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Tuesday, July 11, 2017

Surah Feel ke zariye Dua karen aur Dushman ko Barbad karen आतंकवादियों को दुआ की ताक़त से हलाक कीजिए

जैसा बोना वैसा काटना, यह प्रकृति का नियम है। राजनैतिक संरक्षण में जो आतंकवादी हमले करते हैं, वे किसी दिन ख़ुद किसी की गोली का शिकार हो जाते हैं। उन्हें उनके राजनैतिक आक़ा प्रकृति के नियम से बचा नहीं पाते। कल 10 जुलाई 2017 को कश्मीर में मारे गए तीर्थ यात्रियों के परिवार वाले आतंकवादियों को सिवाय बद-दुआ के क्या दे सकते हैं? बहुत देशों में बहुत लोग अत्याचार के शिकार हो रहे हैं। कहीं सेना के जवान औरतों के साथ बलात्कार करते हैं और बेगुनाह नागरिकों को मार देते हैं। बहुत जगहों पर दबंग जातियां दूसरी जातियों को दबा लेती हैं। उन्हीं की सरकार होती है। कई बार एक पार्टी किसी माफ़िया को जेल भेज देती और दूसरी पार्टी की सरकार में वही माफ़िया मन्त्री बन जाता है। पीड़ित आदमी उसके खि़लाफ़ कहां शिकायत करे? कई देशों में लोकतन्त्र नहीं है या है तो वहां न्याय नहीं है। डिक्टेटर राजा या बादशाह के खि़लाफ़ कोई मुंह नहीं खोल सकता। भारत में सरकार, सेना, जासूस, पुलिस और अदालत सब अपना काम करते हैं। हम उन सबके शुक्रगुज़ार हैं। फिर भी लड़कियों के बेचने और उन्हें वेश्या बनने और बने रहने पर मजबूर करने के वाक़यात होते हैं। वे अपने छुटकारे का रास्ता तलाश कर रही हैं। कहीं दबंग ग़ुन्डे लड़कियों पर तेज़ाब फेंक देते हैं। कहीं ग़ुन्डे भीड़ बनाकर किसी को मार देते हैं। मरने वाला मर जाता है। क़ानूनी कार्यवाही होती रहती है। उसका नतीजा कब आएगा और क्या आएगा? पीड़ित पक्ष इसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं जानता। क्या इन्सान एक बेचारा और हालात का मारा और कमज़ोर है कि वह अपने लिए ख़ुद कुछ न कर सके? कुछ लोग अपने बदले के लिए हथियार उठा लेते हैं और फिर उसके बाद वे सामान्य जीवन नहीं जी पाते। फूलन देवी ने हथियार उठाए और फिर वह ख़ुद गोली का शिकार हो गई। हर आदमी हथियार नहीं उठा सकता। वैसे भी हथियार से काम लेना सरकार का काम है। आम आदमी के पास दुआ के रूप में एक ज़बर्दस्त हथियार है। जो दुआ के हथियार को चलाना नहीं जानता, वही कमज़ोर है। जब आप ख़ुद को अम्न और सलामती के दुश्मनों के सामने कमज़ोर पाएं, तब आप अपने रब को याद करें और उसे अपने साथ महसूस करें। उसके बाद आप इन्सानियत के दुश्मनों के बर्बाद होने का यक़ीन करें कि दुश्मन ज़रूर ऐसे हो जाएंगे जैसे कि जानवरों के खाने के बाद खाया हुआ भूसा हो जाता है। क़ुरआन की सूरह फ़ील में अम्न के दुश्मन अबरहा के आतंकवादी लश्कर की मिसाल खाए हुए भूसे से ही दी गई है। दो चार बार आप किसी जानवर के पास जाकर खाए हुए भूसे