सभी को यह अद्भुत लेख मुहब्बत और ख़ुलूस के साथ गिफ़्ट है।आप इसे शेयर भी कर सकते हैं और अपनी राय भी दे सकते हैं।
आपके लिए अमीर बनना ज़रूरी है। अमीर बनने से मुराद है कि आपके पास कम से कम इतना माल ज़रूर हो कि आप ज़कात, फि़तरह और सदक़ा दे सकें और ज़रूरतमन्दों की मदद कर सकें। आपको हज करना है तो भी आपको माल की ज़रूरत है। सहाबा ने माल कमाया है तो आप भी कमा सकते हैं।
अगर आप अमीर नहीं बनेंगे तो आप दूसरों की तो क्या ख़ुद अपनी भी मदद नहीं कर सकेंगे। ग़ुरबत की वजह से ग़रीबों को अपना ख़ून, गुर्दे बल्कि अपनी औलाद तक को बेचते हुए देखा जा सकता है।
माल कमाने के लिए आपको अमल ज़रूर करना पड़ेगा।
अमल के दो हिस्से हैं, एक ज़ाहिरी और दूसरे बातिनी यानि मेन्टल वर्क।
मेन्टल वर्क में विज़न, प्लानिंग, नीयत, तवक्कुल, यक़ीन व दुआ सब आता है। यही मेन्टल वर्क ज़ाहिरी यानि विजि़बल वर्क को कन्ट्रोल करता है। लिहाज़ा इसे बहुत उम्दा तरीक़े से किया जाना ज़रूरी है।
जो इसमें फ़ेल हो जाते हैं या इसे रफ़ली और सरसरी तौर पर अंजाम देते हैं, वे जि़न्दगी भर रोज़ी के मामले में और दूसरे मामलों में भी परेशान ही रहते हैं।
सो नाकामी और मायूसी से बचने के लिए विजि़बल एक्ट से पहले इनविजि़बल एक्ट पर ख़ूब अच्छी तरह मेहनत करें।
1. सबसे पहले अपने मन को शान्त कर लीजिए। ग़ुस्सा हरगिज़ न करें। कोई कुछ भी कहे लेकिन आप शान्ति से भरी प्रतिक्रिया ही दें। हुज़ूर स. ने फ़रमाया -‘ला तग़्ज़ब‘ यानि ग़ुस्सा न कर।
2. किसी को कोई नेमत मिले तो उस पर हसद (ईर्ष्या) न करें बल्कि उस पर शुक्र अदा करें। वह भी आदम की औलाद है और आपका ही भाई-बहन है, चाहे वह हिन्दू हो या ईसाई या मुस्लिम या कोई और। जिसका भी भला हो रहा है, हमारे ही भाई बहन का भला हो रहा है। यह सोच रखें।
3. अल्लाह दिन रात हम पर बेहिसाब रौशनी, धूप और हवा के बेहिसाब ख़ज़ाने लुटा रहा है। पानी, दूध और अनाज और फल-सब्ज़ी बेहिसाब दे रहा है। आज से नहीं बल्कि उस ज़माने से दे रहा है जिस ज़माने तक ख़याल का जाना भी मुश्किल है। सिर्फ़ हमें ही नहीं जानवर, परिन्दों और कीड़ों तक को दे रहा है। सूरज, ग्रहों और आकाशगंगाओं तक को पाल रहा है। जिसे जो चाहिए, उसे वह दे रहा है। उसे हरेक की ज़रूरत का पता है। वही अल्लाह हमारा रब है। इस को चारों तरफ़ फैली हुई कायनात में ख़ूब अच्छी तरह देखें यहां तक कि अल्लाह के ख़ज़ाने बरसते हुए आप अच्छी तरह देख लें और आपको यह यक़ीन हो जाए कि अल्लाह बेहिसाब देता है।
4. सोते वक्त हज़रत मरयम अलैहिस्सलाम का क़ौल कहते हुए सोएं और यही कहते हुए उठें- ‘इन्नल्लाहा यरज़ुक़ु मन्य-यशाउ बिग़ैरि हिसाब’
5. अब आप यह इरादा करे, तय करें कि आपको क्या और कितना चाहिए?इसकी एक साफ़ तस्वीर अपने दिमाग़ में बसा लें और दिल में यक़ीन करें कि यह चीज़ आपको अल्लाह ने दे दी है।
6. आप उसे अपने पास तसव्वुर करें और उसे इस्तेमाल करते हुए महसूस करें। यह अहसास जितना ज़्यादा गहरा होगा, उतनी जल्दी आपको दौलत मिलेगी या जो चीज़ भी आप पाना चाहें।
