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Allahpathy:THE BLESSING MONEY BAG THAT WOULD HELP EVERYONE TO BE RICH IN THE MONTH OF RAMADAN

By Hazrat Hakeem Mohammad Tariq Mahmood Chughtai Dear Readers! I Bring to you precious pearls and do not hide anything, you shou...

Monday, December 19, 2016

First Lesson of Allahpathy By Dr. Anwer Jamal

कल्याण का विधि-विधान
फ़लाह का निज़ाम



अव्वल अल्लाह नूर उपाया क़ुदरत ते सब बन्दे
एक नूर ते सब जग उपज्या कौन भले कौ मन्दे
                  -गुरू नानक साहिब


दोस्तो!  
मैं ‘आज’ ख़ुश हूँ क्योंकि आज आप वह महान ज्ञान सीख रहे हैं। जिसके ज़रिये आप अपनी जि़न्दगी में ख़ुशियाँ और कामयाबियाँ पा सकेंगे, अपना और दूसरों का विकास कर सकेंगे।
इस साईन्टिफि़क जानकारी का इस्तेमाल करके आप अपनी जि़न्दगी में जो काम करना चाहें, कर सकते हैं, आप जो चीज़ पाना चाहें पा सकते हैं, जो बनना चाहें बन सकते हैं।
आप तक कल्याण का यह विधि-विधान सिर्फ़ पहुँचा क्योंकि आप अपने विकास के लिए सही जानकारी और बड़े अवसर की तलाश कर रहे थे।
यह सृष्टि का नियम है कि जो तलाश करता है, वह पा लेता है।
आज क्वांटम फि़जि़क्स और न्यूरो साईन्स की ताज़ा रिसर्च हम सबके सामने हैं। जो इंसान के विचार-भावना और रहस्यमय यनिवर्सल एनर्जी के आपसी रिश्तों और उनके करिश्मों के बारे में अनोखी जानकारी दे रही हैं।
आपको मुबारक हो कि ‘अब’ आप सृष्टि के नियमों का परम गोपनीय ज्ञान पा रहे हैं।
आपके लिए तरक़्क़ी और कामयाबी के अनन्त दरवाज़े खुल रहे हैं।

ये दरवाज़े उनके लिए बन्द रहते हैं, जो पुरानी कड़वी यादों को अपने मन में ताज़ा रखते हैं। इससे उन्हें यह डर बना रहता है कि कहीं भविष्य में भी ऐसी ही बुरी घटना उनके साथ फिर से न हो जाए। इस डर से उनके मन में बुरे कल्पना-चित्र बनते रहते हैं और फिर उनके साथ बार बार वैसी ही बुरी घटनाएं होती रहती हैं, जिनसे वे डरते हैं। वे नेगेटिव एनर्जी के दुष्चक्र में घिर जाते हैं। वे नहीं जानते कि उनका डर और ग़म उनके जीवन में बुरी घटनाओं का कारण है। यहाँ कार्य-कारण का नियम (The Law of Cause & effect) काम कर रहा है।
ईश्वर अल्लाह ने यूनिवर्स में यह महान विधान आपके कल्याण के लिए निश्चित किया है। जिसे न समझने के कारण आप ख़ुद पर ख़ुद ही ज़ुल्म कर रहे हैं, ख़ुद को ख़ुद ही दुख दे रहे हैं।

कष्ट का कारण नाशुक्री है
आप नहीं जानते हैं कि आपके मन की यह शक्ति परमाणु शक्ति से भी ज़्यादा पॉवरफ़ुल है। जब यह ताक़त दुआ बनती है तो यह अर्श को भी हिला देती है। आप अपनी ‘डर और ग़म की आदत’ के कारण अपने मन की प्रचण्ड शक्ति का इस्तेमाल ख़ुद अपने ही खि़लाफ़ कर रहे हैं। 
अपनी मानसिक और शारीरिक शक्तियों से अन्जान रहना या इनका ग़लत इस्तेमाल करना, इनकी नाक़द्री करना है, रब की नाशुक्री करना है।
इसी नाशुक्री की वजह से आपके जीवन में तरह तरह के दुख रूप बदल कर आते रहते हैं। आप तनाव, बीमारियाँ, एक्सीडेन्ट्स, नशे की आदत, जुआ, झगड़े, मुक़द्दमे, क़जऱ्, रूपये-पैसे की तंगी, बेरोज़गारी, व्यापार का ठप्प हो जाना, बारिश न होना, फ़सल कम होना, विवाह न होना या बेमेल विवाह हो जाना, ससुराल में अपमानित और प्रताडि़त रहना, पति या पत्नी से बेवफ़ाई का दुख, औलाद न होने या औलाद के बिगड़ जाने का दुख भोगते हैं और फिर वे निराश हो कर मर जाते हैं।
जैसा कर्म आप करते हैं, उसका फल आप ही भोगते हैं। यह सृष्टि का नियम ;न्दपअमतेंस स्ंूद्ध है।
स्वयं यजस्व स्वयं जुषस्व  
तू ही कर्म कर और तू ही उसका फल भोग। यजुर्वेद 3:15

जो आदमी आपको पुरानी बातें याद दिलाए, जिनसे आपके दिल में नफ़रत और ग़ुस्से की आग भड़के, वह आपको यहीं नर्क की आग में जला रहा है। वह आपका दुश्मन है, वह शैतान का प्यादा है। वह आपकी पॉजि़टिव एनर्जी को चूस रहा है। जीवन के प्रति आपके नज़रिए को बिगाड़ रहा है। आपका नज़रिया ही बिगड़ गया तो आपका पूरा जीवन ख़ुद ही बिगड़ता चला जाएगा। आपका नज़रिया ही आपके जीवन में साकार होता है।
इन्हें आप इनके कर्मों से पहचान सकते हैं। ये नफ़रत में जीते हैं और नफ़रत ही फैलाते हैं कि अमुक व्यक्ति, जाति या संगठन आपको भविष्य में बर्बाद कर देगा। हक़ीक़त यह है कि यह आदमी आपके दिल में डर और चिन्ता पैदा करके आपके चैन को आज और अभी बर्बाद कर रहा है। अब आप ऐसे लोगों को पहचान कर इनके कुसंग से बचें।

ज्ञान-कर्म-भक्ति
जो कल्याण का विधि-विधान नहीं जानता, वह अज्ञानी प्रेम और सेवा के बिना भक्ति, योग और इबादत करता है। उसे फल क्या मिलेगा?

अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने फ़रमाया, ‘‘कि़यामत (अर्थात् बदले) के दिन अल्लाह एक आदमी से कहेगा, ‘‘ऐ आदम के बेटे, मैं बीमार था तू मेरा हाल मालूम करने के लिए नहीं आया।’’ 
वह कहेगा, ‘‘ऐ मेरे रब! मैं तेरी बीमारपुर्सी को कैसे आता ? तू तो सारी दुनिया का पालनहार है (बीमार होना तो तेरी शान के खि़लाफ़ है)‘ 
अल्लाह कहेगा, ‘क्या तुझे नहीं पता था कि मेरा अमुक बन्दा बीमार पड़ा था ? मगर तू उसका हाल पूछने नहीं गया था।  क्या तुझे मालूम नहीं था कि अगर तू उसका हाल मालूम करने जाता तो मुझे उस (बीमार) के पास पाता ? 
ऐ आदम के बेटे, मैंने तुझसे खाना माँगा, तूने मुझे नहीं खिलाया।’
बन्दा कहेगा, ‘ऐ मेरे रब! मैं तुझे कैसे खिला सकता हूँ, जबकि तू सारे जहान का पालनहार है?’ 
अल्लाह कहेगा, ‘तुझे पता नहीं कि मेरे अमुक बन्दे ने तुझसें खाना माँगा था, मगर  तूने उसे नहीं खिलाया, अगर तू उसे खिलाता तो उस समय मुझे उसके पास पाता।  ऐ आदम के बेटे, मैंने तुझसे पानी माँगा, तूने मुझे पानी नहीं पिलाया।’ 
बन्दा कहेगा, ‘ऐ मेरे रब! मैं तुझे कैसे पिला सकता हूँ? तू तो सारे जहान का पालनहार है। ‘ अल्लाह कहेगा, ‘तुझसे मेरे अमुक बन्दे ने पानी माँगा था, तूने उसे पानी नहीं पिलाया, याद रख, अगर तूने उसे पानी पिलाया होता तो मुझे उस  समय उसके पास पाता।’’ (हदीसः मुस्लिम)