को अपनी नज़र से देख लें। क़ुरआन में जो मिसालें दी गई हैं, उनमें ताक़त के बहुत गहरे राज़ हैं। जब आप किसी मिसाल के ज़रिये अपने माइन्ड में क्लियर हो जाएं, तब आप अपनी रूहानी ताक़त से काम ले सकते हैं। इसके बाद आप फ़ुर्सत का कोई वक़्त तय करके तन्हाई में रोज़ाना सूरह फ़ील पढ़ें ताकि आपका ध्यान न बंटे। अपना ध्यान दुश्मन पर और खाए हुए भूसे पर रखें। आप तसव्वुर करें कि हलाक और बर्बाद होने के बाद क़ातिल ग़ुन्डे मरे हुए बिखरे हुए पड़े हैं। आप अपनी सहूलत के लिए सूरह फ़ील पढ़ने की कोई गिनती मुक़र्रर कर लें। रोज़ उसी वक़्त पर और उतनी ही तादाद में पढ़ें और इस सूरह के वसीले से अल्लाह से क़ातिलों की बर्बादी की दुआ करें। दुश्मन पर अज़ाब नाज़िल होने का इन्तेज़ार करें। यक़ीन करें कि जैसे काबा पर अटैक करने वाला आतंकी अबरहा और उसका लश्कर बर्बाद हुआ, ऐसे ही ये आतंकी बर्बाद होंगे। बहुत जल्दी दुश्मन बर्बाद होगा। जो कोई इसका आपस की छोटी मोटी रन्जिश में ग़लत इस्तेमाल करेगा, दुश्मन के बजाय वह ख़ुद बर्बाद हो जाएगा। हमेशा जायज़ मक़सद के लिए ही ऐसा अमल करना चाहिए। आम हालात में अपने दुश्मनों को माफ़ करना चाहिए और उनकी हिदायत के लिए दुआ करनी चाहिए। आजकल अंग्रेज़ी तालीम की वजह से लोगों को दुआ से काम लेना नहीं आता। उन्हें दुआ पर शक रहता है। कोई कह सकता है कि सर लाॅजिक समझ में नहीं आई। दुआ दिल का मामला है। यह तब असर करती है, जब यह दिल से निकलती है और दिल लाॅजिक को नहीं जानता। जिसे लाॅजिक समझनी हो, वह नबियों की और सहाबा की और इस्लाही बुज़ुर्गों की दुआ और बद-दुआ के वाक़यात पढ़े। उनसे भी दिल मुतमइन न हो तो इन्टरनेट पर ‘सायकिक अटैक’ (psychic attack) के बारे में पढ़े। सायकिक अटैक से भी जानलेवा हमले किए जाते हैं। दिल से निकली हुई तरंगे, बहुत शक्तिशाली होती हैं। जब ये किसी दुश्मन पर पड़ती हैं तो वह निश्चित ही बर्बाद हो जाता है। सूरह फ़ील के ज़रिये दुआ करने का तरीक़ा आप इन्टरनेट पर रूहानी बुज़ुर्गों की किताबों में पढ़ सकते हैं या हमसे पूछ सकते हैं। इस अमल से पहले सूरह फ़ातिहा, चारों क़ुल, आयतुल कुर्सी वग़ैरह पढ़कर अपने ऊपर हिफ़ाज़त की नीयत से ज़रूर ज़रूर दम कर लें। इन सब आयतों को एक जगह जमा करके मन्ज़िल का नाम दे दिया गया है। मन्ज़िल को भी आप इन्टरनेट पर पढ़ और सुन सकते हैं। इन आयतों को पढ़ने से आप दूसरों के सायकिक अटैक से महफ़ूज़ रहेंगे। आप सुबह शाम मन्ज़िल की आयतों को हिफ़ाज़त की नीयत से ज़रूर पढ़ लें। आप किसी भी देश में हों और वहां के हालात कुछ भी हों, अल्लाह इन आयतों की बरकत से आपके यक़ीन के मुताबिक़ आपकी हिफ़ाज़त करेगा और आपके दुश्मनों को बर्बाद करेगा। आपकी ताक़त आपका यक़ीन है। इसलिए कभी ख़ुद के कमज़ोर और बेबस होने का यक़ीन