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Allahpathy:THE BLESSING MONEY BAG THAT WOULD HELP EVERYONE TO BE RICH IN THE MONTH OF RAMADAN

By Hazrat Hakeem Mohammad Tariq Mahmood Chughtai Dear Readers! I Bring to you precious pearls and do not hide anything, you shou...

Saturday, April 18, 2020

Survival Guidence: मैंने अपना घर कैसे बनाया?

कल रात बिजली कड़की, बादल बरसे और ओले पड़े।
रब का शुक्र है कि मेरे पास घर है और मैं अपने परिवार के साथ घर में था।
बहुत लोगों के पास घर नहीं है।
जिनके पास घर नहीं है,
उनकी पीड़ा वे नहीं समझ सकते, जिनके पास घर है।

लेकिन मैं उनकी तकलीफ़ को थोड़ा सा समझ सकता हूँ क्योंकि मैंने उस तकलीफ़ का एक हिस्सा झेला है।
पहले हमारा घर काफ़ी बड़ा था। वह पुराने स्टायल का मकान था। जिसमें बड़ा आँगन था और कड़ियों की छत थी। जिस पर हर साल मिटटी डालनी पड़ती थी और न डालो तो टपकने लगती थी। जब कभी बेमौसम बारिश होती थी तो छत टपकने लगती थी। हम दूसरे कमरे में जाकर रात काट लेते थे और अगले दिन छत ठीक कर लेते थे।
बंटवारे के बाद जगह कम हो गई।
एक रात बिना तैयारी के अचानक बारिश हो गई और छत टपकने लगी।
दूसरे कमरे में जाने का हक़ ख़त्म हो चुका था।
छत चार पाँच जगह से टपक रही थी। जो बिस्तरों पर गिर रहा था।
लेटने और सोने के लिए कोई जगह नहीं थी।
तब मेरा निकाह नहीं हुआ था।
वालिद मरहूम, वालिदा साहिबा, भाई, बहन और मैं; सब रात भर जागते रहे।
अपने वालिद और वालिदा को इस तरह तकलीफ़ में देखना मुझे बहुत दुख दे रहा था।
मैंने अपने जीवन में कष्ट भरी जो चार पाँच रातें काटी हैं,
उनमें यह दूसरी रात थी।

हम अपने घर के सामने बहुत अच्छी लोकेशन पर लगभग डेढ़ सौ गज़ का प्लाट ले चुके थे। हम उसे बनाने की तैयारी कर रहे थे।
मैं सेल्फ़ एम्प्लॉयमेंट से स्टूडेंट लाईफ़ में ही काफ़ी अच्छा कमाना शुरू कर चुका था।
अल्हमदुलिल्लाह!

तभी वालिद साहब ने मेरा निकाह कर दिया। मैंने निकाह और वलीमा इतना सादा किया कि घर के सब लोग मामा, चाचा, फूफा वग़ैरह और क़रीबी दोस्त भी न आ सके।
मेरे सामने तब यह सवाल था कि या तो शेख़ी दिखाने के लिए रूपया शादी की फ़ालतू रस्मों पर बर्बाद कर दिया जाए कि लोग क्या कहेंगे?
या फिर वह रूपया बचाकर नया घर बना लिया जाए,
जहाँ बारिश आए तो मैं अपने वालिद, वालिदा, भाई, बहन और बीवी को आराम से रख सकूँ। मेरी नज़र में ऐसा करना इबादत है।

मैंने अपने वालिद, वालिदा, भाई, बहन और बीवी को आराम देना पसंद किया और 'लोग क्या कहेंगे?' को दिल से निकाल दिया।
यह #peer_pressure होता है।