मन को ग़ुलामी से आज़ाद कीजिए
मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि बचपन से ही आपके मन को जकड़ कर आपको ग़ुलाम बनाया जा चुका है। ग़ुलामी की ये बेडि़याँ आँखों से नज़र नहीं आतीं। ये बेडि़याँ संकीर्ण धारणाओं (Limiting Beliefs) की होती हैं जैसे कि

1. ज़माना ख़राब है।   
2. जीवन एक संघर्ष है।  
3. जि़न्दगी का कोई भरोसा नहीं है।
4. मैं सुन्दर/योग्य/स्मार्ट/शिक्षित/कुशल नहीं हूँ। 
5. किसी को मेरी परवाह नहीं है।
6. मेरा दिल टूटा हुआ है या मेरा जिगर छलनी है। 
7. इस जीने से तो मर जाना अच्छा है।
8. मेरी नाक कट गई है या मैं किसी को मुँह दिखाने के लायक़ नहीं बचा/बची।
9. मैं दुखी/परेशान हूँ। 10. मैं ग़रीब/मध्यमवर्गीय हूँ। 11. मेरी तक़दीर ही ख़राब है।

आपके माँ-बाप, गुरू, शिक्षक और स्कूल के सिलेबस आपकी नेगेटिव माईन्ड प्रोग्रामिंग कर चुके हैं। हर तरफ़ से आपके माईन्ड में डर और ग़म के नेगेटिव ख़याल और जज़्बात की कंडिशनिंग की जा रही है। अख़बार, न्यूज़ चैनल्स, टी.वी. सीरियल्स, सिनेमा, खेल और मनोरंजन के साधन तक आपके शाकिलह (Paradigm) को जान बूझ कर लगातार बाँधते जा रहे हैं। 

आपका शाकिलह (Paradigm) ही आपकी जि़न्दगी का ब्लू-प्रिन्ट है। इसी के मुताबिक़ आप व्यवहार करते हैं। जब यह शाकिलह (Paradigm) संकीर्ण विचारों के बन्धन में बंध जाता है तो आपका विकास रूक जाता है और आपके जीवन में तरह तरह की समस्याएं अपने आप जन्म लेने लगती हैं। यही ग़ुलामी आपको दुख दे रही है। 
आप इस मानसिक दासता से मुक्त होकर सुखी और समृद्ध हो सकते हैं। अगर आप तैयार हैं तो इससे मुक्त होने की सबसे ज़्यादा शक्तिशाली और आसान वैज्ञानिक तकनीक हम आपको  सिखाएंगे। 
ईश्वर की सबसे बड़ी आज्ञा यही है कि मनुष्य अपने कल्याण के लिए कर्म करे। हरेक मनुष्य का यही परम कर्तव्य है। इसी कर्म से उसका कल्याण होगा।

धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है
‘हमारा प्रभु परमेश्वर एक ही प्रभु है. और तू अपने प्रभु परमेश्वर से अपने सारे मन से और सारे प्राण से और अपनी सारी बुद्धि से और अपनी सारी शक्ति से परमेश्वर से प्रेम रखना। और दूसरी यह है कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, इससे बड़ी कोई और आज्ञा नहीं है।’ -बाइबिल, मरकुस 12:30-31
प्रेम आपको मुक्त करेगा, ग़ुलामी की हरेक बेड़ी और शिकंजे से।
प्रेम आपको मुक्त करेगा भविष्य के प्रति डर से, अतीत के ग़म से, शक से और नेगेटिविटी से।
प्रेम आपके मन को निर्मल करेगा, पाक करेगा।
प्रेम आपको आनन्द देगा, ख़ुशी से भर देगा। 
...और आपको यह सब तुरन्त मिलेगा, इसी पल में। बस आप अपने दिल को सिर्फ़ प्रेम के विचारों से पूरी तरह भर लीजिए, यहाँ तक कि वह आपके व्यवहार में परोपकार और सेवा के रूप में छलकने लगे।
शक्ति भी शाँति भी भक्तों के गीत में है
धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है

‘मुक्ति का पल’ यही वर्तमान पल है, जिसमें आप साँस ले रहे हैं। जिसमें आप पढ़ रहे हैं। जिसमें आप जीवन का सबसे बड़ा नियम सीख रहे हैं।
बस इस एक पल को आप अतीत के दुखों की यादों से और भविष्य के प्रति हरेक डर से आज़ाद रखें। आप मुस्कुराएं, आप बच्चों की तरह ख़ुश रहने की आदत डाल लें। आप ध्यान दीजिए कि ख़ुश रहने के लिए गोद के बच्चे किसी वजह की तलाश नहीं करते।
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो ज्ञानी होय।।


जो आप बोते हैं, वही काटते हैं
आकर्षण के नियम (The Law of Attractio) के अनुसार जैसा आपका शाकिलह (Paradigm) होता है, वैसी ही तरंगे आपसे हमेशा निकलती रहती हैं और फिर आपका अवचेतन मन वैसे ही लोगों, अवसरों और घटनाओं को जीवन में सहज ही आकर्षित करता रहता है। पॉजि़टिव या नेगेटिव, जैसी आपकी मानसिकता होती है। चेतन रूप से भी आप उन लोगों, अवसरों और घटनाओं का वैसा ही पॉजि़टिव या नेगेटिव इस्तेमाल करते हैं। जैसे आप कर्म करते हैं, वैसे ही आप फल पाते हैं।

आपके विचारों में बहुत ज़बर्दस्त चुम्बकीय शक्ति है। आकर्षण का नियम इस यूनिवर्स का  सबसे शक्तिशाली नियम है। यह नियम पक्षपात नहीं करता। चुनाव आपका अपना होता है। आपको ‘चुनाव की आज़ादी की शक्ति’ हासिल है। आपका चुनाव ही आपको बनाता और बिगाड़ता है। अक्सर लोग अपनी इस शक्ति से अन्जान हैं। आप जागरूक बनें और हमेशा अच्छे विचारों को चुनें।
प्रेम के विचार अच्छे बीज हैं, जो दिल में पनपते हैं तो दिल को बाग़-बाग़ कर देते हैं और कुछ समय गुज़रने पर वे अच्छे फल देते हैं। जिनसे जीवन में सुख-समृद्धि और ख़ुशी मिलती है, जिनसे कल्याण होता है।
अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने फ़रमाया ‘‘सारी दुनिया अल्लाह का परिवार है।  अल्लाह को सबसे अधिक प्रिय वह आदमी है जो उसके बन्दों से अच्छा व्यवहार करता है।‘‘         (हदीसः मिशकात)
आप विचार, कर्म और फल के प्राकृतिक नियम को जितना ज़्यादा समझते जाएँगे, आप उतना ज़्यादा दूसरों के साथ प्रेम और सेवा का वही व्यवहार करेंगे जो कि आप दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। 

अब आप जान चुके हैं कि आप जो अच्छा बर्ताव एक जगह दूसरों के साथ करते हैं, वही बर्ताव किसी और जगह आपके साथ दूसरे ख़ुद ही करते हैं। इस तरह आप प्राकृतिक विधान के अनुसार अपने कर्मों का फल पाते रहते हैं।

सुख-दुख का विधान
‘और जब तुम्हारे रब ने (सुख-दुख का) विधान यह बताया था कि अगर तुम शुक्र करोगे तो मैं ज़रूर तुम्हें ज़्यादा (नेमतें) दूंगा और अगर तुम नाशुक्री करोगे तो मेरा अज़ाब (कष्ट) भी सख़्त है।’ -क़ुरआन 14ः7
आप ‘मौजूदा पल’ में अपने रब की मेहरबानियों को देखिए। उसकी नेमतोें को देखिए, जो आपको मानसिक और शारीरिक शक्तियों के रूप में और अन्य रूपों में मिली हुई हैं। उनकी क़द्र कीजिए यानि उनका सही इस्तेमाल कीजिए। आपका कल्याण निश्चित है।


