आज सुबह मेरी वाइफ़ ने मेरी सबसे छोटी गोद की बेटी को मेरे हवाले कर दिया था ताकि वह नाश्ता बना सके। वह रो रही थी। वह अपनी माँ की गोद में रहना चाहती थी। छोटे बच्चों को चुप कराना एक कठिन काम है। ख़ासकर तब जबकि मैं बैठा हुआ होऊं। मैंने उसे बैठे बैठे बहला कर चुप करना चाहा लेकिन वह चुप नहीं हुई। आम तौर पर मैं ऐसी हालत में बच्चों को गोद में हिलाते हुए 'ला इलाहा इल्लल्लाह' या कोई दूसरा ज़िक्र सुनाता हूँ ताकि वह उनके सबकॉन्शियस माइंड की प्रोग्रामिंग में शामिल हो जाए।
आज मैंने उस पर आयुर्वेद एक्यूप्रेशर (ayurved acupressure) की एक मुद्रा को आज़माने का इरादा किया। मैंने अपने दोनों हाथों की दोनों बड़ी बीच की उंगलियों को दोनों अंगूठों से दबा लिया। यह मुद्रा दिशा और काल बदलने के लिए बनाई जाती है।
जब भी मुझे एसिड ज़्यादा बनने लगता है तो मैं यही मुद्रा बना लेता हूं और उससे एसिड की दिशा बदल जाती है। वह ऊपर गले की तरफ़ आने के बजाय नीचे की तरफ़ चला जाता है और मसला हल हो जाता है।
आज मैंने यह सोचा कि यह तजुर्बा किया जाए कि क्या यह मुद्रा दूसरे की भावनाओं पर भी असर डालती है?
आज मुझे पॉज़िटिव रिज़ल्ट मिला है लेकिन एक बार किसी काम में सफलता होने से कोई बात सिद्ध नहीं हो जाती। इसलिए अभी मैं इस एक्सपेरिमेंट को और करूंगा।
मैंने मन पर बहुत एक्सपेरिमेंट किए हैं। जो एक्सपेरिमेंट आज किया है, उसे आपके साथ शेयर कर रहा हूं।
आप भी एक्सपेरिमेंट करके अपने तजुर्बात के बारे में लिखें।
आप इस मुद्रा को अपने नाराज़ महबूब, पति और बॉस पर करके देख सकते हैं। मामला पुराना हो तो कुछ हफ़्ते रोज़ दो वक़्त, सोते वक़्त और जागते ही यह अमल करें।
तरीक़ा:
1. जो काम करना हो, उसकी नीयत (intention) करें।
2. उसे तवज्जो (attention) दें। उसकी कल्पना (imagination) करें कि यह काम होने के बाद कैसा लगेगा।
3. दिशा और काल बदलने की मुद्रा बनाकर बैठ जाएं। कोई वक़्त तय नहीं है। जब ज़रूरत पड़े, तभी कर लें।