इसी #पीयर_प्रेशर में लोग सिगरेट और शराब पीने लगते हैं। इसी के कारण लोग बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड बन जाते हैं। दूसरों जैसे मॉडर्न दिखने के चक्कर में ही लड़कियाँ और लड़के लुट और मर भी जाते हैं।
एक बार आपको यह पता हो जाए कि यह #peer_pressure है,
और आपके सामने goal क्लियर हो कि करना या पाना क्या है और इरादा अटल या मिज़ाज में ज़िद हो तो फिर पीयर प्रेशर आपको क़ाबू न कर पाएगा।
दीनी ज़ुबान में #पीयर_प्रेशर को रस्मों की ग़ुलामी कहा जाता है।
जब हम 'ला इलाहा इल्लल्लाह' यानि
अल्लाह के सिवा कोई नियामक विधाता माबूद नहीं है, कहते हैं तो हम हर चीज़ की ग़ुलामी से रिहाई पाते हैं।
जो कि हमें सुखी होने रोक रही थी और दुख दे रही थी।

अल्लाह का शुक्र है कि उसने मुझे क़ुरआने पाक की शक्ल में अपनी नज़र दी और अपना नज़रिया दिया।
मैंने अपनी ज़िन्दगी में पढ़ाई और तजुर्बात से यह सीखा है कि हमारा सुख और हमारे पास सुख के साधनों का आना, सब कुछ हमारे नज़रिए पर डिपेंड है।
एक सही नज़रिया सबके लिए निकाह, मकान, भोजन, सम्मान, सेहत और सलामती का इंतेज़ाम कर सकता है
और
अगर नज़रिया ग़लत हो तो आदमी घर से बेघर हो सकता है और रोटियों के लाले पड़ सकते हैं। जैसा कि हम लोक डाऊन के पीरिएड में देख रहे हैं।

ये सब हालात अचानक आ जाते हैं, ऐसा लगता है लेकिन ऐसा नहीं है। हमारा अपना व्यक्तिगत नज़रिया क्या है और देश और दुनिया को जो लोग अपने पीछे लेकर चल रहे हैं, उनका नज़रिया क्या है? उससे वे हालात हमारी  ज़िन्दगी में आते हैं, जो हमें सुख और दुख देते हैं।
हम अपना व्यक्तिगत नज़रिया जब चाहें, तब बदल सकते हैं और इससे हालात में काफ़ी अच्छा बदलाव आ जाएगा।
मैं अब सुखी हूँ, रब का शुक्र है।

अपने निजी जीवन के हालात बताने से मेरा मक़सद यह है कि
अगर आप अपने जीवन में रूपए या सुख या किसी भी चीज़ के अभाव से गुज़र रहे हैं तो आप उस चीज़ या उस बात के बारे में अपना नज़रिया बदल कर और स्मार्ट वर्क करके वह चीज़ पा सकते हैं।

मैं हरेक ग़रीब को दौलत, हरेक बेघर को घर और हरेक को उसके दुश्मन से पनाह नहीं दे सकता लेकिन मैं हरेक को अल्लाह का नज़रिया, उसका पाक कलाम दे सकता हूँ; जो हरेक ग़रीब को दौलतमंद बनने, हरेक बेघर को घर बनाने और दुश्मन से डरे हुए हरेक आदमी को सलामती पाने की राह दिखाता है।
...और जिसे अल्लाह देता है तो वह नेमत कई नस्लों तक टिकती है और बढ़ती है, उससे वह नेमत कोई छीनने वाला नहीं है।
जो कोई छीनने की कोशिश करता है, वह ख़ुद ही मिट जाता है।

क़ुरआने पाक अल्लाह की सबसे बड़ी नेमत है,
जो उसने हमें दी है और जिसने इसे छीनना चाहा, वह मिट गया।
ऐसे बहुत से ज़ालिमों का नाम इतिहास में दर्ज है और नए नाम इसमें और बढ़ जाएंगे।
सलामती का नज़रिया आपको सलामत भी रखता है।
आपकी ज़िन्दगी के हालात आपके नज़रिए का साया भर हैं।

क़ुरआने करीम से मुझे तौहीद, रहमत, बरकत, सलामती, माफ़ी, मुहब्बत, मदद, सब्र, शुक्र और दान का नज़रिया मिला है।
जब ये गुण आत्मिक जगत (आलमे अम्र) से लौकिक जगत (आलमे ख़ल्क़) में मौक़ों, घटनाओं और साधनों के रूप में रेफ़्लेक्ट होते हैं तो आपको वे सब चीज़ें ख़ुद मिल जाती हैं, जो गुणों के रूप में आपका नज़रिया और आपका स्वभाव थीं।