शुक्र के ज़रिये अपनी शक्ति को बढ़ाते जाएं
‘शुक्र की विधि’ से आपको जि़न्दगी के हर पहलू में ज़्यादा नेमतें मिलेंगी। आप जिस नेमत पर रब का शुक्र करेंगे, वह बढ़ती चली जाएगी। आप आपनी ताक़त पर शुक्र करेंगे तो वह बढ़ जाएगी। आप अपनी औलाद पर रब का शुक्र करेंगे तो वह सलामत रहेगी और बढ़ती चली जाएगी। आप अपने माल पर शुक्र करेंगे तो वह बढ़ जाएगा। आप अपने ज्ञान पर शुक्र करेंगे तो आपका ज्ञान बढ़ जाएगा। आप अपनी तरक़्क़ी पर शुक्र करेंगे तो आप और ज़्यादा तरक़्क़ी करेंगे। आप प्रेम पर शुक्र करेंगे तो आपके दिल में ईश्वर का प्रेम बढ़ेगा।
प्रेम आपकी शक्ति है। भक्ति की आत्मा और इबादत की रूह यही प्रेम है। अपने दिल में उस एक अनन्त कृपावान दाता विधाता के प्रेम को हर पल महसूस कीजिए। इस ‘प्रेम-चेतना’ से आपकी मानसिक शक्ति बहुत ज़्यादा बढ़ती चली जाएगी।  
‘वह’ हमारे साथ है
इस ‘प्रेम-चेतना’ से आप उस एक अजन्मे परमेश्वर को अपने साथ महसूस करेंगे। जो आप पर अन्दर और बाहर हमेशा अनन्त कृपाएं करता रहता है। अब आप उससे अपने जिस काम में मदद माँगेंगे तो आपको उसकी मदद मिलेगी। वह उन शुक्रगुज़ार बन्दों की पुकार को ज़रूर सुनता है, जो उसके गुणों की तारीफ़ करते हैं और उससे सबके कल्याण की दुआ-प्रार्थना करते हैं।

सभी ऋषि और देवता, नबी और फ़रिश्ते उसी से माँगते और पाते आए हैं। सब उसी के नियमों के अधीन हैं। उस एक सर्वशक्तिमान मालिक के अपने साथ होने के विश्वास से आपको ख़ुशी मिलेगी। 
यह ख़ुशी आपको हरेक डर और ग़म से मुक्ति देगी। अब आपके मन में बुरे कल्पना-चित्रों की जगह अच्छे कल्पना-चित्र बनेंगे, जो कि दिमाग़ की भाषा का बहुत अहम हिस्सा हैं।
न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग के अनुसार आप अपने विश्वास, भावना और कल्पना-चित्रों को अच्छा बना कर अपना कल्याण कर सकते हैं। 

इस आधुनिक तकनीक को जानने के बाद आप अपनी और अपने समाज की भलाई में किसी काम इरादा करेंगे तो वह काम अपेक्षाकृत आसानी से हो जाएगा। आपकी हर जायज़ मुराद ज़रूर पूरी होगी।
हम सभी सत्पुरूषों में और नबियों में आस्था रखते हैं। हम उन सबके शुक्रगुज़ार हैं, जिन्होंने हमें लोक परलोक में कल्याण पाने की विधि सिखाई। कल तक उनकी विधि केवल धर्म की बात मानी जाती थी लेकिन आज वह साईन्स की तकनीक के रूप में विकसित देशों में पढ़ाई जा रही है।

होमवर्कः पहला कल्याणकारी पाठ
आज मॉडर्न सायकॉलोजी के स्कॉलर यह बता रहे हैं कि हम प्रेम और सेवा को अपना नज़रिया बना कर अपनी जि़न्दगी में ख़ुशहाली और कामयाबी पा सकते हैं। आप जीते जी ही स्वर्ग के आनन्द को अपने दिल में महसूस कर सकते हैं क्योंकि आनन्द और ख़ुशी एक मनोदशा (State of Mind) है। जिसे आप बाहर तलाश कर रहे हैं, वह आपके ही अन्दर है।

सबसे पहला और बुनियादी पाठ यही है। इसका आपको अभ्यास रोज़ करना है। रोज़ सुबह आँख खोलते ही यह संकल्प 3 बार दोहराएं कि 
‘मैं शुक्रगुज़ार हूँ क्योंकि वह सर्वशक्तिमान मेरे साथ है, जो मुझ पर बहुत मेहरबान है। मैं उसी की मदद से प्रेम और सेवा के काम करता हूँ। मैं ख़ुश हूँ। शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया!’ 
आप दिन में बार बार अपने मन को चेक करते रहें कि मेरे मन में प्रेम और सेवा का भाव है या उसकी जगह शिकायत और नाराज़गी ने या डिप्रेशन ने ले ली है।
Self Talk को चेक करते रहें। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक Haleh Banani का वह वीडियो इन्टरनेट पर मौजूद है जिसमें उन्होंने बताया है कि एक आदमी एक मिनट में 500 शब्द सोचता है, जिनमें 85 प्रतिशत नेगेटिव होते हैं। शुक्र के बोल मन में बार बार दोहरा कर आप इसे पॉजि़टिव बना सकते हैं। 
Attitude of Grattitude के फ़ायदों के बारे में इन्टरनेट पर ख़ुद भी पढ़ें और उन्हें अपनी डायरी में नोट करते रहें। आपके जीवन में चमत्कार होने लगेंगे।
आप दिन में भी बीच बीच में 3-3 बार यह संकल्प दोहराते रहें।
रात को सोते समय भी ईश्वर अल्लाह का शुक्र करें कि आज आपने उसकी अनमोल नेमतों से फ़ायदा उठाया और अच्छे काम करते हुए एक अच्छा दिन बिताया है। शुक्रगुज़ारी का एटीट्यूड अपनाएं।
इसी के साथ यह भी बहुत ज़रूरी है कि जिन लोगों ने आपके साथ कुछ बुरा किया हो, जिनसे आपको शिकायत हो, उन्हें आप रोज़ रात को सोते समय क्षमा कर दें, माफ़ कर दें। इससे आपके मन की गाँठें घुल जाएंगी। आपके मन के रोग दूर हो जाएंगे। इन से ही आपके तन में गाँठें बनती हैं और दर्द होता है।
वैज्ञानिकों ने अपनी ताज़ा रिसर्च में पाया है कि दबे हुए ग़ुस्से, नाराज़गी और डर से हॉर्मोन्स का बेलेन्स बिगड़ता है। ख़ून में ैजतमेे भ्वतउवदम का लेवल बढ़ जाता है। ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। इम्यून सिस्टम ठप्प हो जाता है। नर्वस सिस्टम ‘फ़ाईट और फ़्लाइट  मोड’ में चला जाता है। शरीर की कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों का पोषण और उत्सर्जन ठीक से नहीं हो पाता। इससे कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ होती हैं। माफ़ी के अमल से आप इन जानलेवा बीमारियों की जड़ को ही काट डालते हैं। 
मोटापा, थायरॉइड, डायबिटीज़, एलर्जी, अस्थमा, माइग्रेन, ट्यूमर और गंजापन आदि आपकी सारी बीमारियों की असल जड़ आपके पैराडाइम में, आपके अवचेतन मन में है।

कोई आप से माफ़ी माँगे या न माँगे लेकिन आप अपने कल्याण, अपनी फ़लाह के लिए माफ़ी को अपनी आादत बना लें। पुरानी कड़वी यादों को दिल से मिटा दें। इससे आपके मन से भविष्य में अपने साथ कुछ बुरा होने का डर भी निकल जाएगा। माफ़ करने का फ़ायदा आपको ही मिलेगा। 
जो व्यक्ति आपसे अपने दिल में नफ़रत रखता है, उसकी नफ़रत उसे ही खा रही है लेकिन वह जानता नहीं है। उसकी नेगेटिव एनर्जी का बुरा असर उसी की सन्तान, सेहत और आय को खा रही है। वह समझता है कि किसी ने उस पर जादू करवा दिया है या उसके ग्रह ख़राब चल रहे हैं। हक़ीक़त यह है कि वह ख़ुद ही ख़राब चल रहा है। जो कोई ज़्यादा जानना चाहे, इन्टरनेट पर इस बारे में मौजूद किताबों और लेखों को पढ़ सकता है

प्रतिरोध (Resistence) से रहें होशियार
आप किसी विचार और कर्म को बार बार दोहराते हैं तो वह आपकी आदत बन जाती है। पुरानी आदत को बदलना हो तो नई आदतें विकसित करनी पड़ती हैं। जब आप अपने अन्दर अच्छी और नई आदतें बनाना शुरू करेंगे तो आपका अवचेतन मन (Subconscious mind) प्रतिरोध करेगा। पुरानी आदत के मुताबिक़ आपके मन में बार बार ग़ुस्सा, डर, चिन्ता, शक, डिप्रेशन और नेगेटिविटी की भावना पलट कर आएगी।
ऐसा सबके साथ होता है। यह नेचुरल है। इससे डरना या घबराना नहीं है। आप समझ लें कि ‘कार्य प्रगति पर’ है। पुरानी आदतें कुछ समय तक ज़ोर मारेंगी। उनसे लड़ना नहीं है और न ही उनकी तरफ़ ध्यान देना है। वे ख़ुद ही समय के साथ मिटती चली जाएंगी। 
बस आप अपने संकल्प को दोहराते रहें और मुस्कुराते हुए ख़ुशी के साथ प्रेम और सेवा करते रहें। आप अपने अभ्यास को लगातार करते रहें।


