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Sunday, January 26, 2020

दिशा और काल बदलने की मुद्रा से एसिडिटी को फ़ौरन फ़ायदा होता है Dr. Anwer Jamal


आज सुबह मेरी वाइफ़ ने मेरी सबसे छोटी गोद की बेटी को मेरे हवाले कर दिया था ताकि वह नाश्ता बना सके। वह रो रही थी। वह अपनी माँ की गोद में रहना चाहती थी। छोटे बच्चों को चुप कराना एक कठिन काम है। ख़ासकर तब जबकि मैं बैठा हुआ होऊं। मैंने उसे बैठे बैठे बहला कर चुप करना चाहा लेकिन वह चुप नहीं हुई। आम तौर पर मैं ऐसी हालत में बच्चों को गोद में हिलाते हुए 'ला इलाहा इल्लल्लाह' या कोई दूसरा ज़िक्र सुनाता हूँ ताकि वह उनके सबकॉन्शियस माइंड की प्रोग्रामिंग में शामिल हो जाए।
आज मैंने उस पर आयुर्वेद एक्यूप्रेशर  (ayurved acupressure) की एक मुद्रा को आज़माने का इरादा किया मैंने अपने दोनों हाथों की दोनों बड़ी बीच की उंगलियों को दोनों अंगूठों से दबा लिया। यह मुद्रा दिशा और काल बदलने के लिए बनाई जाती है।
जब भी मुझे एसिड ज़्यादा बनने लगता है तो मैं यही मुद्रा बना लेता हूं और उससे एसिड की दिशा बदल जाती है। वह ऊपर गले की तरफ़ आने के बजाय नीचे की तरफ़ चला जाता है और मसला हल हो जाता है।
आज मैंने यह सोचा कि यह तजुर्बा किया जाए कि क्या यह मुद्रा दूसरे की भावनाओं पर भी असर डालती है?

आज मुझे पॉज़िटिव रिज़ल्ट मिला है लेकिन एक बार किसी काम में सफलता होने से कोई बात सिद्ध नहीं हो जाती। इसलिए अभी मैं इस एक्सपेरिमेंट को और करूंगा।
मैंने मन पर बहुत एक्सपेरिमेंट किए हैं। जो एक्सपेरिमेंट आज किया है, उसे आपके साथ शेयर कर रहा हूं।
आप भी एक्सपेरिमेंट करके अपने तजुर्बात के बारे में लिखें।
आप इस मुद्रा को अपने नाराज़ महबूब, पति और बॉस पर करके देख सकते हैं। मामला पुराना हो तो कुछ हफ़्ते रोज़ दो वक़्त, सोते वक़्त और जागते ही यह अमल करें।
तरीक़ा:
1. जो काम करना हो, उसकी नीयत (intention) करें।
2. उसे तवज्जो (attention) दें। उसकी कल्पना (imagination) करें कि यह काम होने के बाद कैसा लगेगा।
3. दिशा और काल बदलने की मुद्रा बनाकर बैठ जाएं। कोई वक़्त तय नहीं है। जब ज़रूरत पड़े, तभी कर लें।

Wednesday, January 1, 2020

Easy Explanation of The Law of Attraction in Hindi by Dr. Anwer Jamal

1. जो कुछ आपके पास है, उस पर रब का शुक्र करो।
2. जो नहीं है, और उसे पाना चाहते हो, उसकी नीयत करो।
3. आप जिस चीज़ को पाने की नीयत करते हैं, आप उसे अपनी ज़िन्दगी में आने की दावत देते हैं। कुन (यानि हो जा) का राज़ इंसान के इरादे में पोशीदा है। इसे समझें। जब आप किसी काम का इरादा (नीयत) करते हैं तो वे असबाब (साधन) आपकी तरफ़ खिंचकर आने लगते हैं, जिनसे उस काम को वुजूद में आना है। नीयत के बाद आपको उस काम के मौक़े, साधन और लोग नज़र आने लगते हैं।
4. अपनी मनपसंद चीज़ पाने के लिए मुनासिब असबाब तलाश करो, उनसे काम लो। शुरू में नाकामी मिलेगी। उन नाकामियों से सबक़ लो। अपने तरीक़े में सुधार करो और फिर कोशिश करो। बार बार पूरी लगन से कोशिश करो और डटे रहो। सब्र करो। कामयाबी पा चुके लोगों से सलाह और गाईडेंस लो।
5. हमेशा अपनी पसंद की चीज़ को अपनी कल्पना में अपने पास देखो या जो बनना चाहते हो, ख़ुद को उसी रूप में देखो और फ़ील करो। ऐसा करते हुए लगातार कोशिश करो। आपको ज़रूर कामयाबी मिलेगी।
कामयाबी ऐसे ही मिलती है।

नाकाम लोग की आदत
जो लोग शुक्र, सब्र, नीयत और सुधार नहीं करते, जो लोग अपनी नाकामियों से सबक़ नहीं लेते और हिम्मत हार जाते हैं, उन्हें कामयाबी नहीं मिलती।
कई बार ऐसा भी होता है कि अपनी फ़िज़िकल बाडी से कुछ नहीं करना पड़ता और चीज़ ख़ुद ब ख़ुद मिल जाती है या काम ख़ुद बन जाता है। मेरे साथ ज़िन्दगी में दोनों तरह हुआ है और होता है।

काम न होने की वजह
जब रह सब करके भी काम न बने तो समझ लीजिए कि कोई संकीर्ण और सीमित विश्वास (limiting belief) दिल में बहुत गहराई तक जमा हुआ है, जो आपकी कोशिशों पर असर डाल रहा है।
दिल को लिमिटिंग बिलीफ़ से पाक करें और फिर ऊपर बताए गये तरीक़े से कोशिश करें। अब आपको कामयाबी ज़रूर मिलेगी।