परहेज़:
अपने दिल को डर, ग़म, शक, जल्दबाज़ी, मायूसी, नाराज़गी, ग़ुस्से, नफ़रत, जलन, नाजायज़ लालच, अवैध संबंध के रूझान और अपने साथ कुछ बुरा होने के वसवसों से पाक करते रहो।

नीयत:
जब क़ुरआने करीम पढ़ो तो उसकी रौशनी में अपनी ज़िन्दगी के मसलों का हल तलाश करो। नबियों ने उन मसलों को कैसे हल किया, यह देखो।
हर काम पहले ही किया जा चुका है।
आपको सिर्फ़ उसे तलाश करके रिपीट करना है।
मैंने जितने लोगों को यह बात बताई है और जिन्होंने इसे माना है,
उन सबने अपनी मुराद पाई है।
अल्हमदुलिल्लाह!

ट्रैज्डी:
आज आदमी बेघर होने से, दौलत की कमी, बेरोज़गारी, भुखमरी, बीमारी, ज़ालिम की दबंगई, मुक़द्दमेबाज़ी और निकाह न होने से परेशान हैं लेकिन इन बातों को उनका दुनियावी मसला मानकर मस्जिदों में उन्हें हल करना नहीं सिखाया जाता।
नतीजा यह होता है कि मस्जिदों में लोग कम आते हैं और जो आते हैं, उन्हें भी किसी सूरह का मतलब पता नहीं चलता कि रब ने किस सूरह में क्या कहा और उसके नाज़िल होने के बाद दुनिया में क्या हुआ!

ऐसे लोग बड़े दीनदार और अल्लाह के दरबार में मक़बूल समझ लिए जाते हैं जो दुखी बीमार ग़रीब डरे हुए अधमरे आदमियों का कोई मसला हल नहीं करते, उल्टे उन्हें अपने तब्लीग़ी मिशन में जोत लेते हैं और उनके दिल से दुनिया की मुहब्बत निकालने के बजाय उनके विज़न से दुनिया ही निकाल देते हैं।
रब की ख़ुशी:
आप जायज़ कमाई से अपना लिबास, गाड़ी, मकान और दुकान बनाएं। आप निकाह करें और अपने माँ, बाप, भाई, बहन और परिवार को सुख दें। यह इबादत है क्योंकि अल्लाह ने ऐसा करने के लिए कहा है और जब आप उसके बंदों को ख़ुशी देते हैं तो रब ख़ुश होता है। उसका आप पर फ़ौरन यह असर होता है कि आपको भी ख़ुशी मिलती है।

अपने परिवार के बाद आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और दूसरे अजनबी ज़रूरतमंदों की भी मदद करें। अपना दायरा बढ़ाएं। आपकी माली मदद से ज़्यादा लोगों को एक सही नज़रिए की ज़रूरत है, जो हर चीज़ दे सके, जो हर मसले का हल दे सके।
आप लोगों तक रब का नज़रिया, उसका कलाम पहुंचाएं।
इस पहुंचाने का नाम तब्लीग़ है।
लोग तब्लीग़ के नाम पर जाने क्या क्या करते रहते हैं और लोगों को दुख से रिहाई पाने और सुखी होने की तालीम नहीं देते।
शायद इसी वजह से दुनिया सुखी नहीं हो पाई।

Friday, April 17, 2020

Survival Guidence: भोजन देने वाले कुछ पेड़ पौधे ज़रूर लगाओ

भूखा ग़रीब-सरकार मैं भूखा हूँ। मुझे भोजन दो।
सरकार-भोजन पेड़ पर लगता है। हम पेड़ मुफ़्त देते हैं, लगाए कभी?
अब भूखा ग़रीब चुप है।

