Tuesday, May 7, 2024

न्याय से है जीवन की सार्थकता

मेरी अपनी ज़िंदगी में इस वक़्त अपना कोई दुख नहीं है,

अल्हमदुलिल्लाह।

लेकिन दुनिया में मासूम लोगों पर होते/हो चुके ज़ुल्म को देखता हूँ तो दुखी हो जाता हूँ।

फिर मैं #वैज्ञानिक नज़रिए से सोचता हूँ तो इनके पीछे लालच और ताक़त का ज़ोर दिखता है और

विज्ञान कहीं भी इंसाफ़ का वादा नहीं करता।

ताक़तवर को सज़ा दिला सके,

इतनी ताक़त यूएन में भी नहीं है।

अमरीका और उसके गंठबंधन वाले देशों ने वियतनाम से लेकर इराक़ तक कितने करोड़ लोग मारे, 

उनकी कोई सज़ा इन देशों के लीडरों को नहीं मिली।

इन देशों के दार्शनिकों ने यही दर्शन आम कर दिया है कि

जो चाहो कर लो,

ताक़तवर को कोई पकड़ने वाला नहीं है।

अगर ऐसा होता तो ज़ुल्म के सताए हुए आदमियों के लिए यह दुनिया निरर्थक होती।


#lawofpolarity 

#रब ने अपने कलाम में इंसाफ़ के दिन का वादा किया है

और यह बात समझ में आती है क्योंकि यह दुनिया polarity के क़ानून पर चलती है

यानी

दुख है तो सुख है।

रात है तो दिन है।

इसी तरह ज़ुल्म है तो इंसाफ़ भी होगा।

इंसाफ़ आज नहीं तो कल होगा लेकिन इंसाफ़ ज़रूर होगा।

#इंसाफ़ के दिन का यक़ीन मज़लूम के लिए उसकी ज़िन्दगी को एक अर्थ देता है।

जो आज ज़ुल्म कर रहे हैं कल इंसाफ़ के दिन, वे चींटियों की तरह मज़लूमों के पैरों तले कुचले जा रहे होंगे।

यह निश्चित है।

सो ऐसे ज़ालिम डरें और दूसरों पर उतना ही ज़ुल्म करें,

जितना इंसाफ़ के दिन ख़ुद झेल सकें।

#आत्मनिर्भरता_कोच की #LifeHealing

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