबित होगी। यह तरीक़ा हर्बल पैथी, यूनानी और आयुर्वेद का तरीक़ा है। ज़्यादातर लोग कलौंजी को तिब्बे नबवी के उसूल ए शिफ़ा के साथ इस्तेमाल करना नहीं जानते। वे उसे हर्बल पैथी के तरीक़े से इस्तेमाल करते हैं और उन्हें सीमित लाभ मिलता है।
अगर आप किसी बीमारी से परेशान हैं और काफ़ी इलाज कराने के बाद भी उस बीमारी में फ़ायदा नहीं हो रहा है तो आप ख़ून में एसिड बढ़ाने वाली चीजें खाना बंद कर दें और 250 मिलीग्राम कलौंजी के साथ 20 मिलीलीटर व्हीटग्रास जूस सुबह शाम दो टाईम ख़ाली पेट पिएं ताकि आपका ख़ून एसिडिक नेचर से एल्कलाइन नेचर की तरफ़ वापस आ जाए जोकि हेल्थी ब्लड की निशानी है। आप अपने ब्लड को एल्कलाइन नेचर पर लाने की कोशिश करें।  जिसे आपने बदल दिया था। आप फिर अपनी नेचर की तरफ़ पलट कर आएं। आप शिफ़ा का यक़ीन रखें। ख़ुद को अपने दिल में वह काम करते हुए देखें, जिन्हें आप हेल्दी होने के बाद करना चाहते हैं। इससे आपके सबकॉन्शियस माइंड में हेल्थ का पैटर्न बनेगा और फिर वह बाहर आपकी लाईफ़ में रिफ़्लेक्ट होगा।

मैंने यह छोटा सा लेख आपकी वैलनेस के लिए लिखा है। इसे पढ़कर आप फ़ौरन वैलनेस गुरू बन सकते हैं अगर आप बेरोज़गार हैं तो आप इसे पढ़कर फ़ौरन कमाना शुरू कर सकते हैं। अगर आप समाज में कम इज़्ज़त पा रहे हैं तो आप गुरु बनकर सबसे ज़्यादा इज़्ज़त पा सकते हैं। इंडिया में गुरूओं को सबसे ज़्यादा इज़्ज़त दी जाती है। आप हिम्मत से काम लें।
يُؤْتِي الْحِكْمَةَ مَن يَشَاءُ ۚ وَمَن يُؤْتَ الْحِكْمَةَ فَقَدْ أُوتِيَ خَيْرًا كَثِيرًا ۗ وَمَا يَذَّكَّرُ إِلَّا أُولُو الْأَلْبَابِ
वह जिसे चाहता है हिकमत देता है और जिसे हिकमत मिली, उसे बड़ी दौलत मिल गई। किन्तु नसीहत वही लेते हैं, जो बुद्धि और समझवाले हैं।
-पवित्र क़ुरआन 2:269

ख़ुलासा:
  1. ज़िन्दगी के चैलेंज को क़ुबूल करें।
  2. यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीक़ों को समझें।
  3. उन तरीकों को अपनी जिंदगी में एप्लाई करें।
  4. दूसरे लोगों को यूनिवर्स और माइंड के काम करने के तरीकों के बारे में जानकारी दें।
  5. वैलनेस गुरु बनकर लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान बताएं।
  6. अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए वैलनेस प्रोडक्ट्स की सेल करें। अल्लाह ने तिजारत में ज़्यादा बरकत रखी है।
  7. लोगों को तिब्बे नबवी के शिफ़ा के उसूलों की जानकारी दें।
  8. हर धर्म के लोगों के लिए नफ़ाबख़्श बनें।
  9. समाज में इज़्ज़तदार, ख़ुशहाल और सुरक्षित ज़िन्दगी गुज़ारें।
  10. 10 लोगों को वैलनेस गुरू बनाएं।