आप डटे रहें, कामयाबी निश्चित है
इस तरीक़े से करोड़ों लोगों को कामयाबी मिली है। उनके शादी-ब्याह हुए हैं, उनके घरों में झगड़े बन्द हुए हैं, तलाक़ होने से बची है, उन्हें रोज़गार मिले हैं, उन्हें विदेश यात्राओं के अवसर मिले हैं, उनके कारोबार में मुनाफ़ा बढ़ा है, ग़रीबों को दौलत मिली है, सड़क के किनारे सोने वालों को और किराए के मकान में रहने वालों को आलीशान कोठियाँ और कारें मिली हैं, बाँझ औरतों और कमी वाले मर्दों को औलाद की ख़ुशी मिली है, बीमारों को सेहत, दुखियों को ख़ुशियाँ मिली हैं।

https://www.2knowmyself.com/directory जैसी इन्टरनेट पर Wellness Sciences की सैकड़ों वेबसाईट्स हैं, जहाँ ये गवाहियाँ और सुबूतReal Stories के नाम से पढ़ी जा सकती हैं।
आप भी अपने सपने साकार कर सकते हैं। आप भी एक भरपूर और ख़ुशहाल जि़न्दगी जी सकते हैं। अब यह मुमकिन है।
हम आपको सिखा रहे हैं दिल और दिमाग़ की भाषा (TN-NLP)
आज ‘वेलनेस साईन्सेज़’ के नियमों को दुनिया भर में सीखा और सिखाया जा रहा है। मैंने अपनी 30 साल की रिसर्च में पाया है कि ये नियम तिब्बे नबवी में सदियों से दर्ज हैं। मैं ख़ुशनसीब हूँ कि मैंने ज़िन्दगी को हसीन, आसान और कामयाब बनाने वाले नियमों को जमा किया और उसे Allahpathy का नाम दिया। हमने लोगों को इन नियमों को सिखाना शुरू किया। उन्होंने इन्हें थोड़ा थोड़ा करके सीखा, समझा और इनकी प्रैक्टिस की। उनकी ज़िन्दगियों में ख़ुशी और खुशहाली आयी.
मल्टीनेशनल कम्पनियाँ इनसे लाभ उठाने के लिए करोड़ों डॉलर ख़र्च कर रही हैं। अरबों-खरबों डॉलर कमा रही हैं।

Neuro Linguistic Programming के एक वेलनेस कोच दो दिन में 16 घंटे के सेशन के 80,000 डॉलर लेते हैं। जो कि इन्डियन करेन्सी में 56,00,000/- रूपये होते हैं। हम छप्पन लाख रूपये का यह सेशन आपको बहुत कम फ़ीस पर कराएंगे।
इस क़ीमती वेलनेस कोर्स को करने का पात्र वह व्यक्ति माना जाएगा जो कि यह तीन काम कर लेगा-
1. जो रोज़ इस पहले पाठ को अच्छी तरह पढ़ता रहे ताकि याद हो जाए और किसी को बताना हो तो ज़ुबानी बता सके। इसकी ख़ूब अच्छी तरह प्रैक्टिस कर ले।
2. अपने मिलने वालों से यह स्प्रिच्युअल साईन्टिफि़क नॉलेज शेयर करे, उन्हें कल्याण के विधि विधान की जानकारी दे।
3. इसे छपवाकर, फ़ोटो स्टेट करवाकर या हमसे मंगवा कर कम से कम 100 लोगों तक उनकी भलाई की नीयत से पहुंचाए और उन्हें भी यह पाठ ज़ुबानी याद करवा दें ताकि वे भी इसका अभ्यास कर सकें। फिर उनके नाम, पते, एजुकेशन, उनकी रूचि, ईमेल एड्रेस, व्हाट्सएप्प नम्बर और मोबाईल नम्बर जमा करके हमारे वेलनेस सेन्टर के पते पर भेजें। हमारी तरफ़ से उन्हें समय समय पर कल्याणकारी जानकारी मुफ़्त भेजी जाएगी।
इस कल्याणकारी ज्ञान को हरेक आदमी हरेक भाषा में बिना काट-छाँट किए प्रकाशित करके वितरित कर सकता है। 
ये तीन काम करके आप अपनी ऊर्जा के पैटर्न में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। जो आपके लिए शुभ और मुबारक होगा। जब आप दूसरों के कल्याण की नीयत से उन्हें अच्छी बातों का ज्ञान देते हैं तो आप कल्याणकारी कर्म करते हैं। जब आपका यह कर्म पलटकर आपकी तरफ़ आएगा तो अच्छे फल के रूप में आएगा और इस तरह निश्चित रूप से आपका कल्याण ही होगा। आपके अटके हुए या बिगड़े हुए काम बन जाएंगे। आपको विकास के नए अवसर मिलेंगे।

इसके बाद अब आप हमारा क़ीमती वेलनेस कोर्स करने के अधिकारी बन जाते हैं। वेलनेस कोर्स के लिए आप अपना नाम, पता, मोबाईल नम्बर, व्हाट्सएप्प नम्बर, ईमेल, आयु, लिंग, एजुकेशन, अनुभव और लक्ष्य आदि लिखकर हमें अब दे सकते हैं या बाद में हमें व्हाट्सएप्प या ईमेल कर सकते हैं.
मोबाईल नम्बरः 07828366485, 09760695571
ईमेलः
allahpathy@gmail.com
आप इस वेलनेस कोर्स को करने के बाद वेलनस कोच, लाईफ़ कोच, सक्सेस कोच और मैरिज काउन्सलर बन सकते हैं। इसके ज़रिए आप जनसेवा कर सकते हैं। इसे आप अपने करिअर के रूप में भी अपना सकते हैं। अपनी सेवा के बदले आप फ़ीस भी ले सकते हैं। हमारी संस्था आपको प्रशिक्षण के बाद सर्टिफि़केट भी देगी।
इसी के साथ Paradigm Healing Drench, पुलिस लाईन्स के गेट के पास, बुलन्दशहर, उ.प्र. भारत’ की तरफ़ से एक हेल्पलाईन नम्बर की सेवा भी आपके लिए है। आपमें से कोई भी बहन या भाई या बच्चा या कोई बुज़ुर्ग अपने जीवन में दुख, निराशा, तनाव या कोई प्रॉब्लम महसूस कर रहा हो तो वह हमें कॉल कर सकता है। अपने कल्याण के लिए सही सलाह और मार्गदर्शन या किसी भी समस्या का समाधान पा सकता है।
अगर आपका बच्चा टी.वी., मोबाईल या वीडियो गेम की लत की वजह से अपनी पढ़ाई नहीं करता है या उसका व्यवहार बिगड़ गया है या वह बुरी संगत में पड़कर नशे का आदी बन गया है या वह सब कुछ ठीक होते हुए भी वे अपनी पढ़ाई में पिछड़े हुआ है या उसकी मेमोरी कमज़ोर है या उसके शरीर का विकास ठीक से नहीं हो रहा है या उसे कोई अन्य बुरी आदत पड़ गई है तो उसके ‘पेराडाइम’ की हीलिंग करके उसे सुधारा जा सकता है।
आप दुआ के लिए भी अपना नाम और अपनी समस्या लिखवा सकते हैं। 
जो बीमार बहन भाई आर्थिक कारण से अपना इलाज न करा पा रहे हों, उन्हें इलाज में भी यथासम्भव मदद दी जाती है। अस्थमा, कैन्सर, लिवर व पेट रोग या गुर्दा फ़ेल होने पर डायलिसिस कराने वाले मरीज़ों के गुर्दों का सफल इलाज करने वाले डॉक्टर्स की जानकारी बिल्कुल मुफ़्त दी जाती है।