7. अब आप उस पर अल्लाह का शुक्र अदा करें।
8. जो काम आप कर रहे हैं। वही काम करते हुए आप उसे विस्तार देने की कोशिश करें।
9. अल्लाह पर भरोसा करें। यक़ीन रखें कि मन की मुराद आपको मिल जाएगी।
10. आखि़री बात इसमें सबसे अहम है। आपको हर वक्त अल्लाह की मुहब्बत से भरे रहना है। आपको हर वक्त इंसान की भलाई के लिए काम करते रहना है या फिर उसके लिए दिल में यह सोचते रहना है कि इंसान का ज़्यादा से ज़्यादा भला कैसे किया जाए? इंसान का मतलब है सिर्फ़ इंसान, उसका धर्म और जाति कुछ भी हो।
11. 10वे पॉइन्ट को पकका करने के लिए हक़दार को ज़कात दें, सदक़ा दें, बीवी का महर अब तक अदा न किया हो तो वह दें। मां को कपड़े और फल लाकर दें। बहनों को ताहफें दें।
12. ...और रोज़ाना रात को सोने से पहले अपने दुश्मनों को माफ़ कर दें। आपका दिल फूल की तरह हल्का हो जाएगा। अपने दुश्मनों की हिदायत के लिए दुआ कीजिए।
13. अल्लाह से सारे इंसानों की सीधे रास्ते पर चलने की दुआ कीजिए और ईमान वाले बंदों की मग़फ़िरत की दुआ कीजिए।
14. दुआ आपको रब से जोड़ देती है।
15. दिल पर जब भी दुनियावी लालच, डर या किसी पुराने हादसे का ग़म छाने लगे तभी सुब्हान अल्लाह पढ़कर अल्लाह की उन नेमतों पर नज़र डालिए जो आपको आज मयस्सर हैं और फिर अपना ध्यान उस चीज़ पर जमा दीजिए जो कि आपको चाहिए, जैसे कि एक बड़ा सा मकान।
16. अपनी चाहत पर इतना ज़्यादा ध्यान जमाईये कि वह आपके शुऊर (चेतना) का हिस्सा बन जाए।
17. अगर आप अपने शुऊर की गहराई में ख़ुद को अमीर महसूस करने लगेंगे तो आप अमीर बन जाएंगे।
18. कभी भी ग़रीबी और महंगाई की बातें न करें। ये बातें ग़रीब लोग करते हैं। आप जैसी बातें करेंगे, आप वही बन जाएंगे। आपको अमीर बनना है तो उन बातों से बचिए जो बातें ग़रीब लोगों की रोज़मर्रा की सोच है। ग़रीबी का कारण ग़रीब होने की मानसिकता है।
19. अमीर आदमियों का फ़र्ज़ है कि वे ग़रीबों को अपने पास बैठाएं और उन्हें उस मानसिकता से निकालने की कोशिश करें जो कि उनके अन्दर जड़ पकड़ चुकी है।
20. मस्जिदों में जाकर ग़रीब आदमी ख़ुद भी अपने आप को तंग ज़हनियत से आज़ाद कर सकता है। मस्जिद की आलीशान इमारत और वहां की हरेक सहूलत उसे कुछ देर के लिए उसकी ग़ुरबत के अहसास से आज़ाद कर देती है। अगर वह जागरूकता के साथ अपनी तंग सोच को रूख़सत कर दे तो वह आसानी से अमीर बन सकता है।
21. जो मिडिल क्लास लोग हैं वे भी अपनी दौलत का लेवल बढ़ा सकते हैं क्योंकि जो अमीर हैं वे ऐसे ही अपने दौलत के लेवल को बढ़ाते हैं। इसमें बुनियादी बात यह है कि आप अपने दिल की गहराई में क्या पाते हैं? आप अपने दिल में खुद को जो पाते हैं, आप वही हैं। असल चीज़ अन्दर की चीज़ है। बाहर के हालात उसके ताबे (अधीन) हैं।
22. अब आपके सामने असबाब यानि अपाॅरच्यूनिटीज़ ज़ाहिर होंगी। आप हिकमत और दानिशमन्दी के साथ फ़ैसला लें और ज़ाहिरी अमल करें।