Friday, September 13, 2019

लॉ ऑफ अट्रैक्शन पवित्र क़ुरआन की रौशनी में -Dr. Anwer Jamal

रामपुर यू. पी. से मुहम्मद आमिर अंसारी भाई का सवाल: सर मैं अभी सूरह कहफ़ पढ़ रहा था, मेरे सामने उसकी स्टोरी आई, जिसके बाग़ बर्बाद हो गए थे… तो ये जो दो आयतें हैं—
और वह अपने बाग़ में दाखिल हुआ इस हाल में कि वह अपनी जान पर ज़ुल्म कर रहा था, वह बोला मैं गुमान नहीं करता कि यह कभी भी बर्बाद होगा! (18:35)
यहां अबदा का लफ़्ज़ है सर… 
और फिर इसके बाद इसका हश्र इस आयत में बताया गया है—
और उसके फल अज़ाब में घेर लिए गए और उसमें जो उसने खर्च किया था, वह उस पर अपना हाथ मलता रह गया, और वह बाग़ अपनी छतरियों पर गिरा हुआ था और वह कहने लगा ऐ काश, मैं अपने रब के साथ किसी को शरीक न करता. (18:42)

अगर अल्लाह का क़ानून यहां सिर्फ विश्वास पर क़ायम है, और कोई मुशरिक भी पूरे यक़ीन के साथ कुछ करेगा तो लॉ ऑफ अट्रैक्शन के तहत उसको फ़लाह हासिल होनी चाहिए, पर आयत नंबर 35 में उसका मुकम्मल यक़ीन दिखाया है बाग के कभी ना बर्बाद होने पर, लेकिन फिर भी आयत नंबर 42 में उसकी बर्बादी का नज़ारा है, और फिर आयत 44 में बताया है, कि यहां इख्तेयार केवल अल्लाह बरहक़ के हाथ में है…
तो सर मेरा सवाल ये है कि क्या ये आयत लॉ ऑफ अट्रैक्शन के बुनियादी उसूल से टकराती हुई मालूम नहीं होती ? दुआओं पर यक़ीन करना अपनी जगह क़ायम है ईमान वालों के लिए तो, यक़ीन से ही मांगनी चाहिए, क्योंकि वो तो आख़िरी इख्तेयार अल्लाह के हाथ में समझते ही हैं, 
लेकिन अल्लाह के मुनकिर या मुशरिक इस लॉ से कैसे फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि दुनियावी क़ानून तो सब को फलाह पहुंचाते हैं, ऐसा ही लॉ ऑफ अट्रैक्शन के बारे में भी तसव्वुर है सबका, कि कोई चाहे अल्लाह को मानने वाला हो या ना हो, पूरा यक़ीन होगा उसे तो कामयाबी हासिल होगी, लेकिन इस आयत में बरबादी दिखाई गई है… इस पर थोड़ी रोशनी डालें सर प्लीज़.
जज़ाक अल्लाह😇


जवाब: यूनिवर्स में जो लॉ काम करते हैं, उन्हें यूनिवर्सल लॉज़ कहते हैं। एक यूनिवर्सल लॉ दूसरे यूनिवर्सल लॉज़ के साथ मिलकर काम करता है। लॉ ऑफ अट्रैक्शन एक यूनिवर्सल लॉ है जो दूसरे यूनिवर्सल लॉज़ के साथ मिलकर काम करता है। अगर आप लॉ ऑफ अट्रैक्शन को समझना शुरू कर रहे हैं तो आपको 12 यूनिवर्सल लॉज़ और 21 सब्लॉज़ की स्टडी करनी होगी। इसके लिए आप नीचे दिए लिंक पर जाकर यह लेख पढ़ सकते हैं:
1 ~ The Law of Divine Oneness
We live in a world where everything and everyone is connected to everything and everyone else.  Every single thing we are doing, saying, thinking and believing effects others around us as well as the universe we are part of.   We are all connected.

2 ~ The Law of Vibration
Everything single thing in our universe moves, vibrates and travels in circular motions.  These very same principles of vibration apply in our physical world through our thoughts, feelings and desires.  Everything has it’s own vibrational frequency from sounds, to things and even our thoughts.  Your vibration will attract like vibrations to you.

3 ~ The Law of Action
To see the Law of Attraction in Action we must take inspired action.  To manifest the things we desire we must engage in actions which support our desires as well as our thoughts, dreams, emotions and words.

4 ~ The Law of Correspondence
As Above, So Below.  Energy, Light, Vibration and Motion all have their corresponding principles.  Everything on the physical plane has a corresponding principle out there in the universe.

