1. जो कुछ आपके पास है, उस पर रब का शुक्र करो।
2. जो नहीं है, और उसे पाना चाहते हो, उसकी नीयत करो।
3. आप जिस चीज़ को पाने की नीयत करते हैं, आप उसे अपनी ज़िन्दगी में आने की दावत देते हैं। कुन (यानि हो जा) का राज़ इंसान के इरादे में पोशीदा है। इसे समझें। जब आप किसी काम का इरादा (नीयत) करते हैं तो वे असबाब (साधन) आपकी तरफ़ खिंचकर आने लगते हैं, जिनसे उस काम को वुजूद में आना है। नीयत के बाद आपको उस काम के मौक़े, साधन और लोग नज़र आने लगते हैं।
4. अपनी मनपसंद चीज़ पाने के लिए मुनासिब असबाब तलाश करो, उनसे काम लो। शुरू में नाकामी मिलेगी। उन नाकामियों से सबक़ लो। अपने तरीक़े में सुधार करो और फिर कोशिश करो। बार बार पूरी लगन से कोशिश करो और डटे रहो। सब्र करो। कामयाबी पा चुके लोगों से सलाह और गाईडेंस लो।
5. हमेशा अपनी पसंद की चीज़ को अपनी कल्पना में अपने पास देखो या जो बनना चाहते हो, ख़ुद को उसी रूप में देखो और फ़ील करो। ऐसा करते हुए लगातार कोशिश करो। आपको ज़रूर कामयाबी मिलेगी।
कामयाबी ऐसे ही मिलती है।
नाकाम लोग की आदत
जो लोग शुक्र, सब्र, नीयत और सुधार नहीं करते, जो लोग अपनी नाकामियों से सबक़ नहीं लेते और हिम्मत हार जाते हैं, उन्हें कामयाबी नहीं मिलती।
कई बार ऐसा भी होता है कि अपनी फ़िज़िकल बाडी से कुछ नहीं करना पड़ता और चीज़ ख़ुद ब ख़ुद मिल जाती है या काम ख़ुद बन जाता है। मेरे साथ ज़िन्दगी में दोनों तरह हुआ है और होता है।
काम न होने की वजह
जब रह सब करके भी काम न बने तो समझ लीजिए कि कोई संकीर्ण और सीमित विश्वास (limiting belief) दिल में बहुत गहराई तक जमा हुआ है, जो आपकी कोशिशों पर असर डाल रहा है।
दिल को लिमिटिंग बिलीफ़ से पाक करें और फिर ऊपर बताए गये तरीक़े से कोशिश करें। अब आपको कामयाबी ज़रूर मिलेगी।
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