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Monday, October 14, 2019

नेमतों भरी ज़िंदगी का साँचा क्या (mold) है?

इंसान ज़िंदगी भर पढ़ता है लेकिन जिंदगी को नहीं पढ़ता। इंसान ज़िंदगी में बहुत से सब्जेक्ट पढ़ता है लेकिन ज़िंदगी ख़ुद एक सब्जेक्ट है। वह उसे एक सब्जेक्ट की तरह नहीं पढ़ता। जिसका नतीजा यह होता है कि ज़्यादातर इंसान ज़िंदगी के इम्तिहान में फ़ेल हो जाते हैं सिवाय उन लोगों के जिन्होंने जिंदगी को पढ़ा है। ज़माना गवाह है कि ज़्यादातर इंसान घाटे में हैं।
ऐसा नहीं है कि इंसान ने कभी ज़िंदगी को पढ़ने और समझने की कोशिश नहीं की। उसने कोशिश की है और कुछ लोगों ने बहुत ज़्यादा कोशिश की है लेकिन ज़्यादातर इंसानों के लिए ज़िंदगी हमेशा एक राज़ रही है।
लोग देखते हैं कि अचानक पानी रूप बदलने लगता है और एक इंसान जन्म लेकर माँ की गोद में आ जाता है। फिर वह नेचुरली ख़ुद ब ख़ुद बढ़ने लगता है और उसका दिल इस दुनिया में ख़ूब रम जाता है। वह किसी को अपना महबूब और किसी को अपना दुश्मन मान लेता है। वह ख़ुशी और ग़म के साथ अपने दिन गुज़ारता है। उसकी ज़िंदगी में ख़ुद ब ख़ुद छोटे बड़े वाक़यात पेश आते रहते हैं। उसके सामने ज़मीनो आसमान की हर चीज़ ख़ुद ब ख़ुद घूमती रहती है दिन और रात ख़ुद ब ख़ुद आते रहते हैं। मौसम खुद ब ख़ुद बदलते रहते हैं। बीज से पेड़ खुद निकलते हैं और पेड़ पर फल ख़ुद आते हैं। जानवर और परिंदों की नस्लें खुद-ब-खुद पैदा होती रहती हैं। कोई इंसान अच्छा या बुरा जो भी अमल करता है उसका नतीजा भी कुछ वक़्त बाद एक दिन ख़ुद ब ख़ुद सामने आ जाता है। वह इन सब मौज्ज़ों और मिरेकल्स का इतना आदी हो जाता है कि उसे इन पर हैरत भी नहीं होती। वह अभी इस दुनिया में और जीना चाहता है लेकिन उसे मौत आ जाती है। न चाहते हुए भी उसे अपनी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ मरना पड़ता है। उसके घर वालों और दोस्तों को उसकी जुदाई पर सब्र करना पड़ता है।
एक इंसान देखता है कि बहुत बार उसकी ख़्वाहिश बिना उसकी ज़ाहिरी कोशिश के ख़ुद-ब-ख़ुद पूरी हो जाती है और फिर वही इंसान यह भी देखता है कि वह एक ज़रूरत के लिए अपनी सारी कोशिशें कर लेता है लेकिन उसकी वह ज़रूरत पूरी नहीं होती। वह ज़िंदगी भर यह नहीं समझ पाता कि कई बार उसकी ख्वाहिशें ख़ुद ब ख़ुद क्यों पूरी हो गईं और कई बार उसकी सारी कोशिशों के बाद भी उसकी ज़रूरत क्यों पूरी न हुई?