5 ~ The Law of Cause & Effect
Nothing ever happens by chance.  We reap what we sow, every action has a reaction and consequence.  What we put out there we get back.  Karma….

6 ~ The Law of Compensation
As for the Law of Cause and Effect what we put out we get back by way of abundance in all area’s.   By helping others and taking positive actions great things will come back into our lives.  We will be compensated for our good deeds, give your heart and soul to everything.

7 ~ The Law of Attraction (My favorite of course 🙂 
What we think about we bring about, our thoughts become things.  All of our thoughts, feelings, words and actions are producing energy which in turn attract like energies and things into our lives.  Negative or Positive like attracts like.    The Law of Attraction is also known as the Law of Love ♥

8  ~ The Law of Perpetual Transmutation of Energy (The What?????)
Simply put, everyone has the ability within them to transform their life.  We can do this by understanding these universal laws and changing our energy.  It’s up to us to do it!

9 ~ The Law of Relativity
Everyone has challenges! We are all given challenges for a reason, opportunities to learn and grow.  These challenges are sent to strengthen our inner light.  The law also wants us to  look at other peoples challenges and problems worse than ours so we can gain perspective.  It’s all relative.

10 ~ The Law of Polarity
Everything has a polar opposite good or bad.   This is the Contrast and Clarity, when you know what you don’t want in turn you know what you do want.  Focus on the Good things you want 🙂

11 ~ The Law of Rhythm
Everything moves and vibrates to certain rhythms.  This can be seasons, cycles, stages of our development and patterns happening in the universe.  We need to stay in flow throughout these rhythms of life.

12 ~ The Law of Gender
Yin & Yang.  Everything and everyone has feminine and masculine principles and energies, this is how creation happens in the universe.  We must all find the balance between the two to master our lives.
🙂

There are also 21 Sub-Laws which relate to the human characteristics we should embody in our lives ~
Aspiration to A Higher Power
Charity
Compassion
Courage
Dedication
Faith
Forgiveness
Generosity
Grace
Honesty
Hope
Joy
Kindness
Leadership
Noninterference
Patience
Praise
Responsibility
Self-Love
Thankfulness
Unconditional Love ♥
लॉ ऑफ अट्रैक्शन इंसान के वुजूद (Being) पर काम करता है। लॉ ऑफ अट्रैक्शन के मुताबिक़ जो वुजूद अपने सोर्स (रब) से कटा हुआ है और अपने सोर्स की अच्छाईयों को प्रकाशित नहीं करता, वह इस यूनिवर्स में वैसे ही सूख जाता है जैसे एक शाखा किसी पेड़ से कटकर सूख जाती है।
जो अपने पैदा करने वाले पर विश्वास नहीं करता और जो शुक्र, दया, दान, नर्मी, आनंद, प्रेम, क्षमा और ख़ुशी से ख़ाली है, जो यूनिवर्सल लॉज़ की हारमोनी में काम नहीं करता, वह इस यूनिवर्स में नहीं फलता।
अब आप पवित्र क़ुरआन की सूरह कहफ़ की उस उपमा पर ध्यान दें जो आयत नंबर 32 से आयत नंबर 44 तक आई है। इसमें आप एक अहंकारी (Egoistic) व्यक्ति को देखेंगे जो अपने रब से कटा हुआ है और अच्छे गुणों से ख़ाली है और वह यूनिवर्सल लॉज़ के खिलाफ़ काम कर रहा है। उसके पास धन और संतान ज़्यादा है लेकिन वे उसकी ज़िंदगी में जिन कारणों से और जिस मक़सद के लिए हाज़िर हुए हैं, वह अहंकारी व्यक्ति उनसे अन्जान है।
दूसरा ज्ञानी व्यक्ति उसे रब के बारे में, उसके क़ानूने क़ुदरत के बारे में और अच्छे गुणों के बारे में ज्ञान देता है तो वह उस व्यक्ति को धन और संतान में अपने से कम होने के कारण तुच्छ जानकर उस ज्ञान को ठुकरा देता है। वह अपने अहंकार और अज्ञान में विनाश के रास्ते पर आगे बढ़ता है और बर्बाद हो जाता है। यही होना था।
मुझे उम्मीद है कि आप अब सब समझ गये होंगे। पवित्र क़ुरआन में दिए गए वाक़यात को समझने के लिए रब के क़ानूने क़ुदरत को समझना ज़रूरी है।

