प्रश्नः अनवर साहब, आज जो विश्व में हो रहा है, उसका उपसंहार क्या होगा? आप एक क़ाबिल इंसान हैं, आप कल को कैसा पाते हैं?
हमारे ब्लाॅग के एक क़ाबिल पाठक भाई दशरथ दुबे जी ने यह सवाल हमसे पिछली ब्लाॅग पोस्ट पर किया है।
इसके जवाब में यह पोस्ट हाजि़र है।
उत्तरः जो कुछ विश्व में कल हुआ था, उससे आज के हालात बने और ये बहुत अच्छे हालात हैं, इनमें कुछ हालतें जीवन के खि़लाफ़ हैं लेकिन यही हालतें वास्तव मे जीवन को सपोर्ट करती हैं जैसे कि रात का अंधेरा दिन के उजाले के ठीक उलट दिखता है लेकिन रात का अंधेरा हमारे जीवन के लिए उतना ही ज़रूरी है, जितना कि दिन का उजाला।
तनाव, दंगे और जंगें, जो आज दुनिया में दिखाई दे रही हैं, ये सब शांति की शदीद ज़रूरत का एहसास करवा रही हैं।
यहां ‘डिमांड एंड सप्लाई’ का नियम काम कर रहा है। शांति की मांग का मतलब है कि शांति की सप्लाई यक़ीनी है। यह प्रकृति का नियम है। यह हर हाल में हो कर रहने वाली बात है।
आप देखेंगे कि आज विश्व में पहले से कहीं ज़्यादा संस्थाएं विश्व शांति के लिए काम कर रही हैं।
उन सबकी नीयत और मेहनत हमें यक़ीन दिलाती है कि हमारा कल सुरक्षित है और वह सुनहरा भी है।
हक़ीक़त यह है कि हमें दुनिया ठीक नज़र आएगी, अगर हम उसे ठीक नज़रिए से देखना चाहें।
दुनिया की घटनाओं से हमारा विश्वास हरगिज़ प्रभावित न होना चाहिए बल्कि हमें उससे उसकी ज़रूरत को समझकर उसके साॅल्यूशन तक पहुंचना चाहिए और फिर पूरे विश्वास के साथ उस साॅल्यूशन को दुनिया में वुजूद में लाने की कोशिश करनी चाहिए।
हमारी आज की नीयतें और अमल ही हमारे कल को तय करती हैं।
...और हरेक व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि उसने कल के लिए क्या भेजा है?
पवित्र क़ुरआन 59:18
इस पोस्टत पर कॉमेंट:
यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि आपके हर तरफ शान्ति है.
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लोग यह हक़ीक़त, यह सत्य भूल जाते हैं, जब वे मीडिया द्वारा प्रायोजित खबरें देखते और पढ़ते हैं.
उनसे एक भ्रम उत्पन्न होता है, जो नज़र पर पर्दा डाल देता है.
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शान्ति आज का सत्य है और आज ही कल का नतीजा बनकर आयेगा तो कल भी शान्ति ही है.
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हरेक घर में मां अपने लाडलों को चूम रही है.
इस दिव्य प्रेम से इतनी ऊर्जा पैदा हो रही है, जो हरेक जंग और तनाव की नकारात्मकता को ऐसे मिटा देगा जैसे उडती धूल पर बारिश पड़ती है तो वह ज़मीन पर वापस आ जाती है.
From where you grab these knowledge.
Thanks.
आम तौर से लोग लॉजिक पर जीते हैं और अंदर से जो प्रेरणा आती है, उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं.
इंसान को चाहिए कि वह अपने आप को ठीक से जाने और फिर अपनी तमाम काबिलियत का पूरा इस्तेमाल करे.
प्रेम में जीने को अपना स्वभाव बना लेने से आत्मा के रहस्य खुद ही खुलते चले जाते हैं.
फिर भौतिक वस्तुएं भी खुद ही खिंची चली आती हैं, जिनके लिए दूसरे खून बहा रहे होते हैं या बेईमानी कर रहे होते हैं.
विश्वास (ईमान) से आपको वह सब मिलता है जो आपको अपने वुजूद के क़ायम रखने और तरक़्क़ी करने के लिए ज़रूरी है.
यह नेचर का लॉ है.
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कॉमेंट के लिए आपका शुक्रिया.
यक़ीनन आपका कल सुनहरा है