इंसान इस दुनिया की ज़िंदगी में कई बार देखता है कि नेक शरीफ़ लोग ग़रीबी और पस्ती में जी रहे हैं और ज़ालिम लोगों को खुशियां और तरक़्क़ी नसीब हो रही है।
ऐसे बहुत से सवाल होते हैं जिन पर इंसान सोचता है लेकिन उनके होने में वह किसी क़ानून (law) को डिस्कवर नहीं कर पाता। इस कायनात में cause-and-effect (कार्य-कारण) का क़ानून जारी है। जहां कहीं भी कुछ हो रहा है उसके होने के पीछे कोई वजह ज़रूर है। जब इंसान उस वजह को नहीं जान पाता तो वह उसे मर्ज़ी ए मौला मान लेता है या फिर उसे इत्तेफ़ाक़ का नाम दे देता है।
हम अपने बदन को देखते हैं तो उसमें एक बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड सिस्टम मौजूद है, जिसे कोई इंसान आज तक पूरा नहीं समझ सका है लेकिन इसके बावजूद हमारे साँस का आना और जाना, हमारे दिल का धड़कना, हमारे पेट में खाने का हज़्म होना और उससे ख़ून और हड्डी का बनना; सब कुछ ख़ुद-ब-ख़ुद और बहुत आसानी से होता रहता है। इस ज़मीनो आसमान का पूरा सिस्टम बहुत ज़्यादा कॉम्प्लिकेटेड है। जिसे आज तक कोई इंसान पूरा नहीं समझ सका है कि यह कैसे काम करता है? लेकिन इसके बावुजूद यह आसानी से हर वक़्त काम करता है। इंसान के अंदर और उसके चारों तरफ़ हर चीज़ में कॉम्प्लिकेटेड सिस्टम मौजूद है लेकिन इसके बावुजूद वह बहुत आसानी से काम करता है और वह इंसान की फ़लाह (कल्याण, wellness) में काम करता है। ठीक ऐसे ही ज़िंदगी अपने आप में बहुत कॉम्प्लिकेटेड है जिसे अपने तजुर्बात से पूरी तरह समझना किसी इंसान के लिए मुमकिन नहीं है लेकिन इसके बावुजूद वह बहुत आसानी से काम करती है और जो कुछ आप अपने दिल में या अपने जिस्म से अच्छा या बुरा अमल करते हैं, वह उसका नतीजा ख़ुद ब ख़ुद आपके सामने ले आती है। जिनके अच्छे या बुरे आमाल का नतीजा मौत से पहले सामने नहीं आ पाता, उनके सामने उनका नतीजा मौत के बाद आ जाता है क्योंकि मौत जिस्म को आती है उस शुऊर (चेतना, Consciousness) को मौत नहीं आती जो इस बदन को चलाती है।
यह बात हमेशा याद रखें कि ज़िंदगी हमेशा आपके हित में काम करती है जब तक कि आप अपनी नासमझी से उसे अपने ख़िलाफ़ न कर लें।
अगर आप अपनी ज़िंदगी को ख़ुद अपने तजुर्बात की बुनियाद पर समझना चाहो तो नहीं समझ पाओगे। आपके लिए आपकी जिंदगी हमेशा एक अनसुलझी पहेली रहेगी। हाँ, जिसने ज़िंदगी को पैदा किया है, अगर आप उसके नाम से ज़िंदगी को पढ़ने और समझने की कोशिश करते हैं तो आपके लिए आपकी ज़िंदगी बल्कि हर एक की ज़िंदगी एक खुली हुई किताब बन जाएगी। तब आप ख़ुशी और ग़म, कामयाबी और नाकामी, बुलंदी और पस्ती की वजह जान सकते हैं। आप नेमतें मिलने और नेमतें छिन जाने की वजह जान सकते हैं। आप अपनी सबसे बुनियादी ज़रूरत और सबसे बड़ी मुराद को पूरा करने का तरीक़ा जान सकते हैं।
इंसान की सबसे बुनियादी ज़रूरत और सबसे बड़ी मुराद क्या है?
फ़लाह, कल्याण और वैलनेस!
आप ज़िंदगी जीने का सबसे सीधा और सबसे आसान तरीक़ा जान सकते हैं।
आप ज़रूर जानना चाहेंगे कि ज़िंदगी जीने का सबसे सीधा और सबसे आसान तरीक़ा क्या है?
वह तरीक़ा है शुक्र का तरीक़ा!