उनके समक्ष एक उपमा प्रस्तुत करो, दो व्यक्ति है। उनमें से एक को हमने अंगूरों के दो बाग़ दिए और उनके चारों ओर हमने खजूरो के वृक्षो की बाड़ लगाई और उन दोनों के बीच हमने खेती-बाड़ी रखी (32) दोनों में से प्रत्येक बाग़ अपने फल लाया और इसमें कोई कमी नहीं की। और उन दोनों के बीच हमने एक नहर भी प्रवाहित कर दी (33) उसे ख़ूब फल और पैदावार प्राप्त हुई। इसपर वह अपने साथी से, जबकि वह उससे बातचीत कर रहा था, कहने लगा, "मैं तुझसे माल और दौलत में बढ़कर हूँ और मुझे जनशक्ति भी अधिक प्राप्त है।" (34) वह अपने हकड में ज़ालिम बनकर बाग़ में प्रविष्ट हुआ। कहने लगा, "मैं ऐसा नहीं समझता कि वह कभी विनष्ट होगा (35) और मैं नहीं समझता कि वह (क़ियामत की) घड़ी कभी आएगी। और यदि मैं वास्तव में अपने रब के पास पलटा भी तो निश्चय ही पलटने की जगह इससे भी उत्तम पाऊँगा।" (36) उसके साथी ने उससे बातचीत करते हुए कहा, "क्या तू उस सत्ता के साथ कुफ़्र करता है जिसने तुझे मिट्टी से, फिर वीर्य से पैदा किया, फिर तुझे एक पूरा आदमी बनाया? (37) लेकिन मेरा रब तो वही अल्लाह है और मैं किसी को अपने रब के साथ साझीदार नहीं बनाता (38) और ऐसा क्यों न हुआ कि जब तूने अपने बाग़ में प्रवेश किया तो कहता, 'जो अल्लाह चाहे, बिना अल्लाह के कोई शक्ति नहीं?' यदि तू देखता है कि मैं धन और संतति में तुझसे कम हूँ, (39) तो आशा है कि मेरा रब मुझे तेरे बाग़ से अच्छा प्रदान करें और तेरे इस बाग़ पर आकाश से कोई क़ुर्क़ी (आपदा) भेज दे। फिर वह साफ़ मैदान होकर रह जाए (40) या उसका पानी बिलकुल नीचे उतर जाए। फिर तू उसे ढूँढ़कर न ला सके।" (41) हुआ भी यही कि उसका सारा फल घिराव में आ गया। उसने उसमें जो कुछ लागत लगाई थी, उसपर वह अपनी हथेलियों को नचाता रह गया. और स्थिति यह थी कि बाग़ अपनी टट्टियों पर हा पड़ा था और वह कह रहा था, "क्या ही अच्छा होता कि मैंने अपने रब के साथ किसी को साझीदार न बनाया होता!" (42) उसका कोई जत्था न हुआ जो उसके और अल्लाह के बीच पड़कर उसकी सहायता करता और न उसे स्वयं बदला लेने की सामर्थ्य प्राप्त थी (43) ऐसे अवसर पर काम बनाने का सारा अधिकार परम सत्य अल्लाह ही को प्राप्त है। वही बदला देने में सबसे अच्छा है और वही अच्छा परिणाम दिखाने की स्पष्ट से भी सर्वोत्तम है (44)
-पवित्र क़ुरआन 18:32-44

रब के करम से हमने इंडिया में दीनी और फ़लाही  (Wellness Work) काम करने वालों को लॉ ऑफ अट्रैक्शन की तरफ तवज्जो दिलाई है। ज़्यादा से ज़्यादा लोग हमसे लॉ ऑफ अट्रैक्शन समझने के लिए संपर्क कर रहे हैं। हम आपके सवाल के लिए आपके शुक्रगुजार हैं क्योंकि आपके सवाल से हमारे जवाब देने का एक ऐसा मौका वुजूद में आया जिससे आपके साथ हजारों लाखों लोग कुछ नया सीख सकते हैं।
दीन-धर्म के प्रचारकों और जन कल्याण के कामों में लगे सभी कार्यकर्ताओं को यह जानना जरूरी है कि उनका माइंड और यह यूनिवर्स कैसे काम करता है और वे अपने गोल को अचीव करने के लिए उनसे अपने हित में कैसे काम ले सकते हैं!