#Allahpathy कहती है कि अपने घर में और सरकारी ज़मीन पर भोजन देने वाले कुछ पेड़ पौधे ज़रूर लगाओ, चाहे आपको ज़रूरत न हो। जानवरों और परिन्दों को तो भोजन मिलेगा।
सहजन की फलियाँ Moringa oliefera
#वृक्षारोपण बहुत ज़रूरी है।
याद रखें कि आने वाला समय बाढ़ और भूकंप का समय है। इसलिए अपने भोजन का इंतेज़ाम ख़ुद करना सीखें।

Tuesday, April 7, 2020

Does Novel Corona Look Like Black Pepper? -Dr. Anwer Jamal

दोस्तो, नेचर हमसे इशारे की ज़ुबान में बात करती है।
मिसाल के तौर पर नेचर यह कहना चाहती है कि अख़रोट दिमाग के लिए फायदेमंद है या ब्राह्मी दिमाग को पावर देती है तो वह अखरोट और ब्राह्मी की शेप इंसानी दिमाग़ जैसे बना देती है। जिसे देखकर इंसान यह अंदाज़ा लगाता है कि यह चीज़ इंसानी दिमाग़ जैसी दिखती है तो यह ज़रूर इंसान के दिमाग़ को पावर देती होगी और जब वह उसे यूज़ करता है तो उसके दिमाग को सचमुच पावर मिलती है और तब इस बात की तस्दीकध हो जाती है कि हां, यह चीज सचमुच को फ़ायदा देती है। 
दोस्तो, जब मैं नोवेल कोरोनावायरस को देखता हूं तो वह मुझे काली मिर्च जैसा दिखाई देता है। मुझे ऐसा दिखाई देता है जैसे काली मिर्च के ऊपर छोटी छोटी सी लौंगें लगी हुई हों।
यह बात ध्यान में रखते हुए जब हम काली मिर्च और लौंग के फ़ायदे इंटरनेट पर पढ़ते हैं तो ये दोनों चीज़ें बुख़ार, खाँसी और साँस फूलना जैसे उन सब लक्षणों को दूर करती हैं जो नोवल कोरोनावायरस इंसान के शरीर में पैदा करता है। ये दोनों चीज़ें आपकी इम्यूनिटी भी बढ़ाती हैं। जिसकी आज हर इंसान को ज़रूरत है।
1) लौंग में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम, विटामिन ई और विटामिन के पाया जाता है। इसमें सूजन दूर करने वाले और बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने वाले तत्व भी होते हैं। लौंग में ऐसे गुण भी होते हैं जो बुख़ार कम कर देते हैं और इम्यूनिटी स्तर बढ़ा देते हैं।
2)  पाचन क्रिया आसान
दोपहर या और रात को खाना खाने से पहले एक कप लौंग की चाय पियें। ऐसा करने से आपका रक्त संचरण और सलाइवा बनना बढ़ जाएगा, जिससे कि खाना आसानी से पच जाएगा। इसके अलावा, लौंग से एसिडिटी की समस्या भी दूर हो जाती हैं और पेट दर्द कम हो जाता है।
3)  आंतों के परजीवी नष्ट होते हैं
लौंग की चाय का इस्तेमाल पुराने ज़माने से आंतों के कीड़े यानी परजीवी मारने के के लिए किया जाता है। लौंग में मौजूद एंटी-इनफ्लेमेटरी तत्व आंतों के परजीवी साफ कर देते हैं, जिससे कि पेट में दर्द और अन्य समस्याओं से राहत मिलती है।
4) मलेरिया में कालीमिर्च के सेवन से बहुत लाभ होता है। दांतों के दर्द को यह पलक झपकते ही ठीक कर देती है। आँखों की रोशनी के लिए भी यह बहुत गुणकारी होती है। शरीर के किसी भाग में सूजन होने पर काली मिर्च को पीसकर लेप करने से सूजन जल्दी ही ठीक हो जाती है।
5) मजबूत इम्यून सिस्टम
इंफेक्शन व बैक्टीरियल बीमारियों से बचने के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है। गर्म पानी के साथ 1/4 चम्मच काली मिर्च पाउडर दिन में 2 बार लेने से इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है।