जब हम रब के कलाम में पवित्र क़ुरआन की सबसे पहली सूरह पढ़ते हैं तो उसमें रब के नाम के बाद सबसे पहले शुक्र के बारे में बताया गया है। उसके बाद वह हमें सीधे रास्ते की दुआ माँगना सिखाता है।
वाह, क्या ख़ूब है उसका देना। वह माँगने से पहले देता है।
शुक्र का तरीक़ा ज़िंदगी गुज़ारने का सबसे सीधा और सबसे ज़्यादा आसान तरीक़ा है। शुक्र एक नज़रिया है। आपका नज़रिया आपकी ज़िंदगी का सांचा (mold) है। कील से लेकर हथौड़ी तक, मोटरसाइकिल के पार्ट्स से लेकर रॉकेट के पार्ट्स तक हरेक चीज़ एक ख़ास साँचे में ढलकर बनती है। कील के साँचे से कील बनती है और हथौड़ी के साँचे से हथौड़ी। शुक्र के साँचे से नेमतों भरी ज़िंदगी बनती है और नाशुक्री के साँचे से बर्बाद ज़िंदगी। अब जो चाहे शुक्र करके अपनी ज़िंदगी में नेमतें पा ले या नाशुक्री करके अपनी ज़िंदगी को अपने ख़िलाफ़ कर ले। उसके बाद उसकी ज़िंदगी ही उसे बर्बाद कर देगी।
शुक्र पर क़ाबिल लोगों ने बहुत कुछ लिखा है। मैंने उसे पढ़कर यह जाना है कि शुक्र का मतलब है क़द्र करना। अरबी के शब्द 'अल्हम्दुलिल्लाह' में शुक्र के साथ अल्लाह की तारीफ़ भी आ गई है। इसमें क्रिएटर को 'अल्लाह' कहा गया है। जिसका अर्थ  है वह हस्ती जिससे दिल की गहराईयों से वालिहाना मुहब्बत की जाए। जिसके हुक्म और क़ानून को माना जाए।
जब आप अपने दिल की गहराईयों से अपने क्रिएटर से मुहब्बत करते हैं, उसका शुक्र और उसकी तारीफ़ करते हैं तो आप उस वक़्त सबसे हाई लेवल की और पॉज़िटिव फ्रीक्वेंसी (नूर) यूनिवर्स में छोड़ते हैं। यह नूर आपकी ज़िन्दगी में अच्छे हालात, अच्छे लोग और तरक़्क़ी के नए मौक़े दिखाएगा।
जब आप रब की नेमतों को सही मक़सद में इस्तेमाल करते हैं और ज़रूरतमंदों के साथ रब के क़ानून के मुताबिक़ उन्हें शेयर करते हैं तो आप उनकी क़द्र करते हैं। आपकी क़द्रदानी से वे नेमतें देर तक बाक़ी रहती हैं और वे बढ़ती हैं।
आप अपनी ज़िन्दगी में जिन नेमतों को बढ़ाना चाहते हैं, आप उन्हें ज़रूरतमंदों की मदद में ख़र्च कीजिए।
आप ज़्यादा दौलत चाहते हैं तो आप अपना कुछ माल ज़रूरतमंद अनाथों, बेघर ग़रीबों पर ख़र्च करें।
आप ज़्यादा इल्म चाहते हैं तो आप दूसरों को इल्म दें।
आप दूसरों से इज़्ज़त चाहते हैं तो आप उन्हें इज़्ज़त दें, जिन्हें समाज के लोग अपने पास नहीं बिठाते।
आप नंगों को कपड़ा पहनाएंगे तो कभी कोई भी आपकी इज़्ज़त नहीं उतार पाएगा।
जैसा आप दूसरों के साथ करेंगे, वैसा आपके साथ ख़ुद हो जाएगा। जिस पैमाने से आप दूसरों को नापते हो, उसी पैमाने से आपके लिए नापा जाता है। अगर आप क़ुदरत के इस क़ानून को बहुत अच्छी तरह समझ लो तो फिर ज़िंदगी आपके लिए अनसुलझी पहेली नहीं रह जाएगी।
आप अंदर से अच्छे हैं तो आप दूसरों के साथ अच्छा करेंगे और आपके साथ अच्छा होगा।
आप अंदर से बुरे हैं तो आप दूसरों के साथ बुरा करेंगे और आपके साथ भी बुरा ही होगा।
आप शुक्रगुज़ार हैं तो आप अंदर से अच्छे हैं।
आप शुक्रगुज़ार नहीं हैं तो आप नाशुक्रे हैं यानि कि आप अंदर से बुरे हैं।
आप कह सकते हैं कि मैं शुक्रगुज़ार हूं। कोई आदमी आपको कोई गिफ़्ट देता है तो आप उसे शुक्रिया बोलते हैं। एक अच्छी रस्म है लेकिन याद रखें कि सिर्फ़ इस आदत से आप शुक्रगुज़ार नहीं हो जाते। जब आप अपने रब से ख़ुश होते हैं और यह ख़ुशी आपकी आदत होती है, आपका मेन्टल एटीट्यूड होती है; तब आप आदतन शुक्रगुज़ार होते हैं।
Gratitude लैटिन मूल, gratus से बना है, जिसका अर्थ है ख़ुशी या ख़ुशी देने वाला। शुक्रगुज़ार होना ख़ुशी से भरा होना है। सिर्फ़ शुक्रगुज़ार आदमी ही अपने मेन्टल एटीट्यूड की वजह से अंधेरे में रौशनी और नेगेटिव में पॉज़िटिव देख सकता है। जब आम लोग प्रॉब्लम पर ध्यान फोकस करते हैं और वे ग़म और डर से परेशान रहते हैं, तब शुक्र करने वाला बंदा उनके हल पर विचार करता है। जिससे उसे ख़ुशी महसूस होती है।
आप ज़िंदगी में पेश आने वाले बुरे वाक़यात को कैसे मैनेज करते हैं? आप ध्यान दें कि हरेक शर में से भी कुछ ख़ैर ज़रूर निकलता है। ख़राब या नकारात्मक घटनाओं के भी सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। आप अपनी ज़िंदगी का कोई ऐसा तजुर्बा याद करें जो आपको नापसंद था।  इस नापसंद तजुर्बे के सकारात्मक पहलुओं या नतीजों पर ध्यान दें।  नतीजे में, क्या आपको उससे ऐसा कुछ मिला जिसके लिए आप अब शुक्र करते हैं?  क्या इस तजुर्बे ने आपको एक बेहतर इंसान बनाया है?  क्या इस तजुर्बे ने आपको ज़िंदगी में कोई अहम सबक़ सिखाया है?  क्या आप नतीजे के रूप में फायदेमंद सबक़ के लिए शुक्र कर सकते हैं?