हेल्प लाईन नम्बरः 07828366485
समयः केवल सुबह 11 बजे से 12 बजे दोपहर तक व शाम 4ः00 बजे से 5ः00 बजे तक
‘आर्याना ब्यूटी सेन्टर, बुलन्दशहर’ के माध्यम से स्किन, हेयर, फि़टनेस के साथ सभी सौन्दर्य समस्याओं के बारे में सलाह भी बिल्कुल मुफ़्त दी जाती है।

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हमारी नीयत है कि आपका कल्याण हो, आपका भला हो। इसीलिए हमने वेलनेस के इस महान ज्ञान की होम डिलीवरी का यह अभियान शुरू किया है।
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Wednesday, September 21, 2016

Al-Fatiha Life Healing Energy मन की मुरादें पाएँ, यक़ीन की ताक़त से

17th July 2016, 8:52pm

रिसर्च : डा. अनवर जमाल


ईमेल:allahpathy@gmail.com

मनचाहा पति कैसे पाएँ?:Practical Training

मीना एक आफ़िस में चपरासी है। वह 8 साल पहले विधवा हुई थी। उसकी शादी के 3 साल बाद ही उसके पति की मौत हो गई थी। उसे अपने पति की मौत के बाद उसके आश्रितों में नौकरी मिल गई थी। तक़रीबन 4-5 सालों से वह सरकारी कागज़ इधर से उधर पहुंचा रही है। उसकी आँखों में ऐसा सूनापन और चेहरे पर ऐसी उदासी छाई रहती थीजिसे देखकर मैं समझ गया कि इसके सपने मर चुके हैं।

मीना की उम्र ज़्यादा नहीं है। वह ख़ूबसूरत भी है। कोई ऐसी वजह नहीं है कि फिर से उसकी शादी  हो सके। जब कभी मेरी नज़र उस बहन पर पड़तीमैं मालिक से उसकी शादी और उसके अच्छे भविष्य की दुआ ज़रूर करता।
एक रोज़ मैं अपने एक शागिर्द समर ख़ान से मिलने के लिए उनके आफ़िस गया तो सामने से मीना निकल
कर गई।

मैंने समर ख़ान से कहा कि आप इसकी शादी के लिए दुआ किया करें।

मालिक के करम से तभी मीना कुछ काग़ज़ात
रिसीव कराने के लिए समर ख़ान के आफ़िस में  गई।
उनकी असिस्टेंट हेमा उससे बात करने लगी।
समर ख़ान  ने मीना को मेरी बात बताई कि हमारे भाई आपकी शादी के लिए दुआ करते रहते हैं।

मीना ने कहा कि मैं ख़ुद भी शादी करना चाहती हूं। मेरे रिश्ते आते हैं लेकिन फिर मेरा काम अटक जाता है। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने मुझ पर कोई जादू वग़ैरह करवा दिया हो।

मैंने कहा कि मेरा ताल्लुक़ देवबन्द से है। मैं जादू-टोने की हक़ीक़त को ख़ूब जानता हूँ। आप पर जादू का असर तो है लेकिन ख़ुद पर यह असर आपका अपना   किया हुआ है।
वह बोलीकैसे?
मैंने कहाआप चाहती हैं कि आपकी दोबारा शादी हो?
मीना बोलीहाँ
मैंने कहाफिर आपको यह डर भी सताता है कि लोग क्या कहेंगे?
मीना बोलीहाँ
मैंने कहायही डर आपका काम अटका रहा है। आप इस डर को अपने दिल से निकाल दीजिए। आपका काम हो जाएगा। समाज के रिवायती लोग तो विधवाओं को तिल तिल करके मरते देखना चाहते हैं।
उनकी ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशियों का गला
घोंटना अक्लमन्दी नहीं है। अब औरतों को विधवा होने के बाद सती और बर्बाद की कोई ज़रूरत
नहीं है। मालिक की दया से आपकी शादी ज़रूर होगी और आपको अच्छा पति मिलेगा।
मीना ने पूछा कि मुझे क्या करना होगा?

मैंने उसे क़ुरआन की सबसे बड़ी दुआ अलफ़ातिहा के ज़रिए हीलिंग इनर्जी दी। ज़िन्दगी के बारे में उसके नज़रिए को सही किया। उसे अल्लाह की मदद का यक़ीन दिलाया।

मैंने कहाआप उस मालिक को याद कीजिएजिसने आपको पैदा किया हैजिसकी रहमत से आप ज़िन्दा हैं और हर पल साँस लेती हैं। वही एक रब सबका मालिक है। आप उसी मालिक की प्रॉपर्टी हैं और अपनी प्रॉपर्टी की केयर करना वह खूब जानता है। आप सोने से पहले उसका नाम लीजिए।

आप सबका मालिक एक’ और ‘अल्लाह मालिक’ यह कहिए। उससे अपने काम में मदद   माँगिए। इसके बाद जैसा पति आपको चाहिएउसके गुणों पर विचार कीजिए और उसका   स्वरूपउसकी एक इमेज अपने मन में बनाईये।

अपने नए पति की उम्रआमदनीरंगक़दआदत और यह कि वह शहरी हो या देहातीयह सब बिल्कुल साफ़ साफ़ सोच लीजिए। इसे किसी कार्ड पर लिखकर इसे अपने पास रख लीजिए। इसके बाद आप उस पति को अपने मन की आंखों से अपने घर में मौजूद देखिए। यह विचार लेकर आप सो जाईये और फिर सुबह को उठते ही यही विचार कीजिए। दिन में भी आप इस विचार को अपने में ताज़ा करती रहिए। आप यक़ीन कीजिए कि आपका सपना पूरा होगा।

मैं उसे यक़ीन दिलाते दिलाते ख़ुद इतना यक़ीन से भर गया कि मेरे मुँह से यह भी निकल गया कि 'मालिक ने चाहा तो एक हफ़्ते में आपका काम हो जाएगा।'

...और वाक़ई एक हफ़्ते में उसका काम हो गया।
19 नवम्बर 2014 को नन्हे भाई ने ख़बर दी कि मीना ने 18 नवम्बर को एक लड़के के साथ कोर्ट मैरिज कर ली है। दोनों पक्षों की तरफ़ से उनका कोई भी घरवाला शामिल नहीं हुआ।

मैं ख़ुश हुआ कि दोनों पक्षों की तरफ़ से कोई शामिल नहीं हुआ,  सही लेकिन मीना की नैया पार लग गई। जो काम 8 साल से अटका पड़ा था, वह अल्लाह की मदद से 8 दिन में हो गया। 

मीना 20 नवम्बर 2015 को अपनी माँग में सिन्दूर लगाकर आई। उसका चेहरा ख़ुशी और   मेक अप, दोनों की वजह से लाल हो रहा था। उसने कीमती साड़ी  ज़ेवर पहन रखे थे।   उसने मुझेसमर ख़ान को और हेमा को बरफ़ी खिलाई। उसका चेहरा खिला हुआ था। उसने बताया कि भाई साहबमैंने जिस दिन दुआ की उससे अगले दिन ही रिश्ता  गया था। मेरे पति बहुत सुन्दर हैं। वह सरकारी जॉब में तीसरे ग्रेड पर हैं। उसने अपने मोबाईल में अपने नए पति का फ़ोटो दिखाया। वाक़ई वह एक अच्छी शक्ल का नौजवान है।
मीना बोलीआपका बहुत बहुत शुक्रिया।
मैंने कहाअब तो हमारे काम की शुरूआत हुई है। अब हम तुम्हें बहुत से बच्चों का वरदान देते हैं। कम बच्चों की बात कभी मत सोचना। बच्चे जितने ज़्यादा होंउतना ही अच्छा है। सोचना कि पूरा शहर तुम्हारे बच्चों से भर गया है। तुम्हारे पास दौलत बहुत आएगी।
मीना मुस्कुरा कर सुनती रही।
मैंने यह भी कहाअपने पति को बचा कर रखना।   जब कभी उसके पास तुम्हारे रिश्तेदार बैठें तो वहां मौजूद रहना। कुछ ग़लत क़िस्म के रिश्तेदार ग़लत बातें कह जाते हैं और रिश्ता बिगाड़ देते हैं।
मीना ने हामी भरी और अपने आफ़िस वालों को मिठाई खिलाने चली गई।