इन शा अल्लाह आप अमीर हो जाएंगे।
आपके लिए अमीर बनना ज़रूरी है। अमीर बनने से मुराद है कि आपके पास कम से कम इतना माल ज़रूर हो कि आप ज़कात, फि़तरह और सदक़ा दे सकें और ज़रूरतमन्दों की मदद कर सकें। आपको हज करना है तो भी आपको माल की ज़रूरत है। सहाबा ने माल कमाया है तो आप भी कमा सकते हैं।
अगर आप अमीर नहीं बनेंगे तो आप दूसरों की तो क्या ख़ुद अपनी भी मदद नहीं कर सकेंगे। ग़ुरबत की वजह से ग़रीबों को अपना ख़ून, गुर्दे बल्कि अपनी औलाद तक को बेचते हुए देखा जा सकता है।
माल कमाने के लिए आपको अमल ज़रूर करना पड़ेगा।
अमल के दो हिस्से हैं, एक ज़ाहिरी और दूसरे बातिनी यानि मेन्टल वर्क।
मेन्टल वर्क में विज़न, प्लानिंग, नीयत, तवक्कुल, यक़ीन व दुआ सब आता है। यही मेन्टल वर्क ज़ाहिरी यानि विजि़बल वर्क को कन्ट्रोल करता है। लिहाज़ा इसे बहुत उम्दा तरीक़े से किया जाना ज़रूरी है।
जो इसमें फ़ेल हो जाते हैं या इसे रफ़ली और सरसरी तौर पर अंजाम देते हैं, वे जि़न्दगी भर रोज़ी के मामले में और दूसरे मामलों में भी परेशान ही रहते हैं।
सो नाकामी और मायूसी से बचने के लिए विजि़बल एक्ट से पहले इनविजि़बल एक्ट पर ख़ूब अच्छी तरह मेहनत करें।
1. सबसे पहले अपने मन को शान्त कर लीजिए। ग़ुस्सा हरगिज़ न करें। कोई कुछ भी कहे लेकिन आप शान्ति से भरी प्रतिक्रिया ही दें। हुज़ूर स. ने फ़रमाया -‘ला तग़्ज़ब‘ यानि ग़ुस्सा न कर।
2. किसी को कोई नेमत मिले तो उस पर हसद (ईर्ष्या) न करें बल्कि उस पर शुक्र अदा करें। वह भी आदम की औलाद है और आपका ही भाई-बहन है, चाहे वह हिन्दू हो या ईसाई या मुस्लिम या कोई और। जिसका भी भला हो रहा है, हमारे ही भाई बहन का भला हो रहा है। यह सोच रखें।
3. अल्लाह दिन रात हम पर बेहिसाब रौशनी, धूप और हवा के बेहिसाब ख़ज़ाने लुटा रहा है। पानी, दूध और अनाज और फल-सब्ज़ी बेहिसाब दे रहा है। आज से नहीं बल्कि उस ज़माने से दे रहा है जिस ज़माने तक ख़याल का जाना भी मुश्किल है। सिर्फ़ हमें ही नहीं जानवर, परिन्दों और कीड़ों तक को दे रहा है। सूरज, ग्रहों और आकाशगंगाओं तक को पाल रहा है। जिसे जो चाहिए, उसे वह दे रहा है। उसे हरेक की ज़रूरत का पता है। वही अल्लाह हमारा रब है। इस को चारों तरफ़ फैली हुई कायनात में ख़ूब अच्छी तरह देखें यहां तक कि अल्लाह के ख़ज़ाने बरसते हुए आप अच्छी तरह देख लें और आपको यह यक़ीन हो जाए कि अल्लाह बेहिसाब देता है।
4. सोते वक्त हज़रत मरयम अलैहिस्सलाम का क़ौल कहते हुए सोएं और यही कहते हुए उठें- ‘इन्नल्लाहा यरज़ुक़ु मन्य-यशाउ बिग़ैरि हिसाब’
5. अब आप यह इरादा करे, तय करें कि आपको क्या और कितना चाहिए?इसकी एक साफ़ तस्वीर अपने दिमाग़ में बसा लें और दिल में यक़ीन करें कि यह चीज़ आपको अल्लाह ने दे दी है।
6. आप उसे अपने पास तसव्वुर करें और उसे इस्तेमाल करते हुए महसूस करें। यह अहसास जितना ज़्यादा गहरा होगा, उतनी जल्दी आपको दौलत मिलेगी या जो चीज़ भी आप पाना चाहें।
7. अब आप उस पर अल्लाह का शुक्र अदा करें।