मत करो बल्कि यक़ीन करो कि लश्कर चाहे अबरहा जितना ही बड़ा और संगठित हो, अल्लाह के क़ानून के मुताबिक़ वह अपने ठीक वक़्त पर बर्बाद होगा और जो सबका भला चाहने वाले लोग हैं, वे ज़रूर ग़ालिब आएंगे क्योंकि अल्लाह ज़ुल्म करने वालों को एक वक़्त तक सुधरने की मोहलत देकर उन्हें मिटा देता है। हक़ ही ग़ालिब रहता है और बातिल मिट जाता है जैसे कि रौशनी होने पर अन्धेरा मिट जाता है। हमने आपको आपकी रूहानी ताक़त से सिर्फ़ इसलिए वाक़िफ़ कराया है ताकि आप ख़ुद सलामत रहें और देश और दुनिया में अम्न और सलामती के लिए ज़्यादा से ज़्यादा काम कर सकें। किसी को मज्बूर और सताया हुआ पाएं तो आप उसे अल्लाह से मदद मांगना और पाना सिखा कर उसकी जान, माल और उसकी इज़्ज़त बचा सकें। यह दुआ हर धर्म-मत और हर देश जाति वाला कर सकता है। अल्लाह सबका बादशाह है। वह सबकी सुनता है। जैसा आप बोएंगे, वैसा आप काटेंगे। अपने दिल में हमेशा ताक़त और ग़लबे के कलिमात को बोएं। अच्छे बोल अच्छे पेड़ों की तरह बढ़ेंगे और आपको अच्छे फल देंगे। जिन आयतों में अल्लाह ने अपनी ताक़त और अपने क़हर, जब्र और मदद का ज़िक्र किया है, उन्हें उनका मतलब समझते हुए ज़्यादा पढ़ा करें।

Tuesday, July 4, 2017

वशीकरण और मुहब्बत का पाॅवरफ़ुल अमल Muhabbat ka powerful amal

कई बार लड़कियों से शादी का वादा करके उनका महबूब धोखा दे देता है। वे तड़पती हुई रह जाती हैं। विधवाओं के साथ भी ऐसे धोखे होते हैं। वे कहीं मदद के लिए फ़रियाद भी नहीं कर पातीं और न ही अपना दुख किसी को बता पाती हैं।  आजकल लिव इन रिलेशनशिप के नाम पर भी लड़कियों के यौन शोषण और लड़कों से धोखेबाज़ी हो रही है। ज़रा ज़रा सी बात पर ब्रेक अप हो रहे हैं।
कुछ औरतों और मर्दों को भी अपनी ज़िन्दगी में शादी के बाद ऐसा वक़्त देखना पड़ता है, जब उनका जीवन साथी उन्हें छोड़ देता है या छोड़ने की धमकी देता है या उनसे मुहब्बत नहीं करता। ऐसे वक़्त में वे ख़ुद को बिल्कुल बेबस पाते हैं। वे सोचते हैं कि काश! हमारे पास कोई ऐसी ताक़त होती तो हम उसे अपनी मुहब्बत में गिरफ़्तार कर लेते। हम अपना घर बचा लेते।
ऐसे ही लोगों को हम यह बताना चाहते हैं कि अल्लाह ने आपको ज़बर्दस्त ताक़त के साथ ही पैदा किया है ताकि आप ख़ुश रह सकें और शुक्र करे। आपके चारों तरफ़ अथाह एनर्जी फैली हुई है। यह सारा यूनिवर्स ज़बर्दस्त एनर्जी से भरा हुआ है। आपके पास नमाज़ और क़ुरआन है, आपके पास बहुत ज़बर्दस्त ताक़त है।
1. नीयत,    2. यक़ीन और तसव्वुर (imagination/visualization)   आपके अन्दर की रूहानी ताक़तें हैं।
