दोस्तो! मैंने नास्तिक लोगों को समझाने के लिए एक तब्लीग़ी (उपदेशात्मक) कहानी लिखी है। यह आपके दावती काम में फायदेमंद रहेगी। जहां भी नास्तिक लोग अल्लाह ईश्वर के वुजूद का इन्कार कर रहे हों, आप वहां इसे कॉपी पेस्ट कर दें।
मैं पोस्ट लेखकों और पाठक दोस्तों को इस कथा के माध्यम से एक सच्चाई बताना चाहता हूं।
विजय किसी धर्म को नहीं मानता था लेकिन वह धार्मिक माता पिता की संगत के कारण अपराध करने से डरता था। वह महत्वाकांक्षी था और जवानी में ही बहुत जल्दी कोठी, कार, बैंक बैलेंस और सुंदर स्त्रियों का सुख पा लेना चाहता था। उसे एक डॉक्टर ने ऑफ़र किया था कि अगर वह मानव अंगों की तस्करी का काम शुरू कर दे तो उसे काफ़ी पैसा मिल सकता है लेकिन उसके दिल में अनिश्चितता थी।
एक दिन वह इसी असमंजस की स्थिति में अपने घर में बैठा हुआ था कि उसका एक नास्तिक मित्र मतिहर उससे मिलने आया।
उस मित्र को अपनी ही धुन सवार रहती थी। वह हर समय 'ईश्वर नहीं है', यह सिद्ध करने को आतुर रहता था।
विजय ने उसके लिए कॉफी बनानी शुरू की। इस दौरान बात घूम कर किसी तरह भले बुरे और ईश्वर के अस्तित्व पर आ गई।
मतिहर ने सिद्ध कर दिया कि ईश्वर नहीं होता। पाखण्डी मक्कार लोगों ने जनता को बेवकूफ़ बनाने के लिए ईश्वर की कल्पना कर ली है और वे ईश्वर के नाम से डरा कर माल समेटते रहते हैं। अत: ईश्वर से डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ईश्वर नहीं है।
यह बात विजय को जंच गई और वह खुद चाहता था कि उसके मन की दुविधा ख़त्म हो तो उसने भी बिना तर्क किए मतिहर की बात मान ली। उसका असमंजस दूर हो गया। उसने डॉक्टर के ऑफर को एक्सेप्ट कर लिया।
मतिहर की बात सुनते सुनते विजय ने उसकी कॉफ़ी में नज़र बचाकर नींद की गोलियां मिला दीं।
जब मतिहर की आंख खुली तो उहने खुद को एक तहख़ाने में पाया। जहां कुछ डॉक्टर उसके गुर्दों, फेफड़ों, दिल और बोन मैरो की जांच कर रहे थे। सभी डॉक्टरों ने उसके सभी अंग हेल्दी और फिट पाए। वे सब ख़ुश थे।
मतिहर के पूछने पर डॉक्टरों ने उसे पूरी सच्चाई बता दी कि वे उसके अंग निकाल कर अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेच देंगे। मतिहर यह सुनकर चकरा गया।
अब मतिहर रो रो कर उन डॉक्टरों को ईश्वर अल्लाह का वास्ता दे रहा है और बार-बार ख़ुद पर रहम करने की अपील कर रहा है। सभी डॉक्टर ठहाका लगाकर हंस रहे हैं कि ईश्वर तो होता ही नहीं है फिर भला हम क्यों रहम करें। धूर्त लोगों ने ईश्वर के होने की कल्पना कर ली है इसे केवल जाहिल पब्लिक मान सकती है, हम जैसे पढ़े-लिखे लोग नहीं।
होमवर्क:
1. मतिहर ईश्वर अल्लाह के नाम पर रहम की भीख क्यों मांगने लगा?
2. क्या नास्तिक लोगों की सुरक्षा से खेल रहे हैं?
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