6) खांसी से छुटकारा

अगर आपको बहुत ज्यादा खांसी हो रही हैं तो 2 काली मिर्च, मुलेठी का टुकड़ा और मिश्री मिलाकर खाली पेट या भोजन के बाद चूसें। इससे आपको खांसी से आराम मिलेगा।
7) तनाव को रखे दूर
काली मिर्च एक प्राकृतिक एंटी-डिप्रेशन है। अगर आप तनाव या अवसाद से ग्रस्‍त हैं तो नियिमत काली मिर्च का सेवन करें। इससे तनाव दूर होगा।
इससे यह बात साफ़ हो जाती है कि अगर आप काली मिर्च और लौंग की चाय या काढ़ा पीते हैं तो आपको ज़रूर फ़ायदा होगा।

काली मिर्च और लौंग की चाय बनाने का फ़ायदा
पाँच लौंग और सात काली मिर्च को थोड़ा सा कूटकर एक कप पानी में 10-20 मिनट के लिए भिगोकर छोड़ दें और फिर उसे हल्की आंच पर पकाएं। जब आधा कप पानी रह जाए तो इसे छानकर इसमें चार-छ: बूंद नींबू का रस और एक दो चम्मच असली शहद मिलाकर गर्म गर्म पिए। यह चाय इतनी गर्म पिएं, जिससे आपका मुंह न जले लेकिन आपके गले को और सीने को गर्मी मिले।

ज़्यादा फ़ायदे के लिए
आप इसमें तुलसी के पाँच पत्ते, आधा ग्राम अजवाइन और गिलोय 5-10 ग्राम भी मिलाकर पका सकते हैं। ये सब चीज़ें भी बुख़ार दूर करती हैं और शरीर में जीवनी शक्ति बढ़ाती हैं।
आप एक हरी इलायची डालेंगे तो ख़ुश्बू अच्छी आएगी और यह डिप्रेशन कम करेगी।
आप इसे शहद से मीठा न करें तो आप इसके साथ खजूर खाएं। इससे आपके अंदर नया और ताक़तवर ख़ून बनेगा। आपको विटामिन सी और ग्लूकोस ज़्यादा मिलेगा।
मधुमेह रोगियों को खजूर की उच्च फाइबर सामग्री से भी लाभ हो सकता है।  मधुमेह रोगी भी दिन में 2-3 खजूर खा सकते हैं। 

आप इस चाय को खाने से पहले और खाने के आधे घंटे बाद, जब चाहें पी सकते हैं।
जो लोग शहद न मिलाना चाहें, वे चीनी या मिश्री मिला सकते हैं। डायबिटीज़ के मरीज़ इसे बिना मीठा मिलाए पी सकते हैं।

स्पेशल नोट: आप उन सब हिदायतों पर ज़रूर अमल करें। जिन्हें भारत सरकार बार बार आपकी सुरक्षा के लिए बता रही है। आप घर में रहें और जब किसी ज़रूरत से परमिशन के साथ बाहर निकलना हो तो आप सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें और हाथों को ज़रूरत के मुताबिक़ सैनिटाईज़ करते रहें।

Sunday, April 5, 2020

Allahpathy: Survive Skills

जो मज़ा सादगी में है, वह आडंबर में नहीं।
आमतौर से जो लोग शिक्षा और रोज़गार पा गए,
उन्होंनेे समाज में इतना आडंबर फैलाया कि सादा जीवन जीने वाला उनकी नज़र में बेकार दिखने लगा।

रब ने पेट पालना बहुत आसान बनाया है।
बस आपमें सादगी हो  और आपकी तैयारी परफ़ेक्ट हो।
लोक डाऊन के बाद जब लोग डाऊन होंगे तो उनमें झूठी शान का दिखावा करने वाले बेरोज़गारी और भुखमरी का शिकार हो जाएंगे लेकिन आप नबियों का तरीक़ा अपना कर ख़ुद को भुखमरी से बचा सकते हैं।
हम पहले भी कई बार यह लिख चुके हैं कि
हर आदमी अपने खाने लायक़ सब्ज़ी और माँस व अंडों का उत्पादन अपने घर पर ख़ुद कर सकता है। इसका तरीक़ा #vertical_gardening है।

