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Tuesday, December 1, 2015

Allahpathy बीमारियों और हादसों की असल वजह कहाँ छिपी है?,देखें Tibbe Nabvi

हमारा मक़सद आपका कल्याण, आपकी भलाई है। इसीलिए हम लिखते हैं ताकि हम आपको और आपके परिवार को एक सेहतमंद और ख़ुशहाल जि़न्दगी का तोहफ़ा दें।
इसके लिए आपको जानना होगा कि
डर से तनाव उपजता है और तनाव से बीमारी।

सैकड़ों साइंटिस्ट्स ने सालों-साल रिसर्च करने के बाद बताया है कि 95 प्रतिशत बीमारियों का कारण तनाव है। तनाव के दौरान ग्रंथियों से स्ट्रेस हाॅरमोन्स रिसते हैं, जो ख़ून में मिलकर बाॅडी सेल्स तक जाते हैं और उनके फंक्शन को बिगाड़ देते हैं।
आज स्कूल के सिलेबस से लेकर जाॅब के टारगेट तक बहुत से तत्व तनाव पैदा कर रहे हैं। विश्व के लोग आज तनाव में हैं। भारत के लोग भी तनाव में जी रहे हैं।
टी.वी. पर न्यूज़ और अख़बार सब रेप, मर्डर, डकैती, दंगों और जंगों की ख़बरें दिखा रहे हैं। ये ख़बरें हमारे मन में डर पैदा करती हैं। कल्पना में दोहराने पर ये ख़बरें हमारे अवचेतन मन में नक़्श हो जाती हैं। इसे सबकाॅन्शिएस ब्लूप्रिन्ट (Subconscious Blueprint/Paradigm) कहा जाता है।
यही ब्लूप्रिन्ट आपके व्यक्तित्व और आपकी सेहत का निर्धारण करता है। जब तक इस ब्लूप्रिन्ट में डर नक़्श रहेगा, तब तक आपको एक या दूसरी बीमारी या अचानक हादसे पेश आते रहेंगे।
सेहत और ख़ुशहाली के लिए आपको अपने अवचेतन मन से डर का भाव त्यागना होगा।
इसके लिए आपको प्रकृति की गोद में बैठकर ईश्वर-अल्लाह की अनंत कृपाओं का निरीक्षण करना होगा कि कैसे वह हर पल आपको ज़मीन व आसमान से नफ़ा देने वाली चीज़ें दे रहा है और नुक़्सान से सलामत भी रखे हुए है। वही दयालु रब हर पल आपके साथ है। उस रब का एक नाम ‘अस-सलाम’ भी है।
आप ख़ुद को सलामती (शांति और सुरक्षा) में देखें। इस आगाही से, अवेयरनेस से आपके दिल में सलामती का भाव जम जाएगा। यह डर के भाव को रिप्लेस कर देगा।
डर और ग़म के विचार सलामती के खि़लाफ़ हैं। ऐसे विपरीत विचारों को दिल में जमने न दें। अपने विचारों के प्रति सजग रहें। अच्छे वचन बोलने की आदत बनाएं।
ईश्वर-अल्लाह को अपने साथ मानने वाले बंदे जब भी मिलते हैं तो वे आपस में एक दूसरे से कहते हैं-‘अस-सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु’
यानि अल्लाह की तरफ़ से आप पर सलामती, रहमत और बरकत हो।
अब आप हर पल ‘सलामती की चेतना’ में जिएंगे। अब आप निर्भय होकर जिएंगे।
जब भी आप अपने प्यारों से या किसी से भी मिलें तो उसे सलामती की दुआ-आशीष दें। आपके शब्द इनर्जी हैं। यही इनर्जी आपको हील करती है।
क़ुरआन के शब्द ज़बर्दस्त इनर्जी का भंडार हैं। जिनसे आप हरेक बीमारी को दूर कर सकते हैं। क़ुरआन से पहले भी सत्पुरूषों ने मन के उपचार से शरीर के रोगों और हादसों को दूर किया है। 
आप हरेक धर्म-मत के ग्रंथों में इलाज का यह तरीक़ा देख सकते हैं। जिस बीमारी को अंग्रेज़ी डाॅक्टर या वैद्य-हकीम लाइलाज कह दें, उसका इलाज भी आप इस तरीक़े की सही और पूरी जानकारी करके कर सकते हैं, बहुत आसानी से।
आपका मन निर्मल हो जाए, धर्म यही कहता है। इसके बाद आपको किसी ज़हरीली दवा की ज़रूरत कम ही रह जाएगी, शायद न भी पड़े। अब आपका आहार ही आपकी दवा बन जाएगा। यह बाॅडी बहुत इंटेलीजेेन्ट है। यह अपने मेन्टिनेंस के लिए तमाम ज़रूरी चीज़ों को आहार से ख़ुद ही लेकर कन्वर्ट कर लेती है।
परहेज़ः
1. डराने वाली ख़बरों और फि़ल्मों से बचें।
2. अपने बच्चों को भूतिया और हिंसक वीडियो गेम्स से बचाएं।
हमने तो अपना टी.वी. और उर्दू-हिन्दी अख़बार बंद कर दिया है। तब से यहां सब शांति है और बहुत ज़्यादा शांति है।
अहम सवालः
यह सवाल आपको पूछना है ख़ुद से कि
‘‘क्या आप टी.वी., अख़बार और इंटरनेट पर डरावनी और भड़काऊ बातें देखे बिना गुज़ारा कर सकते हैं?’’

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