Tuesday, September 3, 2019

जब नास्तिक ईश्वर अल्लाह के नाम पर माँगने लगा रहम की भीख - Dr. Anwer Jamal

दोस्तो! मैंने नास्तिक लोगों को समझाने के लिए एक तब्लीग़ी (उपदेशात्मक) कहानी लिखी है। यह आपके दावती काम में फायदेमंद रहेगी। जहां भी नास्तिक लोग अल्लाह ईश्वर के वुजूद का इन्कार कर रहे हों, आप वहां इसे कॉपी पेस्ट कर दें।
मैं पोस्ट लेखकों और पाठक दोस्तों को इस कथा के माध्यम से एक सच्चाई बताना चाहता हूं।
विजय किसी धर्म को नहीं मानता था लेकिन वह धार्मिक माता पिता की संगत के कारण अपराध करने से डरता था। वह महत्वाकांक्षी था और जवानी में ही बहुत जल्दी कोठी, कार, बैंक बैलेंस और सुंदर स्त्रियों का सुख पा लेना चाहता था। उसे एक डॉक्टर ने ऑफ़र किया था कि अगर वह मानव अंगों की तस्करी का काम शुरू कर दे तो उसे काफ़ी पैसा मिल सकता है लेकिन उसके दिल में अनिश्चितता थी।
एक दिन वह इसी असमंजस की स्थिति में अपने घर में बैठा हुआ था कि उसका एक नास्तिक मित्र मतिहर उससे मिलने आया।
उस मित्र को अपनी ही धुन सवार रहती थी। वह हर समय 'ईश्वर नहीं है', यह सिद्ध करने को आतुर रहता था।
विजय ने उसके लिए कॉफी बनानी‌ शुरू की। इस दौरान बात घूम कर किसी तरह भले बुरे और ईश्वर के अस्तित्व पर आ गई।
मतिहर ने सिद्ध कर दिया कि ईश्वर नहीं होता। पाखण्डी मक्कार लोगों ने जनता को बेवकूफ़ बनाने के लिए ईश्वर की कल्पना कर ली है और वे ईश्वर के नाम से डरा कर माल समेटते रहते हैं। अत: ईश्वर से डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ईश्वर नहीं है।
यह बात विजय को जंच गई और वह खुद चाहता था कि उसके मन की दुविधा ख़त्म हो तो उसने भी बिना तर्क किए मतिहर की बात मान ली। उसका असमंजस दूर हो गया। उसने डॉक्टर के ऑफर को एक्सेप्ट कर लिया।
मतिहर की बात सुनते सुनते विजय ने उसकी कॉफ़ी में नज़र बचाकर नींद की गोलियां मिला दीं।
जब मतिहर की आंख खुली तो उहने खुद को एक तहख़ाने में पाया। जहां कुछ डॉक्टर उसके गुर्दों, फेफड़ों, दिल और बोन मैरो की जांच कर रहे थे। सभी डॉक्टरों ने उसके सभी अंग हेल्दी और फिट पाए। वे सब ख़ुश थे।
मतिहर के पूछने पर डॉक्टरों ने उसे पूरी सच्चाई बता दी कि वे उसके अंग निकाल कर अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेच देंगे। मतिहर यह सुनकर चकरा गया।
अब मतिहर रो रो कर उन डॉक्टरों को ईश्वर अल्लाह का वास्ता दे रहा है और बार-बार ख़ुद पर रहम करने की अपील कर रहा है। सभी डॉक्टर ठहाका लगाकर हंस रहे हैं कि ईश्वर तो होता ही नहीं है फिर भला हम क्यों रहम करें। धूर्त लोगों ने ईश्वर के होने की कल्पना कर ली है इसे केवल जाहिल पब्लिक मान सकती है, हम जैसे पढ़े-लिखे लोग नहीं।

होमवर्क:
1. मतिहर ईश्वर अल्लाह के नाम पर रहम की भीख क्यों मांगने लगा?
2. क्या नास्तिक लोगों की सुरक्षा से खेल रहे हैं?