अपने दिमाग़ के काम करने का तरीक़ा बदलें
एक हालिया स्टडी हमें यह समझने में मदद करती है कि शुक्र हमारे दिमाग़ के काम करने के तरीके पर कैसे असर डालता है।  प्रतिभागियों को तीन हफ़्ते के लिए दूसरे लोगों के लिए शुक्र के सादा और छोटे जुमला लिखने के लिए कहा गया था।  एक एमआरआई स्कैन ने प्रतिभागियों के दिमाग़ को मापा और पाया कि वे प्रीफ़्रंटल कॉर्टेक्स में अधिक तंत्रिका संवेदनशीलता दिखाते हैं, जो दिमाग़ का सीखने और निर्णय लेने से संबंधित एरिया है।
जब आप शुक्र करते हैं, तो इसका दिमाग़ पर स्थायी प्रभाव पड़ता है।  स्टडी बताती है कि शुक्र का एक सादा, छोटे जुमले लिखने के काम के महीनों बाद भी, लोगों का दिमाग़ एक्स्ट्रा थैंकफ़ुल महसूस करने के लिए अब तक तैयार था।  मतलब यह है कि शुक्र का स्थायी असर छोड़ने का अपना एक मिज़ाज होता है। जितनी ज़्यादा आप इसकी प्रैक्टिस करते हैं, उतने ही ज़्यादा आप इसके लिए तैयार हो जाते हैं।
घरों में काम करने वाली नौकरानी इतनी गहरी जानकारी नहीं समझ सकती। हमारे घर में सायरा नाम की एक औरत काम करने के लिए आती है, जो बिहार की रहने वाली है। आज सुबह उसकी जगह उसकी बेटी मुन्नी काम करने के लिए आई। मैंने सोचा कि मैं उसे शुक्र के बारे में सबसे आसान तरीक़े से कैसे समझा सकता हूँ?
मुन्नी उस वक़्त भिंडी काट रही थी। मैंने उससे कहा कि मुन्नी अगर तुम दिन में 1000 बार ख़ुशी के साथ अल्हम्दुलिल्लाह कहो तो 6 महीने के अंदर तुम्हें कोई बड़ी ख़ुशी ज़रूर मिलेगी। यह ज़्यादा दौलत भी हो सकती है या कुछ और हो सकता है। तुम्हारी कोई बड़ी मुराद भी पूरी हो सकती है। तुम पूरे दिन हाथ में माला लेकर नहीं गिन सकतीं। इसलिए  काम करते वक़्त ख़ुश होकर 'अल्हम्दुलिल्लाह' कहती रहा करो। तुम्हारे पास आंखें और हाथ हैं। तभी तुम ये भिंडी काट रही हो। तुम इस बात पर ख़ुश हो सकती हो और शुक्र कर सकती हो। वह मेरी बात सुनकर मुस्कुराने लगी। मैंने मुन्नी से कहा कि मैं तुम्हें जब भी देखूंगा तो अल्हम्दुलिल्लाह कहकर शुक्र करना याद दिलाऊंगा। वह और ज़्यादा मुस्कुराने लगी।
यह बात आपको बताने का मक़सद यह है कि जो लोग समाज में सेहत, दौलत, इज़्ज़त और तालीम में आखिरी सतह पर जी रहे हैं, आप उन्हें शुक्र की तालीम देकर उनकी ज़िंदगी में बेहतर बदलाव ला सकते हैं।
(जारी...)

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