मालिक हरेक लड़की को,  हरेक विधवा और तलाक़शुद औरत को ज़्यादा से ज़्यादा सुख दे और उनके दिल से दुनिया का डर निकाल देजिसने उनका जीवन दुखों से भर दिया है।
अक्सर डर बेकार होते हैं। यह सपने साकार होने की दुनिया है।
आप सपने देखिएउनके पूरा होने का यक़ीन कीजिए।
अपने मनवचन और कर्म से अपने सपनों को सपोर्ट कीजिए।
समय आने पर वह सहज ही पूरा हो जाएंगे।
यह ईश्वर अल्लाह की प्राकृतिक व्यवस्था है।
कुंवारी लड़कियां भी इसी विधि से अच्छा पति पा सकती हैं। उन्हें अपने मन से यह डर निकाल देना चाहिए कि उनके पास देने के लिए बहुत सा दहेज नहीं है या उनका क़द छोटा है या उनका रंग सांवला है या उनकी एजुकेशन कम  है, इसलिए उन्हें अच्छा पति नहीं मिलेगा।
दिल से हरेक डर निकाल देने के बाद अच्छे पति के बारे में सोचिए कि आपकी नज़र में एक   अच्छे पति में क्या गुण होने चाहिएं और फिर अपने मन में उसके साथ अपना विवाह होते हुए   देखिएबस। हो गया काम।
एक आसान काम को बेवजह के डर ने इतना मुश्किल बना दिया है कि बहुत सी लड़कियां उस आदमी से शादी कर बैठती हैंजिसकी सूरत और सीरत को वे पसन्द नहीं करतीं।

औरत हो या मर्द, कोई बूढा हो या बच्चा या फिर चाहे कोई ग़रीब  हो या बीमार, उसे  अपनी हक़ीक़त और अपने अंदर की शक्ति को  पहचानना होगा अपनी सही पहचान के बाद उसे सारी ख़ुशियां आसानी से मयस्सर होती चली जाएंगी।
पिछले 30 सालों में हमने अपने बुज़ुर्गों की ज़िन्दगी में, अपनी और अपने दोस्तों की ज़िन्दगियों में अल्लाह की क़ुदरत के ऐसे सैकड़ों चमत्कार और मौज्ज़े देखे हैं। सैकड़ों लोगों को हम रोज़ वेलनेस कोचिंग देते हैं। अल्लाह उनकी भी मुरादें पूरी करता  है। वह उनके भी बिगड़े काम बनाता है। 
सब कुछ सही जानकारी और उस पर यक़ीन व अमल पर 


मन की मुरादें पाएँयक़ीन की ताक़त से
जब इंसान के दिल में किसी चीज़ की ख़्वाहिश बार बार गश्त करती है तो वह मुराद बनकर उसके मन में क़ायम हो जाती है।

यह पहला मरहला होता है
यह एक Vision होता है

दूसरा मरहला यक़ीन का होता है।
जब आदमी को यक़ीन होता है कि यह चीज़ मिल सकती है तो वह उसे पाने के रास्ते और ज़रिये तलाश करता हैअंदरूनी और बाहरी कोशिश करता है। नतीजे में उसका conscious mind उस चीज़ पर focus हो जाता है। वह ख़ुद को उस चीज़ के साथ देखता है।

मानो वह चीज़ उसके पास इसी वक़्त मौजूद है।
स तरह की images उसके mind में बार बार बनती हैं तो वे subconscious mind में commands की तरह दाख़िल हो जाती हैं।

जिस चीज़ पर conscious mind फोकस हो जाता है subconscious mind उसे attract कर लेता हैया उसे पाने के साधनों को, means को attract कर लेता है।

तीसरा मरहला चीज़ पा लेने का मरहला है।
जब चीज़ ज़ाहिरी दुनिया में पास आ जारी है त मुराद पूरी हो जाती है। हर मुराद ऐसे ही पूरी होती है। अल्हम्दुलिल्लाह



जिस चीज़ के मिलने के बारे में आदमी को शक हो जाता हैतो मन की मुराद पूरी होने री natural process रुक जाती है और तीसरा मरहला नहीं आता।  वह चीज़ physical world में ज़ाहिर नहीं हो पाती।

शक,  दरअसल यक़ीन होता है चीज़ के न मिलने का।

हर आदमी बचपन से एक ख़ास तरह के माहौल में चीज़ों को होता हुआ देखता है। इससे उसका एक 'यक़ीनबन जाता है की कौन सी चीज़ हो सकती है और कौन सी चीज़ नहीं हो सकती।

हर इंसान को उसकी ज़िन्दगी में उसके यक़ीन के मुताबिक़ ही चीज़ें मिलती है।

इंसान अपने यक़ीन से unconscious हैunaware है।  उसका यक़ीन माहौल के असर से ख़ुद ब ख़ुद बन चुका होता है। अक्सर उसे अपने साथ 'कुछ बुराहोने का डर लगा रहता है।

क्यों ?
...क्योंकि वह दूसरों के साथ 'बुराहोते हुए देखता है और उसके साथ भी कुछ बुरा हो चुका होता है।

इससे उसका एक यक़ीन बन जाता है की यह दुनिया एक ऐसी जगह है जहाँ ज़िन्दगी में कभी भी 'कुछ बुराहो सकता है।  इस यक़ीन की वजह से उसके साथ 'कुछ बुराहोता रहता है।


उसके साथ 'कुछ बुराहोते देखकर दूसरे लोगों को भी यक़ीन हो जाता है कि इस दुनिया में किसी के साथ कभी भी 'कुछ बुराहो सकता है।

के इस यक़ीन की वजह से उके दिल में डर पैदा होता है कि 'फुलांआदमी के साथ ऐसा हुआकहीं ऐसा हमारे साथ हो गया तो क्या होगा ?

बीमारी, accident, और नौकरी छिन जाने के वाकेआत देख कर वह खुद के बीमारज़ख़्मी या jobless होने की तस्वीरें अपने मन में देखने लगते हैं।

सब का मन बेक़ाबू है। सबके मन में डर है। किसी के मन में एक तरह का डर है और किसी के मन में दूसरी तरह का डर है। आज डर और ग़म इंसान के वुजूद में समा चुके हैं।

अक्सर इंसान ऐसी बातों से डरता हैजो शायद उसके साथ कभी न होंलेकिन अपने डर की वजह से वह उन्हें अपनी ज़िन्दगी में वुजूद बख़्श देता है।

जहाँ डर होता हैवहाँ ग़म ज़रूर होता है।

जहाँ ग़म होता हैवहाँ ग़ुस्सामायूसीबेचैनी और शिकायतें भी होती हैं।


जहाँ ग़ुस्सा और शिकायतें होती हैं

वहाँ लड़ाई - झगड़े भी होते हैं

जहाँ लड़ाई - झगड़े होते हैं, वहाँ नफ़रत भी होती है

जहाँ दूसरों से नफ़रत होगी वहाँ दूसरों का बुरा चाहने की बात भी ज़रूर पायी जाएगी। 
जब आदमी ग़मग़ुस्से और नफ़रत से भरा होगा और दिल से अपने दुश्मनों का बुरा चाहता होगा तो उसके दिल में बुराई बैठ जाएगी। वह बुराई ख़ुद उसके वुजूद काउसके being का हिस्सा बन जाती है। तब उसके अपने ही साथ बुरे हादसे और नुक़्सान ख़ुद  ख़ुद होने लगते हैं।

जब वह अपने बारे में कुछ बुरा होने से डरता है भी उसके साथ कुछ बुरा हो जाता है।

आदमी नहीं जानता कि उसके मन के बेक़ाबू होने से उसका डरग़मग़ुस्सा और नफ़रत सब कुछ बेक़ाबू है।

आदमी को जब ख़ुद पर ही क़ाबू नहीं है तो उसे अपने काम और उसके अंजाम पर भी क़ाबू नहीं हो सकता।

बुराई का अंजाम बुरा होता है।

बुरे अंजाम से बचना है तो भलाई को चुनें।

बुराई को भलाई से बदलें।

जब आपको अपने साथ कुछ बुरा होने का डर सताए तब अल्लाह की ख़ूबियों को याद करेंजिसने आपको 'अलक़से पैदा किया। जिसने ज़मीनो-आसमान की हर चीज़ को पैदा किया। उनकी हिफाज़त की है और कर रहा है। जिसने सय्यिदना नूह अ0 की नाव की हिफाज़त कीजिसमें हमारे बुजुर्ग़ सवार थे। वे बुजुर्ग़ न बचते तो आज यहाँ हम भी न होते।

जब हमारी हिफाज़त के लिए अल्लाह हमारे साथ है तो हम अल्लाह के सिवा किसी ऐसी चीज़ से क्यों डर रहे हैंजिससे डरने के लिए अल्लाह ने मना किया है ?

हम ऐसा ग़म क्यों कर रहे हैंजिससे अल्लाह ने रोका है ?