जब आप रूहानी ताक़त के साथ नमाज़ और क़ुरआन पढ़ते हैं तो आप अपनी ज़बर्दस्त ताक़त से काम लेते हैं। यूनिवर्सल एनर्जी आपके तसव्वुर (कल्पना) पर प्रतिक्रिया करती है। आपका दिल अपनी मुराद पूरी होने के असबाब खींचता है। आप उन असबाब से काम लेते हैं और आपकी मुराद पूरी हो जाती है। हरेक के लिए उसके हालात के मुताबिक़ ग़ैब से अलग असबाब बनते हैं।
जैसा आपका यक़ीन होता है, आपके दिल में वैसा ही तसव्वुर यानि इमेज बनती है। आप हर वक़्त अपने दिल में ख़ुद से बातें करते रहते हैं और माइन्ड मूवी देखते रहते हैं। यही आपका यक़ीन होता है। अक्सर लोगों के दिल में अपने महबूब को लेकर डर होता है और वे अपने दिल में बुरे बुरे तसव्वुर करते रहते हैं। बाद में उनका डर सच हो जाता है और वे कहते हैं कि हमें पहले ही इस बात का डर था। सो किसी भी रूहानी अमल में कामयाबी के लिए अपने दिल को डर से और बुरे तसव्वुर से पाक करना बहुत ज़रूरी है। हमेशा अल्लाह की ताक़त के भरोसे पर अच्छा तसव्वुर करने की आदत डालें। अल्लाह से अच्छाई की उम्मीद ही रखें। आपकी ज़िन्दगी संवर जाएगी।
जायज़ मुहब्बत के लिए आज हम तस्ख़ीर और वशीकरण का एक बहुत ज़्यादा ताक़तवर अमल यहां सबके फ़ायदे के लिए तालीम कर रहे हैं। इसे हर धर्म का मानने वाला आसानी से कर सकता है। इसमें कोई डर और ख़तरा नहीं है। जो लोग नमाज़ पढ़ना नहीं जानते, वे इन्टरनेट पर नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा सीख लें। नमाज़ के बहुत से वीडियोज़ और लेख मौजूद हैं। बाज़ार में भी हर ज़ुबान में नमाज़ का तरीक़ा सिखाने वाली किताबें मिल जाती हैं। इन्टरनेट से भी मुफ़्त में डाउनलोड की जा सकती हैं। इस अमल को हमने शैख़ अबुल हसन शाज़ली रहमतुल्लाह अलैह की किताब ‘सिर्रूल जलील’ के उर्दू तर्जुमे में पढ़ा है। उसी को हमने हिन्दी में अपने अल्फ़ाज़ में खोलकर आपके लिए आसान कर दिया है। शैख़ अबुल हसन शाज़ली रहमतुल्लाह अलैह एक बहुत बड़े आलिम और रूहानी बुज़ुर्ग थे। रूहानी इल्म के माहिर लोग उनके बुलन्द मर्तबे को ख़ूब अच्छी तरह जानते हैं। उनकी अरबी किताब ‘सिर्रूल जलील’ 800 साल से ज़्यादा पुरानी किताब है। कोई भी लड़का या लड़की इस अमल को किसी नाजायज़ मक़सद के लिए हरगिज़ न करे वर्ना सख़्त गुनाहगार होगा और किसी मुसीबत में फंस जाएगा। रूहानी अमल के ज़रिए अल्लाह से दुआ की जाती है और अल्लाह से किसी गुनाह और नाजायज़ काम की दुआ नहीं की जा सकती। सो इस अमल को सिर्फ़ जायज़ मक़सद के लिए और सही नीयत से ही करे। इन् शा अल्लाह मुराद पूरी होगी।
कहीं दो भाईयों या दो पार्टनरों में झगड़ा हो गया है। वहां दोस्ती और सुलह करनी है तो वहां इस अमल को करे। इसी तरह आप अपने बाॅस का दिल नर्म करने के लिए भी यह अमल कर सकते हैं। अगर आपकी ज़मीन पर किसी दबंग ने क़ब्ज़ा कर लिया है या आपकी रक़म किसी पर उधार है और वह लौटा नहीं रहा है तो आप वहां भी इस अमल से काम ले सकते हैं। ग़र्ज़ जहां कहीं भी टकराव, झगड़ा और दूरी हो, वहां आप इस अमल के ज़रिये मुहब्बत और दोस्ती पैदा कर सकते हैं।
