दोस्तो! अल्लाहपैथी मेरे तजुर्बात का ज़ख़ीरा है। यह एक सब्जेक्ट है।
अल्लाहपैथी की ज़रूरत क्यों पेश आई?
इसे डिज़ायन करने की वजह वह ग़रीबी और वह बर्बादी है, जिसे हम दूसरे लोगों की ज़िंदगी में देखते रहते हैं। हम कई बार अपने क़रीब के लोगों को ग़रीबी और तनाव का शिकार देखते हैं और हम उनकी माल से उतनी मदद नहीं कर पाते, जितनी उन्हें ज़रूरत होती है।
ऐसे में हम उन्हें एक सही नज़रिया देकर उन्हें उस मसले के हल का सीधा रास्ता दिखा सकते हैं।
मिसाल:
दो दिन पहले ज़िला फ़तेहपुर उत्तर प्रदेश में एक माँ ने अपनी चार बेटियों के साथ ज़हर खाकर आत्म हत्या कर ली। कई दिनों से वे मरे हुए अपने घर में पड़े थे। दो दिन पहले बदबू फैली तो लोगों को उनकी मौत का पता चला। उसका पति शराबी था।
मैंने फ़ेसबुक पर यह ख़बर पढ़ी तो मुझे दुख हुआ। आपको भी दुख हो रहा है। मैं जानता हूँ। मैंने इस ख़बर को अपने फ़ेसबुक अकाउंट से शेयर किया और इसका हल भी बताया है।
जो ज़िंदगियां चली गई हैं। हम उन्हें वापस नहीं ला सकते लेकिन हम दूसरे लोगों को उनके मसलों का हल बताकर उनकी सलामती के लिए काम कर सकते हैं और हमें यह काम करना चाहिए।
एक वक़्त का खना खिलाना नेकी है तो उन्हें कमाना सिखाना उससे बड़ी नेकी है क्योंकि उससे उसके हर वक़्त के खाने का और उसकी सब ज़रूरतों का इंतेज़ाम हो जाता है।
मैं #wellness_coach की हैसियत से यह सलाह देता हूँ कि
हमेशा समस्या का हल तलाश करो।
ग़रीबी का हल अमीरी है।
अमीरी का रास्ता कोई अच्छी चीज़ बेचना है,
जिसे क़ानूनी तौर से बेचा जा सकता है।
मेरी इस सलाह पर चलकर काफ़ी लोग ग़रीबी से निकल आए हैं।
मैं ख़ुद यह काम करके इसके बहुत अच्छे रिज़ल्ट ले चुका हूँ, अल्हम्दुलिल्लाह!
करोड़ों लोग लखपति बन चुके हैं, इस आसान तकनीक से।
अरबों लोग कमाकर खा रहे हैं इस बढ़िया तरकीब से।।
आप अपने मिलने वालों को कुछ बेचना शुरू करो।
आप मेवे, मसाले, शहद, सिरका, देसी दवा, कपड़ा, तेल, साबुन से लेकर हैल्मेट तक कुछ भी बेच लें। इस मुल्क में अमीर बनाने और मुक़द्दमा जिताने का तावीज़ तक बिकता है। कुछ भी बेच लो...
... लेकिन कभी निराश न होओ
कभी जीवन का अंत न करो।
अल्लाहपैथी दुख और मायूसी दूर करने का एक तरीक़ा है। मेरे पास ज़िंदगी से परेशान और मायूस लोग आते रहते हैं। मैं उन्हें जल्दी रिज़ल्ट देने वाली तकनीकें बताता हूँ। रब का शुक्र है कि जो लोग उनसे काम लेते हैं, उनका मसला हल हो जाता है।
आप भी लोगों को उनके मसलों का हल बताएं। उन्हें जीने में मदद दें। यह सबसे बड़ी इबादत है।