पस्ती और ग़रीबी के बोल से बचना क्यों ज़रूरी है? Dr. Anwer Jamal

आमतौर से लोग कॉन्शियस माइंड और सब्कॉन्शियस माइंड माइंड के कामों को नहीं जानते कि ये दोनों कैसे काम करते हैं। ऐसे में वे जब लिखते हैं तो वह निगेटिव सेल्फ़ कांसेप्ट लिखते हैं और जब मैं उन्हें इस तरफ ध्यान दिलाता हूं तो वह समझते हैं कि मैं उनकी बात नहीं समझ पाया देखिए एक दिलचस्प डायलॉग मरियम खान बहन ने पोस्ट लिखी।
📚✍🏻

देश की गिरती GDP से मुझे डर बस इतना है, कहीं भक्त लोग हमारा पंचर बनाने का रोज़गार भी ना छीन लें🙄🤔
📚✍🏻
यह पोस्ट पढ़कर मैंने कहा:
Mariyam Khan , अगर मानो तो मैं आपको सलाह देता हूं कि दुश्मन आपको घटिया शूद्र के रूप में सेवा देने वाला बोलेगा क्योंकि वह दुश्मन है लेकिन आप कभी उस रूप को मज़ाक़ में भी स्वीकार न करें क्योंकि बार-बार रिपीट करने से वह आपके और आपके पाठकों के मन में जम जाएगा और फिर आप और आपके पाठकों के जीवन में वही रूप सच हो जाएगा।
जो बोलते हो, वह कुछ समय बाद आगे आ जाता है।
यह प्रकृति का नियम है।
*ज़ुबान का इलाज:*
खुद को राजा, बादशाह, विजेता के रूप में बोलते रहें।
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आपको यह बात बहुत मामूली लगेगी कि हम तो महज़ मज़ाक़ करते हैं। हम इन बातों का असर नहीं लेते लेकिन
आपका सबकॉन्शियस माइंड मज़ाक़ को नहीं समझता।
आप जिस बात को बार-बार बोलते हैं, बार-बार सुनते हैं, उसका यक़ीन सबकॉन्शियस माइंड में पैटर्न के रूप में ऑटोमेटिकली बनता चला जाता है और फिर वह पैटर्न आपके जीवन में प्रकट हो जाता है।
इसलिए मज़ाक़ में भी अपने लिए अच्छे और उच्च विचार बोलें।
जो बोलोगे (बोओगे), वह काटोगे।
🌈😊🌹

मैंनेेेेेेेे यह बात कही तो मरियम ख़ान ने मुझे समझाने के लिए लिखा: Anwer Jamal Khan साहब, मेरे post डालने का मतलब ये नहीं था कि हम सच मे ऐसे हैं, मुसलमान को पंचर बनाने वाला परिभाषित किया जाता है, मुसलमान तो हमेशा से ही मेहनती रहा है और मेहनत मज़दूरी कर के अपना गुज़ारा कर सकता है पर इसके बावजूद सिर्फ़ मुसलमानो की बर्बादी दिखा कर सरकार कट्टरपंथियों और भक्तों को ख़ुश कर रही है जब कि GDP गिरने से सबसे बड़ा नुकसान इनका ख़ुद का हो रहा है,

मेरे post का बस यही मतलब है कि आप ख़ुद बर्बाद हो रहे हो, मुट्ठी भर मुसलमानो को बर्बाद करने के लिए,
आज सारे छोटे बड़े कारोबारी रो रहे हैं, सभी मंदी की मार झेल रहे हैं।

मैंने लिखा: Mariyam Khan bahan! आपको क्या लगता है कि मुझे व्यंग्य की समझ नहीं है? :) 
आप व्यंग्य करें लेकिन व्यंग्य में भी अपना रूप विराट और ऐश्वर्यशाली रखें।
जो कुछ आप मन में देखती हैं, उसका असर पड़ता है बहन।
आप The power of your subconscious mind नामक बुक पढ़ें।