किसी बहन को उसके भाई अपने बाप की जायदाद में हिस्सा न देते हों तो उसके लिए भी वह बहन यह अमल कर सकती है।
इसके अलावा भी आप कहीं निकाह के लिए पैग़ाम डालना चाहते हैं और लड़की भी तैयार है लेकिन उसके वालिदैन नहीं मान रहे हैं तो आप यह अमल कर सकते हैं। अगर लड़की तैयार नहीं है तो आप इस अमल को न करें। हरेक को अपनी आज़ादी का हक़ है। आप किसी पर रूहानी ताक़त इस्तेमाल करके उसकी आज़ादी ख़त्म नहीं कर सकते। ऐसी हालत में आप वैसी ही ख़ूबियों वाली लड़की से निकाह के लिए यह अमल कर सकते हैं। आप चाहें तो उसमें और ज़्यादा ख़ूबियों का इज़ाफ़ा कर लें। वैसी ही लड़की मिलने के असबाब ग़ैब से बनेंगे।
जिन लड़कियों के पास दहेज देने के लिए माल नहीं है। वे भी इस रूहानी अमल के ज़रिये के आसानी से अच्छा कमाऊ पति पा सकती हैं।
आपकी दुकान पर सेल कम होती है तो आप अपनी दुकान पर ग्राहक खींचने के लिए इस अमल को कर सकते हैं। कोई अपनी जाॅब में या किसी पाॅलिटिकल पार्टी में है और प्रमोशन पाना चाहता है या इलेक्शन के लिए टिकट चाहता है तो वह यह ज़बर्दस्त पाॅवरफ़ुल अमल कर सकता है।
आप कहीं नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने वाले हैं तो आप उसमें कामयाबी के लिए भी यह अमल कर सकते हैं। तब अमल पढ़ते वक़्त आप यह तसव्वुर करें कि आपको सेलेक्शन लेटर दिया जा रहा है। जिस काम को करना हो, उसी के पूरा होने का तसव्वुर (कल्पना) करते हुए अमल पढ़े। मक़सद पूरा होने तक अमल करता रहे।
जो आयतें पढ़नी हैं, पहले उन्हें अच्छी तरह ज़ुबानी याद कर ले और उनका मतलब समझ ले। इनमें अल्लाह की क़ुदरत और मदद का ज़िक्र है। इसे समझने से आपका यक़ीन मज़्बूत होगा। आपका वक़्त बचेगा और आपको आसानी रहेगी। ‘हस्बुनल्लाहु व नेमल वकील’ का मतलब है कि हमें अल्लाह काफ़ी है और वह अच्छा काम बनाने वाला है।
युहिब्बूनहुम क-हुब्बिल्लाह वल्लज़ीना आमनू अशद्-दु हुब्बल्-लिल्लाह। -क़ुरआन 2ः165
तर्जुमाः उनसे ऐसी मुहब्बत करते हैं जैसी मुहब्बत अल्लाह से करनी चाहिए और जो ईमान वाले हैं उन्हें सबसे बढ़कर अल्लाह से मुहब्बत होती है।
लौ अन्फ़क़्ता मा फ़िल अर्ज़ि जमीअम्-मा अल्लफ़्ता बैइना क़ुलूबिहिम वला किन्नल्लाहा अल्लफ़ा बैइनाहुम इन्नहु अज़ीज़ुन हकीम। -क़ुरआन 8ः63
तर्जुमाः और उनके दिल आपस में जोड़ दिए, अगर तुम ज़मीन में जो कुछ है वह सब ख़र्च कर डालते तब भी उनके दिलों को आपस में न जोड़ सकते लेकिन अल्लाह ने उन्हें आपस में जोड़ दिया। यक़ीनन वह ज़बर्दस्त हिकमत वाला है।
व-अल्क़ैतु अलैइका महब्बतम् मिन्नी वलितुस्नआ अला ऐनी। -क़ुरआन 20ः39
तर्जुमाः और मैंने तुझ पर अपनी तरफ़ से मुहब्बत डाल दी और ताकि तू मेरे सामने परवरिश पाए।