हम इस बात पर ख़ुश क्यों नहीं होते कि अल्लाह हमारे साथ हैजो हर चीज़ पर क़ादिर (समर्थ) है।

वह रब हमारा भला करना चाहे तो कोई हमारा बुरा नहीं कर सकता और अगर वह हमारा कुछ नुक़्सान करना चाहे तो कोई हमें नफ़ा नहीं पहुँचा सकता।

... और अल्लाह जिसके साथ जो कुछ करता हैअपने क़ानून के मुताबिक़ करता है।

अल्लाह का क़ानून यह है कि जो लोग भलाई के काम करते हैंउन्हें भलाई ही नसीब होती है। 
आप अपने यक़ीन के मुताबिक़ ही अमल करते हैं।
आपके आमाल भी आपके यक़ीन के मुताबिक़ ही कामयाब होते हैं।
आपका यक़ीन, आपके आमाल और उनके अंजाम हर जगह काम करते हैं। आख़िरत में भी और उससे पहले दुनिया में भी। 
आपको आपके यक़ीन के मुताबिक़ ही मिलता है और मिलेगा।

अब यह बात हर तरफ़ कही जा रही है कि अगर आप कहते हैं ‘I can’ तो आप सच कहते हैंअगर आप कहते हैं ‘I cannot’ तो भी आप सच कहते हैं।
ख़ुद  के बारे में आपका जो भी यक़ीन है, वह सामने आता है।  
ख़ुद के बारे में आप अपना यक़ीन अच्छा बनाएं।

आपके मन में बचपन से माहौल के असर से जो यक़ीन ख़ुद ब ख़ुद बनता चला आया हैउसने आपके अपने बारे में भी आपका एक यक़ीन बना दिया है कि आप कैसे आदमी हैं ?

आप कैसी चीज़ेंकैसी सेहत, कितनी इज़्ज़तकितनी दौलत और कितनी ख़ुशी और कामयाबी पाने के 'हक़दारहैं ?

आपके मन की जो मुरादें आपके इस यक़ीन के मुताबिक़ होती हैंवे ज़रूर पूरी होती हैं।


आम तौर पर आदमी की ज़िन्दगी में ऐसे वाक़ये हुए होते हैं कि उसने किसी के साथ बुरा किया होता हैया उसके साथ किसी ने बुरा किया होता है।

वह ख़ुद हसासे जुर्म और शर्मिंदगी के साथ जीता है।

वह अपने आपको अच्छा आदमी नहीं मानता।

उसके अन्दर ख़ुद से नफ़रत का जज़्बा होता है।

यह जज़्बात उसके अन्दर सज़ा का तक़ाज़ा करते हैं और उसका subconscious mind उसके लिए ऐसे बुरे हालात पैदा करता है जिनसे वह दुःख दर्द महसूस करता है।

आदमी इस बात unconscious रहता है कि अपने आपको वह ख़ुद जज कर रहा है और ख़ुद को ख़ुद ही सज़ा दे रहा है और यह कि वह जब चाहे अपने आपको माफ़ कर सकता है। वह जब चाहे ख़ुद पर रहम कर सकता है।

self compassion से वह अपने हालात बदल सकता है।

वह जब चाहे self-concept बदल सकता है।

वह जब चाहे अपने अक़ीदेअपने beliefs बदल सकता है।

जिस बात को आप स मानते हैं वह आपका belief है।

आपका belief system ही आपका paradigm है।
आपका paradigm आपके कल्चर की देन है।

आप अपनी मुराद पूरी होने पर यक़ीन या शक भी अपने paradigm के मुताबिक़ ही करते हैं।


अगर आप कोई चीज़ चाहते हैं और वह, आपको काफ़ी वक़्त गुज़रने के बादअभी तक नहीं मिली है तो इसका मतलब यह है कि आपका paradigm आपकी मुराद को support नहीं कर रहा है।

आपको अपना paradigm चेंज करना होगा।

paradigm चेंज होता हैनई ख़बरों से।

नई जानकारी हासिल करें ताकि आपका मन नई जानकारी को process करके नए नतीजों का यक़ीन कर सके।

ऐसे लोगों के साथ रहें या उनके बारे में पढ़ेजिन्होंने इन चीज़ों को हासिल किया है। उनके तरीक़ों को आज़माएं।

कुछ महीनों तक लगातार ऐसा करते रहने से paradigm चेंज हो जाता है।

आपके self respect और self worth महसूस करने के लिए ख़ुद को ख़ुदा की नज़र से देखें।

अल्लाह ने सय्यिदना आदम अ0 की औलाद को इज़्ज़त बख़्शी है।

जुर्म के एहसास की वजह से shame & guilt के जज़्बात हों,  ख़ुद से घिन आती हो तो तौबा करके इन्हें ख़ुद से दूर कर लें।


अपना नज़र, दिलबदनलिबास और जगह को पाक रखें।

अल्लाह तौबा करने वालों को और बहुत पाक रहने वालों को मबूब रखता है।

सो अपने आप सेआप ख़ुद भी मुहब्बत करें।


दूसरों को माफ़ करना सीखें।
ख़ुद को माफ़ करना भी सीखें।

आज तक जो कुछ बुरा आपने किसी के साथ किया या किसी ने आपके साथ किया वह सब आपके लिए एक सबक़ था। जो सबक़ आपको सीखना था वह आप सीख चुके हैं। अब उ दुख देने वाली यादों को मन में दोहराने की कोई ज़रूरत नहीं है।

अल्लाह ने आपको तौबा की तौफ़ीक़ दीइस पर शुक्र अदा करें।

ज़मीन से लेकर आसमान तक अल्लाह ने हर चीज़ को आपको नफ़ा पहुंचाने में लगा रखा है।

हर तरफ़ से आप हर पल बेशुमार नेमतों से घिरें हुए हैं। आप नेमतों को देखियेउनका बयान कीजियेउन पर शुक्र अदा कीजिये।

सुबह को सबसे पहला अमल शुक्र का कीजिए।
रात को सोने से पहले सबसे आख़री अमल शुक्र का कीजिए।

दिन में भी आप बार बार नेमतों पर शुक्र कीजिए।
आपके शुक्र के एहसास को कितनी शिद्दतसे महसूस करेंगेउतनी जल्दी आपको बरकत हासिल होगी।

शुक्र का मतलब यह भी है कि ज़िन्दगी की और नेमतों की क़द्र की जाए। उनकी केयर की जाए। उनका इस्तेमाल हमेशा भलाई में किया जाए।

इस अमल से आपकी state of consciousness ही चेंज हो जाती है।

जब आप अपने being पर काम करते हैं तो उसका असर आपके doing पर पड़ता हैऔर फिर having पर भी पड़ता है।

आपके मन की मुराद पूरी हो जाती है।

अगर आपको health चाहिए तो आपको health consciousness डेवलप करनी होगी।

अगर आपको wealth चाहिए तो आपको wealth consciousness डेवलप करनी होगी।

अगर आपको power चाहिए तो आपको power consciousness डेवलप करनी होगी।
अगर आपको success चाहिए तो आपको success consciousness डेवलप करनी होगी. 

अगर आपके ख़ुशी चाहिए को आपको ख़ुशी की consciousness डेवलप करनी होगी।

आपको जो चीज़ दरकार हैआपको ख़ुद में उसी चीज़ की consciousness डेवलप करनी होगी।

इसका तरीक़ा imagination हैजिसे creative visualization भी कहते हैं।  यह पूरी तरह scientific है।

participant बनकर मन चाही चीज़ या हालत को मन में देखना और उसे soundtastetouch और smell के साथ real feel करना उस चीज़ या हालत की consciousness को develop करता है।


यह बीज बोने की तरह है।
जो बीज आप आज बो रहे हैंfuture में आप उनकी फ़सल ही काटेंगे।

आप अंजीर बोएंगें तो अंजीर की फ़सल ज़रूर मिलेगी।

आपके पास 'आजहै, 'अबहै और 'यहाँहै।

आप 'आज अब यहाँजो कर रहे हैंउससे कुछ बन रहा है।

आप 'आज अब यहाँख़ुद को जैसा feel कर रहे हैंfuture में आप वैसे ही बन जायेंगे।

इंशाअल्लाह

Quantum physics कहती है कि आपके देखने का असर energy पर पड़ता है।

जिस चीज़ को आप देख रहें हैं आप उसे जन्म दे रहे हैं।

आप energy को जानिए,
आप अपने मन को जानिए

अपने मन में डूबकर पा जा सुराग़ ए ज़िन्दगी 
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन

अल्लामा इक़बाल रह0

Allahpathy क़ुरआन से इलाज करने के बदले माल लेने के बारे में अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हुक्म और उनके सहाबा रजि़. का तरीक़ा



इमाम इब्ने क़य्यिम रहमतुल्लाहि अलैह लिखते हैं-
इमाम बुख़ारी रहमतुल्लाहि अलैह और इमाम मुस्लिम रहमतुल्लाहि अलैह ने सहीहैन में हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रजि़यल्लाहु अन्हु से रिवायत की है। उन्होंने बयान कियाः
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबा की एक जमात एक सफ़र में निकल पड़ी। सफ़र करते करते अरब के एक क़बीले में उतरे और उनसे मेज़बानी क़ुबूल करने की दरख़्वास्त की। उन्होंने मेज़बानी क़ुबूल करने से इन्कार कर दिया। इतने में उनके सरदार को डंक लगा। उन्होंने हर मुमकिन तदबीर कर डाली मगर कोई तदबीर कारगर साबित न हुई। उस क़बीले के बाज़ लोगों ने कहा कि यह क़ाफि़ला जो तुम्हारे यहां आया है उनके पास चलो। शायद उनमें से किसी के पास कोई तदबीर हो।
चुनांचे वे सहाबा ए रसूल स. के पास आए और उनसे कहा-‘ऐ क़ाफि़ले के लोगो! हमारे सरदार को डंक लग गया और हर मुमकिन तदबीर हमने कर डाली मगर कुछ फ़ायदा न हुआ। क्या तुम में से किसी के पास इसका इलाज है?
उनमें से बाज़ ने कहा कि हाँ, अल्लाह की क़सम मैं झाड़ फूंक करता हूँ, मगर ज़रा सोचो कि हमने तुमसे मेहमानदारी करने की दरख़्वास्त की तो तुम लोगों ने हमारी इस दरख़्वास्त को ठुकरा दिया और हमारी मेज़बानी न की। मैं दम उस पर उसी वक़्त कर सकता हूँ, जब तुम उस पर कुछ उजरत मुक़र्रर करोगे।
चुनाँचे भेड़ों की एक तादाद पर मामला तय हो गया। उन्होंने उस पर ‘अल्हम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन’ पढ़ते हुए दम करना शुरू किया। उसका असर यह हुआ कि वह ऐसा चंगा हो गया गोया कि उसे किसी बन्धन से रिहाई मिली हो और वह चलने फिरने लगा। उसे कोई तकलीफ़ न थी। फिर उसने कहा कि इन लोगों को उनकी तयशुदा पूरी पूरी उजरत दे दो। चुनाँचे उन्होंने उजरत दे दी।
उसमें बाज़ सहाबा ने कहा कि आपस में इसे बाँट लो। इस पर दम करने वाले शख़्स ने कहा कि जब तक हम रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास न पहुँच जाएं, उस वक़्त तक कुछ न करो और हम आपके हुक्म के मालूम हो जाने तक उससे तवक़्क़ुफ़ करेंगे। चुनाँचे सब लोग रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आए और उन्होंने पूरा वाक़या बयान किया।
यह सुनकर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि तुमने ठीक ही किया। अब इसे आपस में बाँट लो और इसमें मेरा भी एक हिस्सा लगाना।’
-तिब्बे नबवी पेज 218 व 219 उर्दू तर्जुमाः हकीम अज़ीज़ुर्रहमान आज़मी
उर्दू से हिन्दी अनुवादः डा. अनवर जमाल यूसुफ़ ज़ई

अल्लाह की मदद रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में भी माँगिए
कामयाबी का नतीजा बहुत जल्दी आता है। कभी कभी तो फ़ौरन ही नतीजा आ जाता है। यह सब आपके यक़ीन पर है। जैसा कि आपने सहाबा रज़ि. के वाक़ये में देखा है।
अलफ़ातिहा के ज़रिये आप हर तरह के मामलों में अल्लाह से मदद मांग सकते हैं। आप रोज़मर्रा के घरेलू मामलों में भी अल्लाह से मदद मांग सकते हैं।
हमारी वाईफ़ अक्सर इस शक्तिशाली दुआ के ज़रिये अपने मामलों में अल्लाह की मदद पाती रहती हैं। जब हमारे बेटे अब्दुल्लाह ख़ान दो साल के हुए तब वह प्रेग्नेंट थीं। वह अब्दुल्लाह का दूध छुड़ाना चाहती थीं लेकिन अब्दुल्लाह ख़ान किसी तरह भी माँ का दूध छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे।
हमारी वाईफ़ ने हमसे पूछा कि क्या करूँ?
हमने कहा कि अल्लाह से मदद माँगो।
उन्होंने रात का इस बरकत वाली दुआ के ज़रिये मदद माँगी कि अब्दुल्लाह ख़ान माँ का दूध छोड़ दें।
उन्होंने इस दुआ की इस आयत को बहुत ज़्यादा रिपीट किया-
‘इय्याका ना‘बुदु व इय्याका नस्तईन’
यानि हम आप ही की इबादत करते हैं और आप ही से मदद चाहते हैं।
सुबह को अल्लाह ने अपनी क़ुदरत का यह करिश्मा दिखाया कि अब्दुल्लाह ख़ान ने माँ का दूध छोड़ दिया।
जो काम नामुमकिन दिख रहा था। वह बहुत आसानी से हो गया।
अल्लाह का शुक्र है।

अल्लाह से मदद माँगने और पाने का बहुत आसान तरीक़ा
1. आप जो भी मुराद पाना चाहें, उसे किसी काग़ज़ पर लिखकर अपने पास रख लीजिए। इससे आपके मन में यह साफ़ हो जाएगा कि आप क्या चाहते हैं?
इसके बाद आप दुनिया की सबसे बड़ी दुआ अलफ़ातिहा 41 बार पढ़कर अल्लाह से मदद माँगिए।
आप किसी भी वक़्त इस दुआ को पढ़ सकते हैं। सबसे अच्छा वक़्त सुबह की अज़ान के आस पास का वक़्त है जो कि सूरज निकलने से डेढ़-दो घंटा पहले होता है। इस वक़्त दिल में सुकून होता है। कन्सन्ट्रेशन ज़्यादा होता है।

इस आयत को इसका मतलब समझकर यक़ीन के साथ चलते फिरते हुए भी ज़्यादा से ज़्यादा पढ़िए-‘इय्याका ना‘बुदु व इय्याका नस्तईन’
यानि हम आप ही की इबादत करते हैं और आप ही से मदद चाहते हैं।

अगर आपमें से कोई इस दुआ को पढ़ नहीं सकता तो वह मोबाईल में इन्टरनेट से क़ुरआन की यह दुआ डाउनलोड करके इयरफ़ोन के ज़रिए सुन ले।
कम से कम 41 बार सुने। इससे ज़्यादा सुने तो और ज़्यादा फ़ायदा होगा। नेगेटिव इनर्जी दूर होगी और पाॅज़िटिव इनर्जी बढ़ेगी। इससे आपकी मुराद ज़्यादा जल्दी पूरी होगी।

2. सिर्फ़ एक रब की ताक़त पर और उसकी रहमत पर पूरा यक़ीन रखें कि वह आपके साथ है और आपकी दुआ का जवाब हमेशा ‘हाँ’ में देता है। जिस रब ने आपको ज़मीनो आसमान दिया, परिवार और रिश्ते दिए, रूह और जिस्म दिए, बेशुमार नेमतें दीं, सबसे बड़ी दुआ दी। वह आपको आपके मन की मुराद ज़रूर देगा।

आप सब्र के साथ अपना यक़ीन बनाए रखें। आपका यक़ीन ही वह ताक़त है जो अल्लाह की ग़ैबी मदद को अट्रैक्ट करता है। बहुत जल्दी आपको रास्ते खुलते हुए नज़र आएंगे। कभी कभी तो काम ही तैयार हो कर सामने आ जाता है। शक न करें कि कैसे होगा या कब होगा?

3. आप अपने काम के बारे में जो भी जायज़ कोशिश कर सकते हैं, ज़रूर करें और अगर कुछ नहीं कर सकते तो रास्ते खुलने का इन्तिज़ार करें।  

कोई बात पूछनी हो तो आप हमें ईमेल कर सकते हैं, काॅल कर सकते हैं। 
email: allahpathy@gmail.com