एक दो पेड़ घर में ऐसे बो लो,
जिसके पत्ते और फल खाए जा सकें, जैसे कि सहजन, गूलर और अंजीर।
आप घर की छत पर और दीवारों पर गमलों में लौकी, टमाटर उगा लो।
आप घर में बकरी मुर्ग़ी पाल लो।
एक बोरी चना गुड़ रख लो ताकि सरकार आपकी सुरक्षा के लिए आपको गांव घर में बंद रखे तो आपके बच्चों के पेट में कुछ जाता रहे।

मैंने प्राचीन भारतीय और अरब संस्कृति की स्टडी की तो उसमें लोगों को यही सब काम करके मज़े से परिवार पालते देखा।
हम रब के शुक्रगुज़ार हैं कि उसने हमें आडंबर से दूर किया।  हमें नेचर के क़रीब कर दिया।

Saturday, April 4, 2020

तंग नज़रिया एक मानसिक रोग है। आप इससे मुक्त हो सकते हैं अगर आप कर लें यह काम

तंग नज़रिया एक मानसिक रोग है।
यह रोग कोविड19 से ज़्यादा घातक है और उससे ज़्यादा फैला हुआ है।

अमर उजाला दैनिक अंक 3 अप्रैल 2020 में लिखा है कि
'कोरोना से जंग: भारत को 1 अरब डॉलर की आपातकालीन मदद देगा विश्व बैंक'
इससे दो बातें पता चलीं:
1. नोवेल कोरोना से उपजे संकट में पूरी धरती के 7 अरब 80 करोड़ लोग हमारी मदद कर रहे हैं।
2. हमने अंग्रेज़ों को भगाया लेकिन फिर भी वे बदले की कार्रवाई न करके संकट में हमारी मदद कर रहे हैं।
माँ भारती की मदद कर रही है माँ धरती। धरती के सारे वासी हमारे साथ हैं।
दीप जलाने और शुक्रिया कहने और सबको साथ महसूस करने के वक़्त
इस 'सत्य' से आँख मूंद लेना केवल अंधापन और नाशुक्री है।
ऐसे लोगों का कल्याण नहीं होता।

सच यह है कि सारी दुनिया की सारी मानवता हमारे साथ है। हमें पीपीई, मशीनें और दवाएं विदेशों से मिल रही हैं।

हम सबके शुक्रगुज़ार हैं क्योंकि हमारा नज़रिया विराट है।
आईये संकीर्ण से विराट की ओर
आईये रोग से आरोग्य की ओर

अभी हैल्दी हो जाएं,
इसके लिए कोई समय निश्चित है तो केवल 'अब का पल!'

Friday, April 3, 2020

तनाव का मानसिक इलाज है ख़ुश होना। सीखें खुश होने और ख़ुश रहने की यह असरदार तकनीक। DR. ANWER JAMAL