इनमें क़ुरआन में से तीन जगह से आयतें ली गई हैं। हम उनका हवाला और उनका तर्जुमा लिख दिया है। जो लोग इन तीन आयतों को याद न कर पाएं, वे इन्हें देखकर भी पढ़ सकते हैं। जब अमल पढ़ें तो सिर्फ़ आयतें पढ़ें। इनका तर्जुमा न पढ़ें।


वशीकरण और मुहब्बत का वह ख़ास ताक़तवर अमल यह है-
अगर किसी को अपनी तरफ़ रूजू करना और मुहब्बत करना हो तो ‘हस्बुनल्लाहु व नेमल वकील’ को पढ़े। इसकी तरकीब यह है कि रात को सो जाए और आधी रात के वक़्त दो दो रकअत करके 6 रकअत नफ़िल नमाज पढ़े। पहली और दूसरी रकअत में सूरह फ़ातिहा के बाद 450 बार ‘हस्बुनल्लाहु व नेमल वकील’ पढ़े। दो रकअत नफ़िल नमाज़ पढ़ने के बाद सलाम फेर कर बैठे और ‘हस्बुनल्लाहु व नेमल वकील’ 950 बार पढ़े। आयतें पढ़ते वक़्त यह तसव्वुर करे कि ये आयतें उस आदमी को मेरी तरफ़ खींचकर ला रही हैं। मैं चुम्बक की तरह उसे अपनी तरफ़ खींच रहा हूँ जैसे चुम्बक लोहे को खींचता है। इस तसव्वुर से आपके अन्दर अट्रैक्शन पाॅवर बढ़ती चली जाएगी और वह आदमी आपकी तरफ़ खिंचा चला आएगा। दुआ और अमल की बुनियाद यक़ीन पर होती है। यक़ीन का पता आपके तसव्वुर से चलता है। अमल पढ़ने के दौरान और उसके बाद भी हमेशा अपने दिल में वही तसव्वुर करें जो कि आपकी दुआ है। आप चाहते हैं कि महबूब हाज़िर हो और मुहब्बत करे तो यही तसव्वुर करें कि वह खिंचा हुआ, मुहब्बत का इज़्हार करता हुआ आ रहा है। इसके बाद ये आयतें 7 बार पढ़े-
युहिब्बूनहुम क-हुब्बिल्लाह वल्लज़ीना आमनू अशद्-दु हुब्बल्-लिल्लाह। लौ अन्फ़क़्ता मा फ़िल अर्ज़ि जमीअम्-मा अल्लफ़्ता बैइना क़ुलूबिहिम वला किन्नल्लाहा अल्लफ़ा बैइनाहुम इन्नहु अज़ीज़ुन हकीम। व-अल्क़ैतु अलैइका महब्बतम् मिन्नी वलितुस्नआ अला ऐनी।
इसी तरह फिर दो रकअत पढ़े और उसके बाद आयतें पढ़े। फिर इसी तरह दो रकअत नमाज़ नफ़िल और आयतें पढ़े। उसके बाद फिर दो रकअतें और आयतें इसी तरह पढ़े। इस तरह कुल 6 रकअत नमाज़ नफ़िल पढ़े।

रोज़ ऐसे ही यह अमल करे। अल्लाह के हुक्म से जल्दी ही असर ज़ाहिर होगा। तब भी काम पूरा होने तक यह अमल पढ़ता रहे। यह इतना ज़्यादा क़ीमती और असरदार अमल है कि आप अन्दाज़ा नहीं लगा सकते। लोगों की ज़िन्दगी गुज़र जाती है लेकिन उन्हें सही अमल नहीं मिल पाता और अगर अमल सही मिल जाता है तो उन्हें सही तरीक़ा नहीं मिल पाता। यह आप सबको बिल्कुल मुफ़्त सिखाया जा रहा है ताकि आप अपने और दूसरों के मसले हल कर सकें और ख़ुश रह सकें और रब का शुक्र अदा कर सकें। शुक्रगुज़ार बनना ही इन्सान का सबसे बड़ा अमल है। यही ज़िन्दगी में ख़ुशी का राज़ है और यही इन्सान का मक़सद है। जो इल्म आपको दिया गया है, इसकी आप बहुत ज़्यादा क़द्र करें। इसी एक अमल से आपका हर काम हो जाएगा। आपको मुहब्बत ही नहीं, मालो दौलत और सेहत व इज़्ज़त भी बहुत मिलेगी।