8. जो काम आप कर रहे हैं। वही काम करते हुए आप उसे विस्तार देने की कोशिश करें।
9. अल्लाह पर भरोसा करें। यक़ीन रखें कि मन की मुराद आपको मिल जाएगी।
10. आखि़री बात इसमें सबसे अहम है। आपको हर वक्त अल्लाह की मुहब्बत से भरे रहना है। आपको हर वक्त इंसान की भलाई के लिए काम करते रहना है या फिर उसके लिए दिल में यह सोचते रहना है कि इंसान का ज़्यादा से ज़्यादा भला कैसे किया जाए? इंसान का मतलब है सिर्फ़ इंसान, उसका धर्म और जाति कुछ भी हो।
11. 10वे पॉइन्ट को पकका करने के लिए हक़दार को ज़कात दें, सदक़ा दें, बीवी का महर अब तक अदा न किया हो तो वह दें। मां को कपड़े और फल लाकर दें। बहनों को ताहफें दें।
12. ...और रोज़ाना रात को सोने से पहले अपने दुश्मनों को माफ़ कर दें। आपका दिल फूल की तरह हल्का हो जाएगा। अपने दुश्मनों की हिदायत के लिए दुआ कीजिए।
13. अल्लाह से सारे इंसानों की सीधे रास्ते पर चलने की दुआ कीजिए और ईमान वाले बंदों की मग़फ़िरत की दुआ कीजिए।
14. दुआ आपको रब से जोड़ देती है।
15. दिल पर जब भी दुनियावी लालच, डर या किसी पुराने हादसे का ग़म छाने लगे तभी सुब्हान अल्लाह पढ़कर अल्लाह की उन नेमतों पर नज़र डालिए जो आपको आज मयस्सर हैं और फिर अपना ध्यान उस चीज़ पर जमा दीजिए जो कि आपको चाहिए, जैसे कि एक बड़ा सा मकान।
16. अपनी चाहत पर इतना ज़्यादा ध्यान जमाईये कि वह आपके शुऊर (चेतना) का हिस्सा बन जाए।
17. अगर आप अपने शुऊर की गहराई में ख़ुद को अमीर महसूस करने लगेंगे तो आप अमीर बन जाएंगे।
18. कभी भी ग़रीबी और महंगाई की बातें न करें। ये बातें ग़रीब लोग करते हैं। आप जैसी बातें करेंगे, आप वही बन जाएंगे। आपको अमीर बनना है तो उन बातों से बचिए जो बातें ग़रीब लोगों की रोज़मर्रा की सोच है। ग़रीबी का कारण ग़रीब होने की मानसिकता है।
19. अमीर आदमियों का फ़र्ज़ है कि वे ग़रीबों को अपने पास बैठाएं और उन्हें उस मानसिकता से निकालने की कोशिश करें जो कि उनके अन्दर जड़ पकड़ चुकी है।
20. मस्जिदों में जाकर ग़रीब आदमी ख़ुद भी अपने आप को तंग ज़हनियत से आज़ाद कर सकता है। मस्जिद की आलीशान इमारत और वहां की हरेक सहूलत उसे कुछ देर के लिए उसकी ग़ुरबत के अहसास से आज़ाद कर देती है। अगर वह जागरूकता के साथ अपनी तंग सोच को रूख़सत कर दे तो वह आसानी से अमीर बन सकता है।
21. जो मिडिल क्लास लोग हैं वे भी अपनी दौलत का लेवल बढ़ा सकते हैं क्योंकि जो अमीर हैं वे ऐसे ही अपने दौलत के लेवल को बढ़ाते हैं। इसमें बुनियादी बात यह है कि आप अपने दिल की गहराई में क्या पाते हैं? आप अपने दिल में खुद को जो पाते हैं, आप वही हैं। असल चीज़ अन्दर की चीज़ है। बाहर के हालात उसके ताबे (अधीन) हैं।
22. अब आपके सामने असबाब यानि अपाॅरच्यूनिटीज़ ज़ाहिर होंगी। आप हिकमत और दानिशमन्दी के साथ फ़ैसला लें और ज़ाहिरी अमल करें।
इन शा अल्लाह आप अमीर हो जाएंगे।
shukriya aapka itni acchi baat batane ke liye
ReplyDelete