मीर मुश्ताक़- सर....आपके विचार जानकर मुझे नई ऊर्जा मिली है।
ऐसी स्थिति में‌ मैं थोड़ा तनावग्रस्त सा हो जाता हूं। मुझे कुछ टिप्स दें ताकि मैं अपने आपको संतुलित रख सकूं।
जवाब- हदीसे पाक में तालीमे नबवी है:
मूतू क़ब्ला अन् तमूतू
यानी मर जाओ इससे पहले कि मौत आए।
इस तालीम में बहुत गहराईयाँ हैं और जिसकी अक़्ल जितनी गहरी है। वह इस हदीस को उतनी ही गहराई से समझेगा।
एक आम आलिम भी इस हदीस से इतना ज़रूर समझ लेगा कि जब कोई गुनाह करने का वक़्त आए तो आप मरे हुए बन जाएं यानि उसे न करें।
या ऐसा ही कुछ दूसरा मफ़्हूम जिससे इंसान गुनाह और ज़ुल्म से बच जाए।
सायकोलॉजी का इल्म रखने वाले इसे और गहराई से समझ सकते हैं कि जब इंसान ख़ुद को मरा हुआ मान लेता है तो वह कितना पीसफ़ुल हो जाता है।
अगर आप इतना भी कर लें कि जब आप ज़्यादा तनाव में आ जाएं तो थोड़ी देर के लिए दुनिया से मर जाएं और जन्नत में चले जाएं तो भी आपका तनाव दूर हो जाएगा।
ज़िक्र की मज्लिसें जन्नत के बाग़ हैं। मस्जिद जन्नत का बाग़ है।
आप वहाँ जाकर दो रकअत नमाज़ तहय्यतुल मस्जिद अदा करें और फिर चाहे कुछ ज़िक्र करें या न करें लेकिन एतिकाफ़ की नीयत से थोड़ी देर वहाँ बैठ जाएं और कोई टोकने वाला न हो तो लेट जाएं और कुछ देर तक हिलें डुलें नहीं।
अब इस बात पर ध्यान दें कि आप मर चुके हैं और आपके बिना दुनिया लगातार चल रही है। दुनिया पर आपकी मौत से कुछ अंतर नहीं पड़ा। सो दुनिया में जो चल रहा है, आप भी अपने दिल में उसका असर इतना न लें कि डिप्रेशन के मरीज़ बन जाएं।
आप चाहें तो आप इस दिव्य ज्ञान से भी काम चला सकते हैं और जब आप उठकर दुनिया में आएं तो यह ज़रूर याद रखें कि आप मर चुके थे और अब यह एक नई ज़िंदगी है। इसे पहले से बेहतर जिएं, ज़्यादा शुक्रगुज़ार बनें। जिन्हें गले नहीं लगाया, उन्हें गले लगाएं। जिन्हें तोहफ़ा देना चाहिए और नहीं दिया, आप उन्हें तोहफ़ा दें। इससे आपको ख़ुशी मिलेगी और आप पर कभी तनाव हावी न होगा। रोज़ अपने प्यारों को गले लगाएं।
🌹😊🌹 
इसी शुऊरे मौत को और ज़्यादा मुफ़ीद बनाना भी मुमकिन है।
आप मान चुके हैं कि आप मरे हुए हैं और आपको आपके रब ने केवल इसलिए बख़्श दिया है कि आप तौहीद को मानते थे, शिर्क से बचते थे, दो बहनों या बेटियों को आपने अच्छी तालीम दी है। अपने माँ बाप को राज़ी रखा है और यह कि आपको अपने रब से यह गुमान था कि आप चाहे जैसे हैं लेकिन आपका रब अच्छा है और वह आपको ज़रूर माफ़ करेगा और जन्नत में दाख़िल करेगा जहाँ आप अपनी पसंद के काम करेंगे।
अल्हम्दुलिल्लाह, ऐसा ही हुआ और आपको आपके रब ने जन्नत में, बाग़ में दाख़िल कर दिया है।
अब आप वहाँ अपनी पसंद के काम करें। जो भी आपको अच्छा लगे, आप वह काम करें।
जब इंसान अपनी पसंद का काम करता है, तो उसे ख़ुशी मिलती है। वह ख़ुशी हर तनाव को मिटा देती है। ख़ुशी सरासर एक ज़हनी चीज़ है और यह इंसान के ज़हन में हमेशा रहती है, जिसे इंसान रिकग्नाईज़ नहीं करता। तनाव एक बीमारी है तो ख़ुशी उसकी दवा है‌। तनाव आपके अंदर है और उसकी दवा भी अपके अंदर ही है।
यह एक इंपोर्टेंट बात है। आप इसे समझ लेंगे तो आप अपना इलाज ख़ुद कर पाएंगे, इन् शा अल्लाह!
मौत आने से पहले मरकर शांति पाने के ये दो मानसिक प्रयोग हम बता चुके हैं। इसके और गहरे प्रयोग भी हैं। जिनसे आप अपने जीवन को सही दिशा दे सकते हैं। आप जानना चाहेंगे और हमारे पास वक़्त हुआ तो  हम उन्हें भी बयान कर देंगे,
इन् शा अल्लाह!